पित्तरों के तर्पण को लोगों ने गोद लिए 106 गरीब बच्चे, ऐसे लिए जाते हैं गोद
हापुड़ में पित्तरों के तर्पण के लिए 106 गरीब बच्चे गोद लिए गए हैं। 60 समाज सेवियों ने 11 महानगरों के 106 गरीब बच्चों के खर्चे का जिम्मा लिया है। दिल्ली समेत कई राज्यों के कारोबारियों ने एक साल की पढ़ाई और खाने के खर्च का जिम्मा लिया।
हमारी आंखों के सामने वंचित वर्ग के बच्चों की कई तस्वीरें हैं, जिनमें बच्चे को बाल मजदूरी करते हुए दिखते हैं। आर्थिक समस्याओं से जूझते बच्चे अपनी पारिवारिक स्थिति से जीत नहीं पाते और पढ़ाई छोड़कर काम करने में जुट जाते हैं। इसके अलावा झुग्गी-झोपड़ी में पल रहे बच्चें संसार की सुख सुविधा से दूर रहकर कूड़ा बीनने में जीवन बिता देते हैं। यूपी के ब्रजघाट में नेह फाउंडेशन ने प्रदेश के 11 महानगरों से करीब 106 वंचित बच्चों को शिक्षा-स्वास्थ और रहने के लिए छात्रावास निशुल्क दे दिया है। इन श्राद्ध पर्व में 60 लोगों ने अपने पितरों के तर्पण के साथ उनकी खुशी के लिए बच्चों का एक साल का खर्च करने का जिम्मा ले लिया है।
ऐसे दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों के गरीब, वंचित वर्ग के बच्चों के लिए ये कन्हैया जी और उनकी पत्नी मसीहा साबित हो रहे हैं। शिक्षकों के लिए कहा जाता है कि शिक्षक स्वयं जलकर बच्चों का जीवन शिक्षा से रोशन करता है। कन्हैया जी ने भी इस बात को सही साबित कर दिखाया है। उन्होंने शुरुआत में 50 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने की पहल की और आज ये कारवां बढ़ता जा रहा है। नोएडा के रहने वाले दंपति सालों से गरीब बच्चों को पढ़ाने में जुटे हुए हैं। इन बच्चों को शिक्षित कर उनका भविष्य संवार कर वह इन्हें एक बेहतर जिंदगी देना चाहते हैं।
बढ़ता जा रहा हैं कारवां
इंसान के सामाजिक विकास के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। लेकिन संसाधनों की कमी और माता-पिता के अशिक्षित होने के कारण कई नौनिहाल स्कूल की दहलीज तक नहीं पहुंच पाते। परंतु प्रदेश के 11 महानगरों से 106 वंचित बच्चों के नेह नीड में शिक्षा, भोजन और कपड़े तथा आवास निशुल्क दिया जा रहा है। जिसमें आज देश के विभिन्न नगरों में रहने वाले 90 कारोबारी उन बच्चों के पालक बने हुए हैं।
श्राद्ध पर्व के दौरान 60 लोगों ने बच्चे लिए गोद
कन्हैया लाल बताते हैं कि श्राद्ध पर्व के दौरान अपने पितरों को खुश करने के लिए 60 लोगों ने वंचित बच्चों को गोद लिया है। जिसमें किसी ने बच्चे का पूरा खर्च 31 हजार रुयये साल, किसी ने किताब के ढाई हजार, किसी ने अन्य खर्च करने के लिए संस्था को आर्थिक सहयोग देनाशुरूकियाहै।
कैसे लिया बच्चों को गोद
- बताते हैं कि किसी व्यक्ति ने पांच बच्चे गोद लिए किसी ने एक बच्चा गोद लिया।
- कोई एक बच्चे की एक साल की फीस दे रहा है 31 हजार।
- कोई एक साल का किताबों का खर्च वहन करेगा।
- कोई एक साल तक कपड़े स्वास्थ के लिए जिम्मेदारी निभाएगा।
- 11 महानगर के 106 छात्रा-छात्र ले रहे हैं ब्रजघाट में निशुल्क शिक्षा
- मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़, बुलंदशहर, दिल्ली के रहने वाले हैं पालक।