चीन के वैज्ञानिकों ने चमगादड़ों में एक नए कोरोना वायरस की खोज की है, जिसे 'बैट कोरोना वायरस' कहा जा रहा है। यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। अध्ययन शी झेंगली के नेतृत्व में किया गया है,...
इस नई स्टडी का नेतृत्व शी झेंगली ने किया है। शी एक प्रमुख वायरोलॉजिस्ट हैं और जिन्हें बैट कोरोनावायरस पर उनके व्यापक रिसर्च के लिए जाना जाता है। इसीलिए उनका नाम भी 'बैटवुमन' भी रखा गया है।
कोरोना महामारी का खतरा टलने के बाद अधिकांश जगहों पर कोविड गाइडलाइन की पाबंदियां भी हट गई हैं। कोविड की निगेटिव रिपोर्ट की बाध्यता अब नहीं रही। बीते दो साल से जिले में एक भी कोरोना पाजिटिव मरीज भी नहीं है।
डॉ. भुइयां ने कहा, ‘यह एक नियमित जांच थी, जिसके दौरान एचएमपीवी संक्रमण का पता चला। बच्चे की हालत अब स्थिर है। यह एक सामान्य वायरस है और चिंता की कोई बात नहीं है।’
एचएमपीवी से बचाव के लिए कोविड-19 जैसे प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक है, जिसमें नियमित रूप से हाथ धोना, खांसते-छींकते समय मुंह ढकना, संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना और उनकी उपयोग की वस्तुओं को साफ रखना शामिल है।
यह वायरस किसी भी उम्र के लोगों को शिकार बना सकता है। खासतौर पर ऐसे युवा भी इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं, जो फेफड़े की बीमारी से पीड़ित हों। या फिर निमोनिया आदि से पीड़ित हों। इसके अलावा अस्थमा, सांस की अन्य बीमारियों, लंग से संबंधित समस्याओं से पीड़ित लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
HMPV वायरस के लक्षणों में कफ, बुखार, नाक में संक्रमण, श्वास में परेशानी, गंभीर स्थिति में ब्रोकांइटिस एवं न्यूमोनिया शामिल है। एचएमपीवी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने अथवा छींकने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति को छूने, एवं संक्रमित वस्तुओं के मुंह, आंख अथवा नाक के संपर्क होने से फैल सकता है।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमें घबराना चाहिए क्योंकि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। वायरस देश में पहले से ही मौजूद है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह भारत में HMPV का पहला मामला है, जो सच नहीं है क्योंकि वायरस देश में पहले से मौजूद है।'
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, एचएमपीवी का संक्रमण पहले से ही भारत सहित कई देशों में फैल रहा है और विभिन्न देशों में इससे संबंधित श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आए हैं।
पोस्ट में कहा गया, ‘राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारे संविधान में निहित पहले मौलिक कर्तव्यों में से एक है। राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में सभी राज्य विधानसभाओं में इसे गाया जाता है। आज राज्यपाल के सदन में आने पर केवल तमिल थाई वाझथु गाया गया।'