जनरल साहब ये आपने क्या किया, परवेज मुशर्रफ से क्यों बोले थे अटल बिहारी वाजपेयी? पूर्व राजनयिक ने बताई कहानी
आगरा में 2001 में हुए शिखर सम्मेलन के दौरान मुशर्रफ ने भारतीय मीडिया को इंटरव्यू दिया। इसके बाद इंटरव्यू में बयान के बारे में जब अटल को पता लगा तो उन्होंने मुशर्रफ को टोक दिया।
बालाकोट में हुए आतंकी हमले के दौरान पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त और कई बड़े पदों पर रहे राजनयिक अजय बिसारिया ने भारत और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर कई खुलासे किए हैं। उन्होंने 2001 में आगरा में हुई दोनों देशों के बीच शिखर वार्ता को याद करते हुए कहा कि पाक के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ से अटल बिहारी वाजपेयी ने सीधा कहा था, जनरल साहब ये आपने क्या कर दिया? उन्होंने कहा कि कश्मीर को लेकर आधारहीन आक्रामक रवैये की वजह से इस सम्मेलन का कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था।
बिसारिया ने कहा, जुलाई 2001 में आगरा में चल रहे शिखऱ सम्मेलन के दूसरे दिन मुशर्रफ ने भारतीय मीडिया से बात करने का फैसला किया। सुबह के नाश्ते के दौरान वह भारतीय संपादकों से बात कर रहे थे। इस बातचीत में मुशर्रफ ने कश्मीर के आतंकियों की तुलना स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों से कर दी। बिसारिया ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध ना सुधरने की वजह में यह भी शामिल था।
अजय बिसारिया ने कहा कि उन्हें इस बात की जिम्मेदारी दी गई थी कि वह हर बात की जिम्मेदारी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दें। बिसारिया ने इस इंटरव्यू के बारे में प्रधानमंत्री को सारी जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने टीवी पर चलने वाले फुटेज भी दिखाए। इसके बाद पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने मुशर्रफ से कहा, जनरल साहब, ये आपने क्या किया। बाद में इस सम्मेलन का कोई निष्कर्ष भी नहीं निकल पाया। दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के उद्देश्य से आयोजित किया गया सम्मेलन एक तरह से फेल हो गया।
बिसारिया ने यह भी कहा कि उस वक्त के गृह मंत्री एलके आडवाणी इस बात से परिचित थे कि मीडिया मुशर्रफ को शांति का दुश्मन दिखाने का प्रयास करेगा। बाद में कश्मीर के मामले में आगे के कदम को लेकर पाकिस्तान के प्रस्ताव पर पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और जसवंत सिंह समहमत भी हो गए थे लेकिन गृह मंत्री रहे एलके आडवाणी ने इसे आगे बढ़े से रोक दिया।
बिसारिया ने पूरा वाकया बयां करते हुए कहा, जब प्रधानमंत्री वाजपेयी और मुशर्रफ बात कर रहे थे तभी एनडीटीवी पर उनके इंटरव्यू का भी फुटेज चल रहा था। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी। तभी प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ब्रजेश मिश्रा ने मुझसे कहा कि जाकर प्रधानमंत्री को इस बात की जानकारी दें। उन्होंने कुछ लिखकर मुझे दिया। मैं पर्चा लेकर कमरे के अंदर दाखिल हुआ। दोनों के बीच बातचीत रुक गई। प्रधानमंत्री ने मेरी तरफ देखा। मैंने कहा, कुछ जरूरी बात है। मैंने उन्हें पेपर दिया। उन्होंने पेपपर पर देखा और कहा, जनरल साहब ये आपने क्या किया। इसके बाद यहीं से बात बिगड़ गई और उस सम्मेलन का कोई परिणाम नहीं निकल सका।
बिसारिया ने 2004 की वाजपेयी की इस्लामाबाद यात्रा का बारे में भी बताया। इस यात्रा के दौरान पाकिस्तान ने भी शांति समझौते पर साइन किए थे और कहा था कि वह भारत के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल नहीं करेगा। उन्होंने कहा, आगरा सम्मेलन का फायदा यह हुआ कि वाजपेयी ने तानाशाह मुशर्रफ के विचार समझ लिए। वह जान गए थे कि कश्मीर के बारे में कोई समझौता होना आसान नहीं है। ऐसे में उन्होंने पाकिस्तान को इ बात के लिसए सहमत किया कि वह आतंकवाद बंद करे। मुशर्रफ आतंकवाद को पहले तवज्जो ही नहीं देना चाहते थे। वह आतंकवाद को भी कश्मीर के आंदोलन से जोड़ देते थे। इसी बात से एलके आडवाणी को भी दिक्कत थी।