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DTC बसें करीब आधे रूटों पर दौड़ी ही नहीं, फिर भी हर साल बढ़ता रहा घाटे के बोझ : कैग रिपोर्ट

कैग रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में ‘आप’ सरकार के दौरान बेहतर योजना नहीं होने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा। डीटीसी का सालाना घाटा 2015-16 में 3411 करोड़ से बढ़कर 2022 में 8498 करोड़ तक पहुंच गया। पुरानी बसें ज्यादा होने से ब्रेकडाउन के मामले भी बढ़े।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानTue, 25 March 2025 06:01 AM
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DTC बसें करीब आधे रूटों पर दौड़ी ही नहीं, फिर भी हर साल बढ़ता रहा घाटे के बोझ : कैग रिपोर्ट

शराब नीति और मोहल्ला क्लीनिक के बाद दिल्ली विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) पर कैग रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी की बसें करीब 43 फीसदी मार्गों पर दौड़ी ही नहीं।

वर्ष 2015 से 2022 तक की अवधि के लिए तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि डीटीसी को बीते सात वर्षों में कुल 60,741 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। डीटीसी ने 814 रूटों में से महज 57% पर बस संचालन किया। वर्ष 2015-22 के दौरान निगम में ओवरएज लो फ्लोर बसों की संख्या 0.13% थी, जो 31 मार्च 2023 तक 44.96 फीसदी हो गई। पुरानी बसों में ब्रेकडाउन बढ़ने से 668 करोड़ का घाटा हुआ। निगम ने 300 ई-बसें खरीदी, जबकि फंड अधिक था। ई- बसों की आपूर्ति में देरी हुई, इसके लिए ऑपरेटरों पर 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं लगाया गया।

डीटीसी हर साल घाटे के बोझ से दबती गई

बेहतर योजना न होने की वजह से न सिर्फ डीटीसी को घाटा झेलना पड़ा, बल्कि आधी दिल्ली में लोगों को बस सेवाओं की सुविधा भी नहीं मिली। कैग की डीटीसी पर वर्ष 2015 से 2022 तक के आंकड़ों पर पेश की गई रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, डीटीसी की ओर से तय 814 रूटों में से बसों का परिचालन सिर्फ 468 रूटों पर ही किया गया। यानी दिल्ली के 346 (43 प्रतिशत) रूटों पर बसों का संचालन ही नहीं किया गया। इससे राजस्व में कमी आई। इसके अलावा लो-फ्लोर बसों का माइलेज निर्धारित मानकों से कम रहने, बसों में आग लगने की घटनाओं से और बिना काम किए भुगतान किए जाने से भी डीटीसी का घाटा साल दर साल बढ़ता गया।

डीटीसी का सालाना घाटा 2015-16 में 3411 करोड़ से बढ़कर 2022 में 8498 करोड़ तक पहुंच गया। कैग की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, डीटीसी की बसों ने रोजाना उनके लिए तय किए गए निर्धारित किलोमीटर पूरे नहीं किए। निगम की बसें औसतन 7.06 से 16.59 प्रतिशत तक कम चलीं, इसकी वजह से भी परिचालन लागत में बढ़ोतरी हुई। ओवरएज बसों की संख्या ज्यादा होने की वजह से उनमें बार-बार खराबी आई और प्रति 10,000 किलोमीटर संचालन में बसों की खराबी के मामले 2.90 से 4.57 फीसदी रहे। बसों की खराबी और किलोमीटर पूरे न होने के कारण वर्ष 2015-22 के दौरान परिवहन निगम को 668.60 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा।

घटती चली गई बसों की संख्या : निगम के बेड़े में बसों की कमी हुई है। साल 2015-16 में डीटीसी की बसों की संख्या 4,344 थी, जबकि 2022-23 में घटकर 3,937 बसें रह गईं। परिवहन निगम इस अवधि में सिर्फ नई 300 इलेक्ट्रिक बसें खरीद सका, जबकि दिल्ली सरकार की ओर से अन्य बसें खरीदने के लिए फंड उपलब्ध था। इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल करने में देरी हुई, देरी से आपूर्ति के लिए भी ऑपरेटरों पर 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं लगाया गया।

एएफसीएस शुरू न होने के बावजूद कर दिया भुगतान: रिपोर्ट के मुताबिक बसों में किराया वसूली के लिए ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (एएफसीएस) परियोजना का पहला चरण दिसंबर 2017 में चालू किया गया था, लेकिन सिस्टम इंटिग्रेटर न होने की वजह से यह क्रियाशील नहीं हुआ। इसके साथ ही 3,697 बसों में सीसीटीवी सिस्टम लगाया गया और मार्च 2021 में ठेकेदार को 52.45 करोड़ का भुगतान कर दिया गया।

