पेसा विचार गोष्ठी: मंत्रियों ने दिया भरोसा- जिस उद्देश्य से संसद में लागू हुआ, उसी तरह राज्य में भी होगा
झारखंड में पेसा कानून को लागू करने के लिए पंचायती राज विभाग द्वारा कार्यशाला आयोजित की गई। मंत्री दीपक बिरुआ ने सरकार की प्रतिबद्धता जताई और सुझावों को स्वीकार करने की बात कही। स्कूली शिक्षा मंत्री...

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो । पंचायती राज विभाग की ओर से गुरुवार को पेसा विचार गोष्ठी पर कार्यशाला हुई। इसमें राजस्व व भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि सरकार सुझावों पर अमल करेगी। पेसा कानून को राज्य में लागू करने में समय लग रहा है, लेकिन इसे दुरुस्त तौर पर लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसे गंभीरता से ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस रूप और उद्देश्य से संसद में यह लागू हुआ है, उसी तरह झारखंड में भी लागू होगा। पेसा कानून में ग्रामीण परिवेश की भी सहभागिता हो। गांव में भी जाकर पूछे और उनसे भी सुझाव लें।
इसके बाद विस्तार से समाहित कर इसे लागू करें। इससे पहले पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे ने कार्यशाला का विशेष विषय प्रवेश किया। उन्होंने झारखण्ड के संदर्भ में इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला। वहीं, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, खूंटी ने झारखण्ड सरकार द्वारा तैयार ड्राफ्ट पेसा नियमावली, 2024 पर प्रस्तुतीकरण दिया। प्रारूप में संशोधन कर सहमति बनाएं : रामदास स्कूली शिक्षा व साक्षरता मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि पेसा कानून लागू करने के लिए महागठबंधन सरकार पहल कर रही है। कार्यशाला में जो सुझाव आए हैं सरकार उसे ग्रहण करती है। पेसा एक्ट का जो प्रारूप उपलब्ध कराया गया है उस पर संशोधन करते हुए सरकार विचार करेगी। राज्य में जल्द से जल्द आम लोगों के विचार पर सहमति से पेसा एक्ट कानून का पूर्ण रूप से संशोधन कर आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। जवाबदेही और जिम्मेवारी करनी होगी तय : शिल्पी कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि हमें जवाबदेही और जिम्मेदारी तय करनी होगी। वर्तमान पेसा कानून को लेकर जो उलझनें हैं उसे सुलझा पाना इतना आसान नहीं है। लेकिन, सरकार ने सकारात्मक सोच के साथ आलोचनाओं को आमंत्रित किया है। विकास में आदिवासी-मूलवासी की परंपरा और संस्कृति का संरक्षण भी शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिलीप सिंह भूरिया समिति की रिपोर्ट में राज्य सरकार और ग्राम सभा के बीच बेहतर समन्वय की जानकारी मिलेगी। कानून में आदिवासी और मूलवासी का संरक्षण तय किया गया है। आदिवासी समाज में सामूहिकता की भावना होती है। आज जरूरत है तो अपने दायित्व और जिम्मेवारी को समझने की। जमीनी स्तर पर आदिवासियों से लें सुझाव : के. राजू कांग्रेस के झारखंड प्रभारी सह राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व अपर सचिव के. राजू ने कहा कि पेसा नियमावली को ग्राम स्तर के अंतिम व्यक्ति तक से विचार-विमर्श करते हुए तैयार करें। आदिवासी समुदाय से इस पर सुझाव लें। झारखंड पंचायती राज एक्ट 2001 का संशोधन करना होगा। वह सौ फीसदी पेसा एक्ट नहीं है। शिड्यूल एरिया के लिए नया एक्ट भी ला सकते हैं। जमीन अधिग्रहण में कंसर्न लेना होगा और इसे कानून में रखना होगा। ऐसा नहीं करने पर आदिवासी का विरोध होगा और उनकी नाराजगी झेलनी पड़ेगी।
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