जनगणना में संप्रदाय भी इस बार पूछा जाएगा। कबीरपंथी, रविदासी, दलित बौद्ध समेत देश के अलग-अलग राज्यों में कई संप्रदाय हैं। ऐसे में संप्रदाय भी राजनीति का एक बड़ा आधार हो सकता है। इस तरह कुल 30 सवाल जनगणना में पूछे जाएंगे। इससे पहले 2011 में 29 सवाल पूछे गए थे।
अब तक जनगणना में धर्म और वर्ग ही पूछा जाता था, लेकिन इस बार संप्रदाय भी बताना होगा। जातिगत जनगणना की मांग कई विपक्षी दलों और एनडीए के सहयोगी दलों ने भी की है। इस पर सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन संप्रदाय पूछने पर सहमति बन गई है।
देश की जनसंख्या का आधकारिक सर्वे 2025 में शुरू हो सकता है, जो साल 2026 तक जारी रहेगी। रिपोर्ट के अनुसार, जनगणना के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन शुरू होगा। यह प्रक्रिया 2028 तक चल सकती है। कुछ समय पहले ही खबरें आई थीं कि सेंसस को लेकर सरकार की तरफ से तैयारियां जारी हैं।
भारत में जल्द ही जनगणना होने जा रही है। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इसके संकेत दे दिए हैं। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में तारीख को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा है। साथ ही उन्होंने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भी चर्चा की।
खबर है कि मोदी सरकार भी इस विकल्प पर विचार कर रही है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि जनगणना के लिए काम शुरू हो चुका है और जल्दी ही इसकी प्रक्रिया का आधिकारिक ऐलान होगा। अभी सरकार इस बात को लेकर भी मानसिक रूप से तैयार है कि यदि जरूरी होगा तो जाति का कॉलम भी जनगणना के फॉर्म में दर्ज किया जाएगा।
Census: इस दशक की जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल, 2020 को शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। पिछले वर्ष संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी जनगणना से जुड़ा हुआ है।