'ये तो हमारे अधिकार पर कैंची है', ONOE पर JPC की पहली मीटिंग में NDA सांसद ने ही उठाए सवाल
बुधवार को नई दिल्ली में JPC की हुई इस पहली बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने एक साथ चुनाव के विचार की सराहना की तो विपक्षी सदस्यों ने इस पर सवाल खड़े किए।
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देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने यानी 'एक देश, एक चुनाव' का प्रावधान वाले दो विधेयकों पर विचार करने के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति (JPC) की आज पहली बैठक हुई। इस बैठक में कई सांसदों ने अलग-अलग तरह के सवाल संसदीय पैनल के सामने रखे। इस दौरान केंद्र में सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के एक साथी दल के एक सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा कि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की सीमा को सीमित करने से सांसदों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
जेपीसी की बैठक में कुछ सदस्यों ने इस बात पर भी चिंता जताई कि अगर कोई सरकार बीच में ही गिर जाती है और उसकी जगह कोई नई सरकार, जो केवल शेष अवधि के लिए बनती है, तो उसका फोकस और ताकत उतना नहीं हो सकेगा। इसी दौरान दक्षिण भारत के एक अन्य सदस्य ने मांग की कि चुनावों में ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
बुधवार को नई दिल्ली में JPC की हुई इस पहली बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने एक साथ चुनाव के विचार की सराहना की तो विपक्षी सदस्यों ने इस पर सवाल खड़े किए। सूत्रों ने बताया कि विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने बैठक के दौरान प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के विचार का विधि आयोग सहित विभिन्न निकायों द्वारा समर्थन किए का हवाला दिया गया। इस दौरान भाजपा सदस्यों ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि यह देश के हित में है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस के एक सदस्य ने कहा कि यह विचार संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है, जबकि तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने कहा कि यह लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को नकारता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति में कांग्रेस से प्रियंका गांधी वाद्रा, जनता दल (यूनाइटेड) से संजय झा, शिवसेना से श्रीकांत शिंदे, आम आदमी पार्टी (आप) से संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस से कल्याण बनर्जी समेत सभी प्रमुख दलों के सदस्य शामिल हुए।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर विचार के लिए संसद की 39 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया गया है। समिति के 39 सदस्यों में भाजपा के 16, कांग्रेस के पांच, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के दो-दो तथा शिवसेना, तेदेपा, जद(यू), रालोद, लोजपा (रामविलास), जन सेना पार्टी, शिवसेना (उबाठा), राकांपा (एसपी), माकपा, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एक-एक सदस्य शामिल हैं।
समिति में राजग के कुल 22 सदस्य हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) के 10 सदस्य हैं। बीजद और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ या विपक्षी गठबंधन के सदस्य नहीं हैं। समिति को बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। इन विधेयकों को पिछले साल 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)