Hindi Newsबिहार न्यूज़Born in Muzaffarpur study from village became IPS Who was Bihar Gaurav Acharya Kishore Kunal

मुजफ्फरपुर में जन्म, गांव से पढ़कर बने IPS; कौन थे बिहार के गौरव आचार्य किशोर कुणाल

आचार्य किशोर कुणाल का जन्म मुजफ्फरपुर के बरुराज गांव के एक भूमिहार परिवार में 10 अगस्त 1950 को हुआ था। उनके पिता का रामचंद्र शाही किसान और सामाजसेवी थे। किशोर कुणाल आरंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई थी। बरुराज हाई स्कूल से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पटनाSun, 29 Dec 2024 10:11 AM
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बिहार के चर्चित पूर्व आईएएस, प्रसिद्ध आध्यात्मिक शख्सियत और पटना महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने दुनिया को अलविदा कह दिया। हार्ट अटैक से 74 साल की उम्रमें उनका निधन हो गया। जिस महावीर वात्सल्य अस्पताल को उन्हों स्थापित किया वहीं अंतिम सांस ली। आचार्य के निधन से बिहार के धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। मुजफ्फरपुर के एक गांव से पढ़ाई शुरू कर उन्होंने ना सिर्फ आईपीएस बने बल्कि देश के आध्यात्मिक दुनिया में बेहतरीन ख्याति हासिल की। नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और सांसद शांभवी उनकी बहू है जो आचार्य सामाजिक समरसता की भावना का प्रतीक है।

आचार्य किशोर कुणाल का जन्म मुजफ्फरपुर के बरुराज गांव के एक भूमिहार परिवार में 10 अगस्त 1950 को हुआ था। उनके पिता का रामचंद्र शाही किसान और सामाजसेवी थे। उनकी मां रूपमती देवी गृहिणी थी। किशोर कुणाल आरंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई थी। बरुराज हाई स्कूल से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और इंटर की पढ़ाई एलएस कॉजेल मुजफ्फरपुर से की। आगे की पढ़ाई के लिए पटना चले गए। साल 1970 में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में स्नातक की उपाधि हासिल की। उन्होंने संस्कृत का भी गहरा अध्ययन किया। ग्रेजुएशन के साथ ही उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दिया था। पढ़ाई में मेधावी किशोर कुणाल साल 1972 में गुजरात कैडर में भारतीय पुलिस सेवा(आईपीएस) अधिकारी बन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के आणंद जिले में हुई। उन्हें आणंद का एसपी बनाया गया। 1978 में उन्हें अहमदाबाद का पुलिस उपायुक्त बनाया गया।

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किशोर कुणाल साल 1983 में पटना के एसएसपी बनाए गए। आईपीएस के रूप में विभिन्न पदों पर सेवा देते हुए 2001 में उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और धर्म आध्यात्म की दुनिया में आ गए। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए। इस दायित्व मेंं रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार किया। राज्य भर के प्रमुख मंदिरों को धार्मिक न्यास से जोड़ने में उनकी अहम भूमिका निभाई। दलित समाज के साधुओं को मंदिरों का पुजारी बनाने में उनकी भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

किशोर कुणाल वर्तमान में महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव थे। उन्होंने महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य अस्पताल, महावीर नेत्रालय, ज्ञान निकेतन स्कूल जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा के कई संस्थानों की स्थापना की। शिक्षा से उनके प्रेम को देखते हुए उन्हें दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया जहां उन्होंने कई बड़े सुधार किए। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के निपटाले में भी उन्होंने भूमिका निभाई। बीपी सिंह सरकार द्वारा स्थापित 'अयोध्या सेल' में ऑफीसर ऑन स्पेशल ड्यूटी बनाया गया। राम मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक योगदान को देखते हुए वर्ष 2008 में भगवान महावीर पुरस्कार से नवाजा गया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया। पटना से महावीर मंदिर के भव्य स्वरूप, इस मंदिर की आमदनी से कई सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संस्थान स्थापित कर मानवता की सेवा के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

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