बिकने वाले हैं एयरटेल के 47 मिलियन से ज्यादा शेयर, 16 मई को डील पर लगेगी मुहर
31 मार्च, 2025 तक, पेस्टल के पास कंपनी में 9.49% हिस्सेदारी थी, जबकि प्रमोटर की हिस्सेदारी 52.43% थी। सिंगटेल की बात करें तो यह भारती एयरटेल की प्रवर्तक कंपनी भारती टेलीकॉम में भी शेयरधारक है।
टेलीकॉम सेक्टर की दिग्गज भारती एयरटेल शुक्रवार को एक ब्लॉक डील करने वाली है। इसके तहत एयरटेल की प्रमोटर इकाई, सिंगापुर की पेस्टल अपनी हिस्सेदारी का लगभग 0.8% (47.6 मिलियन शेयर) बेचेगी। बता दें कि पेस्टल, सिंगापुर टेलीकम्युनिकेशंस (सिंगटेल) की एक अप्रत्यक्ष पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। 31 मार्च, 2025 तक, पेस्टल के पास कंपनी में 9.49% हिस्सेदारी थी, जबकि प्रमोटर की हिस्सेदारी 52.43% थी। सिंगटेल की बात करें तो यह भारती एयरटेल की प्रवर्तक कंपनी भारती टेलीकॉम में भी शेयरधारक है।
डिस्काउंट पर बिकेंगे शेयर
मीडिय रिपोर्ट के मुताबिक शेयरों की पेशकश 1,800 रुपये प्रति शेयर के न्यूनतम मूल्य पर की जाएगी, जो एनएसई पर गुरुवार के बंद भाव 1,867.20 रुपये से 3.60% डिस्काउंट को दिखाता है। इसके अलावा बीएसई पर 1,866.80 रुपये से 3.6% डिस्काउंट पर है।
वोडाफोन आइडिया के एजीआर पर ये अपडेट
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया की करीब 30,000 करोड़ रुपये का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया माफ करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ से वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आग्रह किया था कि याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है।
दूरसंचार कंपनी ने अपने एजीआर बकाये के ब्याज, जुर्माने और जुर्माने पर ब्याज के तौर पर करीब 30,000 करोड़ रुपये की राशि माफ करने की गुहार लगाई है। रोहतगी ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए याचिकाकर्ता कंपनी का अस्तित्व में रहना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हाल ही में बकाया ब्याज को इक्विटी हिस्सेदारी में बदले जाने के बाद अब कंपनी में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर 49 प्रतिशत हो चुकी है।
पहले खारिज हो चुकी है याचिका
इसके पहले शीर्ष अदालत ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया सहित दूरसंचार कंपनियों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था जिनमें देय एजीआर बकाया की गणना में कथित त्रुटियों को सुधारने का अनुरोध किया गया था। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने 2021 के अपने आदेश की समीक्षा करने से भी इनकार कर दिया था।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इस साल 28 जनवरी को 2021 के आदेश की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।