इस सिस्टम का परीक्षण कर स्वीकृति नहीं ली गई, जिसकी वजह से इसे गो लाइव घोषित नहीं किया गया। मई 2023 तक भी यह प्रणाली बसों में चालू नहीं हुई थी।

2009 के बाद नहीं किराया संशोधित नहीं किया : सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन निगम को किराया निर्धारित करने की स्वायत्तता नहीं है। इसकी वजह से परिचालन लागत की पूरी वसूली नहीं कर पाया। परिवहन निगम की बसों का किराया आखिरी बार 3 नवंबर 2009 को संशोधित किया गया था। इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली सरकार वार्षिक राजस्व अनुदान, रियायती पास की प्रतिपूर्ति और महिलाओं की निशुल्क यात्रा के लिए सब्सिडी देती है। परिवहन विभाग से डीटीसी को 225.31 करोड़ की वसूली करनी थी, लेकिन नहीं की गई। इसमें किराये की रकम के साथ-साथ, सर्विस टैक्स और क्लस्टर बसों के परिचालन व पार्किंग स्थान के ट्रांसफर के लिए शुल्क शामिल था। इसके अलावा 6.26 करोड़ रुपये का संपत्तिकर और ग्राउंड रेंट 4.62 करोड़ रुपये की रकम परिवहन विभाग को वाहनों की आपूर्ति की एवज में बकाया थी।

परिचालन में लापरवाही से बढ़ा घाटा : भाजपा

दिल्ली विधानसभा में पेश हुई डीटीसी की कैग रिपोर्ट पर सोमवार को चर्चा के दौरान दिल्ली की भाजपा सरकार ने पिछली आप सरकार पर जमकर हमला बोला। सदन में चर्चा की शुरूआत भाजपा विधायक हरीश खुराना ने की। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कैग रिपोर्ट को सदन में पेश किया। चर्चा के दौरान मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि कैग रिपोर्ट ‘आप’ सरकार की नाकामी और प्रशासनिक खामियों को उजागर करती है, जिससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ा और जनता को नुकसान हुआ।

कैग ने की पुष्टि, संचालन में नहीं हुआ घोटाला : आप

‘आप’ ने कैग रिपोर्ट के आधार पर भाजपा के आरोपों को नकार दिया है। आम आदमी पार्टी ने कहा कि कैग रिपोर्ट ने यह पुष्टि कर दी है कि डीटीसी के संचालन में कोई घोटाला या भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। वर्ष 2021 में भाजपा ने एक हजार नई लो-फ्लोर बसों की खरीद में घोटाले का झूठा आरोप लगाया था। इसके बाद एलजी ने सीबीआई जांच का आदेश दिया और अधिकारियों को प्रस्ताव को स्थगित करने के लिए मजबूर किया, जिससे बस खरीद में देरी हुई।

राजस्व कमाने के मौके गंवाए

रिपोर्ट के मुताबिक, परिवहन निगम ने राजस्व अर्जित करने के मौकों को गंवाकर भी आर्थिक नुकसान किया है। विज्ञापन के लिए अनुबंध आवंटन में देरी की गई और डिपो में उपलब्ध स्थान का व्यावसायिक उपयोग करने की योजना भी नहीं बनाई गई। इसकी वजह से करोड़ों का नुकसान हुआ है। डीटीसी को जीएसटी में छूट प्राप्त सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का गलत लाभ लेने के कारण 63.10 करोड़ का ब्याज और जुर्माना भरना पड़ा। नई बसों की खरीद के टेंडरों को अंतिम रूप देने में निर्णय लेने में देरी हुई। इससे भी नुकसान उठाना पड़ा।

रिपोर्ट में आमदनी बढ़ाने के लिए सुझाव भी दिए गए

● बसों के बेहतर संचालन और आमदनी बढ़ाने के लिए अल्प कालीन और दीर्घ कालीन योजनाएं तैयार की जाएं।

● गैर-यातायात राजस्व बढ़ाने, नई संभावनाओं की तलाश करने और व्यावसायिक उपयोग की लंबित परियोजनाएं बनाकर लागू हो।

● बसों की संख्या को बढ़ाया जाए।

● लोड फैक्टर की समय-समय पर समीक्षा कर बसों के रूटों को दोबारा व्यवस्थित किया जाए।

दिल्ली परिवहन निगम को घाटे के प्रमुख कारण

● बसों की संख्या घटती रही, नई बसों की नहीं हुई खरीद।

● एनसीआर के पड़ोसी शहरों के रूटों पर बसों का संचालन बंद किया।

● परिचालन के अलावा डीटीसी के अन्य संसाधनों से विज्ञापन, किराये व अन्य आमदनी के नए अवसर नहीं तलाश किए।

● माइलेज कम होने से सीएनजी का खर्च बढ़ा, 122 करोड़ अतिरिक्त खर्च।

● वर्ष 2009 के बाद से डीटीसी बसों का किराया नहीं बढ़ाया गया।

 

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