एओए के पूर्व अध्यक्ष समेत नौ पर करोड़ों की धोखाधड़ी का केस
गाजियाबाद की गुलमोहर गार्डन सोसाइटी के एओए सचिव ने पूर्व पदाधिकारियों पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों की हेराफेरी का आरोप लगाया है। पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। जांच...

गाजियाबाद। गुलमोहर गार्डन सोसाइटी के एओए सचिव तथा अन्य लोगों ने पूर्व अध्यक्ष, महासचिव तथा कोषाध्यक्ष पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है। एक व्यक्ति पर फर्जी दस्तावेजों से पदाधिकारी बनकर करोड़ों की हेराफेरी का आरोप भी लगाया है। नंदग्राम पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। राजनगर एक्सटेंशन की गुलमोहर गार्डन सोसाइटी की एओए के सचिव के अलावा राहुल, रवि ओझा, प्रियांक, हिमांशु त्यागी, अंकित सैनी, मोनिका यादव, शकुन सिंह, अभिषेक त्यागी आदि ने पुलिस ने एसीपी नंदग्राम को संयुक्त प्रार्थना-पत्र दिया था। सभी का कहना है कि सोसाइटी में रहने वाली आकांक्षा गुप्ता वर्ष 2018-19 की बोर्ड में सदस्य के रूप में चुनी गई थीं।
एओए के बायलॉज के मुताबिक केवल फ्लैट का पंजीकृत स्वामी ही एसोसिएशन बोर्ड का पदाधिकाारी हो सकता है। आकांक्षा गुप्ता के पति अवधेश मित्तल ने बोर्ड पदाधिकारी बनने के मदसद से फर्जी दस्तावेज तैयार किए तथा 25-25 हजार रुपये के दो फर्जी स्टांप पेपर पर पत्नी से फ्लैट की गिफ्ट डीड अपने नाम कराई। इस पर आकांक्षा गुप्ता तथा गवाह के रूप में सलीम खान व सुदीप द्विवेदी के हस्ताक्षर हैं। यह गिफ्ट डीड डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत भी नहीं थी। आरोप है कि इसकी जांच किए बिना वर्ष 2018-19 के अध्यक्ष श्यामल चंदा, सचिव सुदीप शाही और कोषाध्यक्ष निमेष गर्ग ने अवधेश मित्तल को बोर्ड में ले लिया। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर अवधेश मित्तल वर्ष 2019-20 और 2020-21 में भी बोर्ड के सदस्य बने रहे। इसके अलावा वर्ष 2021-22 और 2022-23 में बोर्ड के महासचिव के रूप में चार साल काम किया। एओए सचिव का कहना है कि वर्ष 2019-20 के बोर्ड में श्यामल चंदा अध्यक्ष, सुदीप द्विवेदी महासचिव और विलसन माथुर कोषाध्यक्ष थे। वर्ष 2020-21 में सुदीप शाही अध्यक्ष, सुदीप द्विवेदी महासचिव और विसलन माथुर कोषाध्यक्ष थे। वर्ष 2021-22 में सुदीप शाही अध्यक्ष, अवधेश मित्तल महासचिव और मनीष वशिष्ठ कोषाध्यक्ष थे, जबकि वर्ष 2022-23 में सुदीप द्विवेदी अध्यक्ष, अवधेश मित्तल महासचिव तथा मनीष वशिष्ठ कोषाध्यक्ष थे। सचिव का कहना है कि वर्तमान बोर्ड को पता चला कि फर्जी दस्तावेजों पर पदाधिकारी बनकर अवधेश मित्तल ने एसोसिएशन के करोड़ों रुपये का भुगतान किया और आर्थिक लाभ कमाया। इतना ही नहीं, बिना कानूनी प्रक्रिया अपनए, अपनी चहेती कंपनियों को टेंडर जारी किए। इसके संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई और न ही स्थानीय निवासियों से अनुमति ली गई। पोल खुलने पर अवधेश मित्तल ने जून 2024 में गिफ्ट डीड पंजीकृत कराई। एओए सचिव तथा अन्य लोगों ने आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की। एसीपी पूनम मिश्रा का कहना है कि आवधेश मित्तल और उनकी पत्नी आकांक्षा मित्तल समेत नौ नामजद तथा अन्य अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने तथा अन्य धाराओं में केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
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