अनिल विज पर ऐक्शन के मूड में भाजपा हाईकमान, बस इस तारीख के बीतने का इंतजार?
- भाजपा सूत्रों ने कहा कि उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजकर इसलिए जवाब मांगा गया कि यदि उनके तेवर नरम पड़े तो ठीक है अन्यथा ऐक्शन लिया जाएगा। लेकिन 2 मार्च को हरियाणा में नगर निकाय के चुनाव हैं। ऐसे में सरकार और संगठन नहीं चाहता कि उससे पहले अनिल विज के खिलाफ कोई ऐक्शन लेने संभावनाएं कमजोर की जाएं।
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हरियाणा की भाजपा सरकार में अकसर अपने बयानों से असहजता पैदा करने वाले वरिष्ठ नेता अनिल विज पर क्या अब ऐक्शन लेने की तैयारी है? हरियाणा में भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच यह सवाल तैर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अनिल विज का अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलना कोई पहली बार नहीं है। मनोहर लाल खट्टर के दो कार्यकालों के दौरान भी उन्होंने सरकार से असहमति रखने वाली कई बातें खुलकर की थीं। फिर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाए जाने पर तो खुलकर नाराजगी जाहिर की। अपने को वरिष्ठ नेता बताते हुए उनकी सरकार में काम करने से ही मना कर दिया था। मंत्री पद की शपथ लेने नहीं पहुंचे थे। फिर किसी तरह मनाया गया तो इस बार वह मंत्री बने हैं, लेकिन उनकी विरोध वाली शैली और तीखी हुई है।
बीते 10 सालों में भाजपा हाईकमान ने उन्हें कई मौके दिए हैं, लेकिन अब लगता है कि उन पर ऐक्शन भी हो सकता है। इसकी वजह उन्हें भेजा गया कारण बताओ नोटिस है। भाजपा सूत्रों ने कहा कि उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजकर इसलिए जवाब मांगा गया कि यदि उनके तेवर नरम पड़े तो ठीक है अन्यथा ऐक्शन लिया जाएगा। लेकिन 2 मार्च को हरियाणा में नगर निकाय के चुनाव हैं। ऐसे में सरकार और संगठन नहीं चाहता कि उससे पहले अनिल विज के खिलाफ कोई ऐक्शन लेने संभावनाएं कमजोर की जाएं। अनिल विज का अंबाला शहर में अच्छा प्रभाव है। इसके अलावा करनाल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर समेत पूरे सूबे में ही पंजाबी समुदाय के लोगों के बीच उनकी पकड़ मानी जाती है। इसलिए भाजपा नेतृत्व को लगता है कि 2 मार्च तक इंतजार कर लिया जाए।
अनिल विज को पहली बार ऐसा नोटिस भेजा गया है। इससे पहले पार्टी ने राज्य के प्रभारी सतीश पूनिया को उनसे मीटिंग के लिए भेजा था। इस मीटिंग के बाद अंबाला के डीसी समेत कुछ लोगों के ट्रांसफर भी किए गए। फिर भी अनिल विज के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच अनिल विज ने सीएम सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली को लेकर खूब कॉमेंट किए। पार्टी ने इस पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। नेतृत्व का मानना है कि अनिल विज की चुनाव के बीच बयानबाजी नाराजगी से ज्यादा अनुशासनहीनता का मसला है और हाईकमान इस पर संदेश देना चाहता है। दरअसल अनिल विज ने नायब सिंह सैनी के अलावा बड़ौली और मनोहर लाल खट्टर को भी बार-बार निशाने पर लिया है।
अंबाला कैंट से लगातार 7 बार चुने जा चुके अनिल विज मानते हैं कि वह सबसे सीनियर हैं। इसके बाद भी मनोहर लाल खट्टर से लेकर सैनी तक को सीएम बनाने से वह नाराज हैं। खासतौर पर सैनी के प्रमोशन के बाद से ही उनके बागी तेवर हैं। अनिल विज को नोटिस प्रदेश लीडरशिप की ओऱ से जारी हुआ, लेकिन उन्होंने जवाब दिल्ली भेजा है। इससे भी उनके तेवर दिखे हैं और अब पर कतरने के लिए हाईकमान की पहल पर कुछ ऐक्शन हो सकता है। फिलहाल 2 मार्च तक अनिल विज के विरोधी नेताओं को भी चुप्पी साधने को कहा गया है। साफ है कि निकाय चुनाव निपटने के बाद अनिल विज पर कोई सख्त फैसला हो सकता है।