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मौके का फायदा उठा सकता है पाकिस्तान, बासमती चावल निर्यात पर सरकार के फैसले से किसान क्यों परेशान

केंद्र सरकार और बासमती चावल उगाने वाले किसानों के बीच ठनती नजर आ रही है। इस तनाव की वजह बना है सरकार का एक फैसला। इसके तहत बासमती चावल की मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 1200 डॉलर प्रति टन तय कर दी गई है।

Deepak लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSun, 15 Oct 2023 05:16 PM
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केंद्र सरकार और बासमती चावल उगाने वाले किसानों के बीच ठनती नजर आ रही है। इस तनाव की वजह बना है सरकार का वह फैसला, जिसके तहत बासमती चावल की मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 1200 डॉलर प्रति टन तय कर दी गई है। इसके चलते वर्तमान में बाजार में आ रही बासमती 1509 और 1718 वैरायटी की कीमतें 300 रुपए प्रति टन तक गिर चुकी हैं। किसान सरकार के इस फैसले से बेहद निराश हैं और उनका दावा है कि यह बासमती उत्पादकों के हितों को कमजोर करता है जो पंजाब को पानी की अधिक खपत वाली धान की फसलों से कम अवधि वाली बासमती किस्म की ओर ले जाने में योगदान दे रहे हैं। पिछले हफ्ते तक कीमतों में 500 से 600 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। इसके अलावा बड़ी आशंका इस बात को लेकर भी है कि बासमती के बाजार में पाकिस्तान भारत को पीछे छोड़ सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में घटी मांग
उल्लेखनीय है कि बासमती फसलों की खरीद सरकार द्वारा नहीं बल्कि निजी व्यापारियों और निर्यातकों द्वारा की जाती है। निर्यातकों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में दरों में कमी जारी रहेगी। अधिक एमईपी के चलते भारतीय निर्यातकों को हाल के दो अंतरराष्ट्रीय खाद्य मेलों से खाली हाथ लौटना पड़ा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खरीदारों ने पाकिस्तान का रुख किया। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने आरोप लगाया कि सरकार देश से बासमती के निर्यात को नष्ट करने पर तुली हुई है। सेतिया ने कहा कि इस साल सभी ऑर्डर पाकिस्तान को मिल रहे हैं जिसने इस सीजन में बासमती का रकबा पहले ही बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि 70 फीसदी भारतीय बासमती का निर्यात 700 डॉलर से 1,200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के दायरे में किया जा रहा है। ऐसे में उच्च एमईपी पर एक्सपोर्ट ऑर्डर की संभावना नहीं है। 

सिफारिशों का पालन नहीं
विजय सेतिया ने आगे कहा कि इंडस्ट्री इस बात को लेकर परेशान है कि केंद्र सरकार हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश का दौरा करने और नए एमईपी को लागू करने के बाद बासमती उद्योग की स्थिति का आकलन करने के बाद केंद्रीय टीमों द्वारा प्रदान की गई सिफारिशों का पालन नहीं कर रही है। सेतिया ने कहा कि सरकार जानती है कि कैसे हमारे निर्यातक दो अंतरराष्ट्रीय खाद्य मेलों के दौरान कई देशों में भारतीय बासमती की भारी मांग के बावजूद एक भी निर्यात ऑर्डर प्राप्त किए बिना खाली हाथ लौट आए। पहला मेला तुर्की के इस्तांबुल में 6 से 9 सितंबर के बीच लगा था। वहीं, दूसरा मेला दूसरा इराक में 19 से 21 सितंबर तक आयोजित किया गया था।

ऐसा है फैसला
केंद्र ने 25 अगस्त को बासमती चावल पर एमईपी लागू किया। इसने पंजाब और हरियाणा जैसे बासमती का निर्यात करने वाले प्रदेश के किसानों को चिंता में डाल दिया। निर्यातकों की लगातार मांग के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 25 सितंबर को 850 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के एमईपी का संकेत दिया था। लेकिन शनिवार को उपभोक्ता मामले और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत आने वाले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया। इसमें कहा गया कि बासमती चावल के लिए पंजीकरण कम आवंटन सर्टिफिकेट के लिए व्यवस्था (जो 25 अगस्त को जारी की गई थी) 15 अक्टूबर के बाद भी अगले आदेश तक जारी रह सकती है। हालांकि, जब करीब तीन हफ्ते सप्ताह तक इस फैसले के बारे में कोई नोटिफिकेशन नहीं आया तो शुक्रवार को बासमती की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई। वजह, एक्सपोर्टर्स को आशंका थी कि सरकार का फैसला प्रतिकूल हो सकता है। 

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