Hindi Newsदेश न्यूज़NSA ajit Doval says india was not partitioned if netaji were alive

गांधी को दी चुनौती, जिंदा रहते तो न बंटता देश; सुभाष चंद्र बोस पर NSA डोभाल ने कही बड़ी बात

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिंदा होते तो भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता। डोभाल ने पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मृति व्याख्यान में ये बात कही।

Deepak लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSat, 17 June 2023 06:24 PM
share Share

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिंदा होते तो भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता। डोभाल ने शनिवार को एसोचैम द्वारा आयोजित पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए यह बात कही। डोभाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि नेताजी ने अपने जीवन के विभिन्न चरणों में दुस्साहस दिखाया और गांधी को चुनौती देने का दुस्साहस किया। उन्होंने कहा, लेकिन गांधी अपने राजनीतिक कॅरियर के शीर्ष पर थे। फिर बोस ने इस्तीफा दे दिया और जब वह कांग्रेस से बाहर आए तो उन्होंने नए सिरे से अपना संघर्ष शुरू किया। डोभाल ने कहा कि मैं अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, लेकिन भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास में ऐसे लोगों की तुलना बहुत कम है, जिन्होंने वर्तमान के खिलाफ आगे बढ़ने का दुस्साहस किया था, न कि आसान धारा के खिलाफ। उन्होंने कहा कि नेताजी अकेले व्यक्ति थे, जापान के अलावा उनका समर्थन कोई देश नहीं था। 

जिन्ना भी स्वीकार करते थे
अजीत डोभाल ने कहा कि उनके दिमाग में विचार आया कि मैं अंग्रेजों से लड़ूंगा, मैं आजादी के लिए भीख नहीं मांगूंगा। यह मेरा अधिकार है और मुझे इसे हासिल करना होगा। सुभाष बोस के रहते भारत का बंटवारा नहीं होता। जिन्ना ने कहा था कि मैं केवल एक नेता को स्वीकार कर सकता हूं और वह सुभाष बोस हैं। उन्होंने कहा कि एक सवाल अक्सर दिमाग में आता है कि जीवन में हमारे प्रयास मायने रखते हैं या परिणाम। कोई भी सुभाष चंद्र बोस पर महान प्रयासों पर संदेह नहीं कर सकता है, गांधी भी उनके प्रशंसक थे। लेकिन लोग अक्सर आपको उन परिणामों से आंकते हैं, जो आपके काम से आए हैं। तो क्या सुभाष बोस की कोशिश बेकार हो गई?

पीएम मोदी से भी जोड़ा
डोभाल ने कहा कि बोस का संयुक्त भारत का नजरिया उनके प्रसिद्ध नारे 'कदम कदम बढ़ाए जा' में समाहित है। उन्होंने कहा कि बोस ने लोगों को अपने देश के लिए लड़ने, स्वतंत्रता पाने के लिए एकजुट होने की प्रेरणा दी।  एनएसए ने कहा कि बोस एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे और वह अत्यधिक धार्मिक थे। डोभाल ने कहा कि जब 1928 में लोगों में बात होने लगी कि आजादी के लिए कौन लड़ेगा, तो बोस आगे आए। वह बोले कि लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता बदलने की जरूरत है। उन्हें स्वतंत्र पक्षियों की तरह महसूस करने की जरूरत है। एनएसए ने कहा कि उनकी मौत के बाद भी मुझे नहीं पता कि कब-हम राष्ट्रवाद के विचारों से डरते हैं, जो विचार उन्होंने पैदा किए और कई भारतीय उस रास्ते पर चले गए होंगे। एनएसए ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी इसे पुनर्जीवित करने के इच्छुक हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें