RJD के पोस्टरों में सिर्फ तेजस्वी, लालू प्रसाद यादव गायब; बिहार चुनाव के लिए क्या है रणनीति
- इन पोस्टरों में सिर्फ तेजस्वी यादव की तस्वीर है। इसके अलावा लालटेन की तस्वीर है। कुछ पोस्टरों में तेजस्वी यादव द्वारा किए गए वादों को भी लिखा गया है लेकिन पार्टी के सर्वेसर्वा और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की फोटो नजर नहीं आ रही है।
बिहार में इसी साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल इस चुनाव में पहले से ही अपनी जीत का दंभ भर रही है तो वहीं अन्य पार्टियां भी नीतीश सरकार की घेराबंदी में जुटी हैं। राज्य में बढ़े सियासी हलचल के बीच राष्ट्रीय जनता दल के पोस्टरों की भी काफी चर्चा हो रही है।
दरअसल राजधानी पटना में आरजेडी कार्यालय के बाहर पार्टी की तरफ से कई पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में तेजस्वी यादव को बिहार के लिए जरुरी बताया गया है तो वहीं तेजस्वी को राज्य के अगले सीएम के तौर पर भी दिखाया गया है। लेकिन इन सभी चीजों से ज्यादा इस बात की चर्चा हो रही है कि राजद के कई पोस्टरों से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ही गायब हैं।
इन पोस्टरों में सिर्फ तेजस्वी यादव की तस्वीर है। इसके अलावा लालटेन की तस्वीर है। कुछ पोस्टरों में तेजस्वी यादव द्वारा किए गए वादों को भी लिखा गया है लेकिन पार्टी के सर्वेसर्वा और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की फोटो नजर नहीं आ रही है। हालांकि, कई राजनीतिक विश्लेषक इसे बिहार चुनाव को लेकर राजद की रणनीति के तौर पर भी देख रहे हैं।
विरोधी लालू-राबड़ी शासन की दिलाते हैं याद
दरअसल कई मौकों पर बीजेपी और जदयू के नेता बिहार के लोगों को लालू-राबड़ी शासन की याद दिला राजद पर निशाना साधते हैं। राजद के 2005 के पहले के शासन को जंगलराज कह कर वो तेजस्वी यादव पर भी तंज कसते हैं। माना जा रहा है कि एक रणनीति के तहत राजद ने इस चुनाव से पहले लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की तस्वीरों को गायब कर दिया है ताकि जनता को यह विश्वास दिलाया जा सके कि तेजस्वी के नेतृत्व में राजद बिल्कुल नए तेवर और कलेवर में तैयार है।
ब्रांड तेजस्वी बनाने की कोशिश
इसमें कोई शक नहीं है कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले के मुकाबले अपनी राजनीति को नई धार और चमक दी है। तेजस्वी यादव की पहचान अब तेज-तर्रार नेता के तौर पर बन चुकी है। राजद इस चुनाव में भी ब्रांड तेजस्वी यादव बनाने की कोशिश में है। बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद को ऐसा लग रहा है कि युवा तेजस्वी को आगे कर इस चुनाव में जनता के मूड को पार्टी की तरफ किया जा सकता है।
तेजस्वी इस चुनाव से पहले लगातार कार्यकर्ता संवाद यात्रा भी कर रहे हैं। इस यात्रा को लेकर यह कहा जा रहा है कि कार्यकर्ताओं से मुलाकात के दौरान तेजस्वी खुद उनसे फीडबैक ले रहे हैं और इसी फीडबैक के आधार पर चुनाव के लिए प्रत्याशियों का भी चयन किया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक ब्रांड तेजस्वी के जरिए पार्टी यह भी दिखाना चाहती है कि तेजस्वी अब पार्टी की बागडोर संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
RJD को फायदे की उम्मीद
एक बात यह भी है कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव के समय भी कुछ ऐसे पोस्टर लगे थे जिसमें सिर्फ तेजस्वी यादव ही नजर आ रहे थे। उन पोस्टरों में भी राबड़ी - लालू नहीं थे। भले ही राजद अपनी सरकार नहीं बना पाई थी लेकिन ऐसा माना जाता है कि चुनाव में पार्टी को इसका फायदा जरूर मिला था। राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तेजस्वी यादव खुद भी कहते रहे हैं कि अब राजद 'MY' की नहीं बल्कि ए टू जेड की पार्टी है। राजद अब 2005 से पहले वाली राजद नहीं है। बहराहल राजद की इस नई रणनीति का विधानसभा चुनाव में कितना असर होगा? इसका पता तो चुनाव परिणामों से ही चलेगा।