प्रशांत किशोर के आरोप पर पटना पुलिस की सफाई, जेल नहीं गए थे, बेल बॉन्ड पर निकले हैं
- प्रशांत किशोर ने कहा था कि उन्हें बेऊर जेल ले जाया गया था लेकिन पुलिस के पास पेपर नहीं थे। कोर्ट का आदेश आया तो पर्सनल बॉन्ड पर छोड़ दिए गए। जिला प्रशासन ने कहा है कि प्रशांत जेल नहीं गए थे।
पटना जिला प्रशासन ने जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर के आरोप पर सफाई में कहा है कि पुलिस प्रशांत किशोर को जेल नहीं ले गई थी बल्कि कोर्ट में जुट गई भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बेऊर थाना ले गई थी। पुलिस ने कहा है कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक प्रशांत को बेल बॉन्ड (निजी मुचलका) भरने के बाद बेऊर थाना से छोड़ दिया गया था। प्रशांत किशोर ने जमानत पर निकलने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि उन्हें पुलिस वाले बेऊर जेल तक लेकर गए थे लेकिन उनके पास कोर्ट के आदेश का पेपर ही नहीं था। पीके ने सरकार से सवाल किया था कि उन्हें बिना पेपर के बेऊर जेल भेजने वालों पर क्या कार्रवाई होगी।
BPSC छात्रों के मुद्दे पर अनशन कर रहे प्रशांत किशोर के आरोप के बाद अब पटना पटना जिला प्रशासन ने बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि प्रशांत किशोर 25000 के निजी मुचलके पर रिहा किए गए थे। प्रशासन की तरफ से साफ किया गया है कि चूकि कोर्ट में अत्यधिक भीड़ थी इसलिए उन्हें वहां से हटाकर बेऊर ले जाया गया था लेकिन बेऊर जेल नहीं बल्कि बेऊर थाने में ले जाया गया था। भीड़ कंट्रोल करने के लिए प्रशांत को बेऊर थाने में रखा गया था और वहां इंतजार किया जा रहा था कि कोर्ट का लिखित आदेश क्या आता है।
पटना जिला प्रशासन की विज्ञप्ति में कहा गया है कि कोर्ट का आदेश मिलने के बाद आरोपी द्वारा जमानत भरने की निर्धारित प्रक्रिया के तहत पीके को रिहा किया गया है। जिला प्रशासन ने यह भी कहा है कि राजनीतिक फायदे के लिए अफवाह फैलाया गया है। प्रशांत किशोर ने रिहाई के बाद मीडिया के सामने जिला प्रशासन पर सवाल उठाया था कि बिना पेपर उनको कैसे बेऊर ले जाया गया और ऐसा करने वालों पर क्या ऐक्शन होगा।
माना जाता है कि पुलिस ने इस मसले पर अपनी स्थिति साफ करने के लिए बयान जारी किया है। जमानत थाने से मिले या कोर्ट से, एक बार गिरफ्तार आरोपी को निजी मुचलका भरना ही होता है। चूंकि पुलिस ने पीके को कोर्ट में पेश किया था, इसलिए कोर्ट का आदेश आने के बाद 25 हजार रूपये का निजी मुचलका (Personal Bond) लेकर छोड़ा गया।
प्रशांत के वकीलों की दूसरे राउंड की जिरह के बाद कोर्ट ने जमानत के लिए आगे धरना-प्रदर्शन नहीं करने वाली शर्तें हटा ली थीं जिसे मानने के बदले पीके ने जेल जाने का मन बनाया था। पीके के वकीलों का कहना था कि उन पर दर्ज मुकदमों में जो धाराएं लगी हैं, उसमें उन्हें थाने से ही बेल मिल जाना चाहिए था, कोर्ट ले जाने की जरूरत ही नहीं थी।