RJD 150 से कम नहीं, कांग्रेस मांगे 70; महागठबंधन में 2020 के स्ट्राइक रेट से उलझ रही सीट शेयरिंग
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी ने पिछले चुनाव के स्ट्राइक रेट को हथियार बनाया है। कांग्रेस बीते विधानसभा चुनाव में 70 सीट पर लड़कर 19 जीती थी, जबकि माले 19 में 12 सीटें थी। ऐसे में कांग्रेस इस बार 35-40, माले को 30-35 सीट मिल सकती है। वहीं आरजेडी 150 से ज्यादा सीटों पर लड़ने को इच्छुक हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव में भले ही अभी कई महीने बाकी हों, लेकिन आने वाले दिनों में महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी तय मानी जा रही है। लालू यादव की आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर जुबानी जंग भी शुरू हो गई है। आरजेडी के सूत्रों ने बताया कि पिछले चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और 75 सीटें जीती थी। बेहतर स्ट्राइक रेट के लिए इस बार 150 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। वहीं कांग्रेस, वाम दलों और अन्य सहयोगियों को 2020 के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन के आधार पर सीटें दी जाएं।
आपको बता दें 2020 के विधानसभा चुनावों में आरजेडी ने 144 सीटों, कांग्रेस ने 70 सीटों, भाकपा-माले (लिबरेशन) ने 19 सीटों, भाकपा ने छह सीटों और माकपा ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था। राजद के रणनीतिकारों को लगता है कि भाकपा माले जो बिहार की प्रमुख वामपंथी पार्टी है, उसका स्ट्राइक रेट कांग्रेस से कहीं बेहतर है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर लड़कर 12 सीटें जीती थीं। वहीं कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 19 सीटें जीती थीं। राजद के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पार्टी अन्य सहयोगियों को सीटें आवंटित करने के लिए 'स्ट्राइक रेट' फॉर्मूला लागू करने की इच्छुक है। जिसके तहत, कांग्रेस को इस बार 35-40 सीटें दी जा सकती हैं, और भाकपा माले को 30-35 सीटें दी जा सकती हैं, जबकि बाकी 18-20 सीटों में सीपीआई-सीपीएम और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को समेटा जा सकता है।
राजद के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, पार्टियों का स्ट्राइक रेट सीट बंटवारे के लिए अहम फैक्टर होना चाहिए। क्योंकि राज्य चुनावों में किसी भी गठबंधन के सत्ता में आने के लिए जीतने की क्षमता जरूरी है। बेशक, राजद इस बार 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी सीटों पर अन्य सहयोगियों को समायोजित किया जाएगा।
ऐसे में महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के बीच तकरार दिखने लगी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने हाल ही में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि इंडिया अलायंस 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बनाया गया था और वहीं तक सीमित था। जिसका मतलब है कि विपक्षी दलों के गठबंधन का खाका उन राज्यों में लागू नहीं किया जा सकता है, जहां गठबंधन के दलों का प्रभुत्व और मजबूती अलग-अलग है। तेजस्वी ने यह बयान दिल्ली चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच जारी घमासान को लेकर दिया था।
वहीं तेजस्वी के बयान पर कांग्रेस की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। इससे पहले इंडिया अलायंस का नेतृत्व पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के हाथों में देने के मुद्दे पर भी कांग्रेस नाराज चल रही है। हालांकि ममता के प्रस्ताव का समर्थन लालू यादव, तेजस्वी यादव समेत इंडिया गठबंधन की तमाम सहयोगी पार्टियों ने किया है।
सीट बंटवारे से पहले तेजस्वी का बयान कांग्रेस को रास नहीं आया है। जिसके चलते बिहार में आरजेडी-कांग्रेस के गठबंधन पर भी सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस भी कहने लगी है कि गठबंधन में कोई छोटा-बड़ा भाई नहीं होता है। गठबंधन में सब बराबर हैं, इसी शर्त पर अलायंस हुआ था। कांग्रेस ये भी साफ कर चुकी है कि पिछले चुनाव की तरह 70 से कम सीटों पर इस बार भी कोई समझौता नहीं होगा। साथ ही उस संभावना को भी खारिज कर दिया कि कांग्रेस को 35-40 सीटों की पेशकश की जा सकती है। बिहार कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि यह सब महज अटकलें हैं।
हालांकि, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि राज्य कांग्रेस नेतृत्व सीट बंटवारे की बातचीत में 2020 के चुनाव की तुलना में निश्चित रूप से अधिक सीटों की मांग करेगा, लेकिन अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेगा। हमारी पार्टी में, केंद्रीय नेतृत्व सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला लेता है।वहीं तेजस्वी ने दोहराया है कि बिहार में महागठबंधन अभी भी जारी है। लेकिन यह तय है कि सीट बंटवारे में माथापच्ची तय है।