UN में हिंदी वाला भाषण, पोखरण में परमाणु परीक्षण; ऐसे ही नहीं अमर है अटल बिहारी वाजपेयी का नाम
- आज ही के दिन पाकिस्तान के पूर्व PM नवाज शरीफ भी पैदा हुए थे। यह भी अपने आप में दिलचस्प है कि दोनों देशों के इन दोनों नेताओं ने आपसी रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए मिलकर प्रयास किए।
AB VAJPAYEE'S 100TH BIRTH ANNIVERSARY: पूरी दुनिया आज यानी 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाती है। इसके साथ ही नए साल के आने की दस्तक सुनाई देने लगती है। लेकिन यह तारीख और भी कई कारणों से ऐतिहासिक है। इतिहास में यह तारीख कई महान विभूतियों के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है। वर्ष 1924 में आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भारतीय राजनीति और इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। आज, 25 दिसंबर को, उनकी जयंती पर उन्हें स्मरण करना एक ऐसे नेता को सम्मान देना है, जिसने अपने जीवन को भारत की सेवा में समर्पित कर दिया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक कवि और शिक्षक थे। वाजपेयी ने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक किया और फिर कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। उनकी ओजस्वी वाणी और काव्य लेखन की प्रतिभा ने उन्हें शुरू से ही एक अलग पहचान दी।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
अटल ने अपनी राजनीतिक यात्रा 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेकर शुरू की। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सक्रिय सदस्य रहे और बाद में भारतीय जनसंघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन हुआ, तो वाजपेयी जी इसके संस्थापक सदस्य बने।
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1996 में केवल 13 दिनों का था, लेकिन 1998 और 1999 में उन्होंने दो बार सरकार का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। उनके शासनकाल में भारत ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं:
पोखरण परमाणु परीक्षण (1998): अटल जी के साहसिक नेतृत्व में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया, जिससे भारत ने अपनी सामरिक शक्ति को विश्व के सामने स्थापित किया।
कारगिल युद्ध (1999): अटल के नेतृत्व में भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की। उनका धैर्य और कूटनीति ने इस युद्ध में भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन दिलाया।
सड़क विकास परियोजनाएं: उन्होंने 'स्वर्णिम चतुर्भुज योजना' शुरू की, जिसने देश की सड़क परिवहन व्यवस्था को एक नई दिशा दी।
रोचक किस्से
कविता और राजनीति का संगम: अटल बिहारी वाजपेयी एक अद्भुत कवि थे। एक बार संसद में विपक्ष के कटाक्ष के जवाब में उन्होंने अपनी कविता सुनाई, जिससे विपक्ष भी उनकी काव्य प्रतिभा का कायल हो गया। उनकी कविताएं “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा” और “गीत नया गाता हूं” आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं।
नेहरू के प्रति सम्मान: 1957 में, जब अटल पहली बार संसद पहुंचे, तो उनकी भाषण शैली ने पंडित नेहरू तक को प्रभावित किया। नेहरू जी ने कहा था, "यह युवक एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा।" उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई।
पाकिस्तान के प्रति उनका दृष्टिकोण: वाजपेयी ने 1999 में लाहौर बस यात्रा के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के संबंध सुधारने का प्रयास किया। अटल का "लाहौर बस यात्रा" का फैसला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने अपनी कविता के अंदाज में कहा था, "हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।" यह कदम शांति और आपसी समझ बढ़ाने का प्रतीक बन गया। हालांकि, कारगिल युद्ध के कारण यह प्रयास बाधित हुआ, लेकिन उनके साहस और शांति प्रयासों को विश्वभर में सराहा गया।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण: 1977 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया, तो यह ऐतिहासिक क्षण बन गया। यह पहली बार था जब किसी भारतीय नेता ने हिंदी में दुनिया के सामने भारत की बात रखी। उनके इस भाषण की गूंज आज भी सुनाई देती है।
एक सच्चे विपक्षी नेता का परिचय: विपक्ष में रहते हुए भी अटल जी ने हमेशा सकारात्मक राजनीति की। जब भारत-चीन युद्ध हुआ, तो उन्होंने पंडित नेहरू का समर्थन किया और पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी।
अटल जी का साहित्यिक योगदान
अटल बिहारी वाजपेयी केवल राजनेता ही नहीं, बल्कि एक अद्भुत कवि और लेखक भी थे। उनकी रचनाओं में “मेरी इक्यावन कविताएं” और “संकल्प काल” प्रमुख हैं। उनकी कविताओं में जीवन के संघर्ष, आशा और प्रेरणा की झलक मिलती है।
अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उन्होंने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी और इसे आदर्शों और मूल्यों से समृद्ध किया। उनके जैसा नेता मिलना दुर्लभ है, और उनके योगदान को देश सदैव याद रखेगा।