जब गांव की सड़क बनवाने गवर्नर के पास पहुंच गए थे अटल बिहारी वाजपेयी, सामने ही कर दी थी चुनाव की मांग
Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है और लोग उन्हें श्रद्धा से याद कर रहे हैं।
बात 1993 की है। अटल बिहारी वाजपेयी लोकसभा में नेता विपक्ष थे और लखनऊ से सांसद थे। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू था। 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी विध्वंस के बाद केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने यूपी की कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। तब शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति थे और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे मोती लाल वोरा उत्तर प्रदेश के गवर्नर थे।
राजभवन में नाश्ते पर न्योता
वोरा अपने मिलनसार व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। उन्होंने राजभवन के दरवाजे आमजनों के लिए भी खुलवा दिए थे। वह इससे पहले केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए उन्होंने लिखा था कि जब वह गवर्नर थे, तब एक शनिवार लखनऊ पहुंचकर वाजपेयी जी ने फोन किया था और मिलने की इच्छा जताई थी। वोरा लिखते हैं, "फोन पर अटल जी ने कहा, वोरा जी मैं आपसे मिलना चाहता हूं। मैंने कहा, जब आपकी इच्छा हो, आइए। इसके बाद मैंने सुझाव दिया कि यदि कल सुबह साढ़े आठ बजे आ जाएं तो हम साथ नाश्ता भी कर लेंगे और बातचीत भी इत्मीनान से हो जाएगी।"
राजभवन में अटलजी ने सुनाई पीड़ा
मोतीलाल वोरा जी के मुताबिक, "अगले दिन सुबह अटल जी राजभवन पहुंच गए। नाश्ते के बीच वह कहने लगे कि वोरा जी मेरी कोई यहां सुनता नहीं है। सांसद निधि से मैंने काफी पैसा दिया लेकिन वह कहां खर्च किया गया, कोई जानकारी नहीं देता। इस पर मैंने कहा, आप निश्चिंत रहिए, आगे से कोई शिकायत नहीं आएगी। इसके बाद अटल जी ने कहा, लखनऊ का एक गांव है इंटौजा। वहां की सड़क बहुत खराब है। इस सड़क को बनवाने की मेरी मांग मुख्यमंत्रियों से लेकर अन्य सबने सुनी लेकिन वह सड़क आज तक बनी नहीं। मैं चाहता हूं कि राष्ट्रपति शासन में यह सड़क बन जाए। इससे मेरे क्षेत्र का एक बड़ा काम हो जाएगा।"
भूमि पूजन में साथ गए वोरा और वाजपेयी
बकौल तत्कालीन गवर्नर बोरा, उन्होंने तुरंत अधिकारियों को इंटौजा की सड़क बनवाने का निर्देश दिया। अगले ही सप्ताहांत में वहां सड़क निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ। उस समारोह में मोती लाल वोरा और अटल बिहारी वाजपेयी दोनों पहुंचे थे। गांव में एक सभा रखी गई थी, जिसमें कांग्रेस और बीजेपी, दोनो पार्टियों के लोग थे और लोग कह रहे थे कि राज्य में राष्ट्रपति शासन अभी और रहना चाहिए, क्योंकि राजभवन में कोई ऐसा व्यक्ति आया है जो आमजनों की सुनता है।
वोरा के सामने की कर दी चुनाव की मांग
जब अटल बिहारी वाजपेयी ने भाषण देना शुरू किया तो उन्होंने कहा, मैं मोती लाल वोरा जी को वर्षों से जानता हूं और इस बात से सहमत हूं कि राजभवन में वह बखूबी अपना काम कर रहे हैं लेकिन मैं इस बात से कतई सहमत नहीं हूं कि राष्ट्रपति शासन लंबा खिंचना चाहिए। मेरी मान्यता है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की जगह चुनी हुई सरकार होनी चाहिए। उन्होंने वोरा जी के सामने ही राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की मांग कर दी थी। इसके कुछ दिन बाद ही राज्य में 12वीं विधानसभा के चुनाव हुए, जिसमें सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। चुनाव के बाद मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बनाए गए थे।