असुविधाओं ने बिगाड़ा लोको पायलटों का ट्रैक
Saharanpur News - भारतीय रेल के लोको पायलट दिन-रात यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाते हैं, लेकिन उनकी सुविधाओं की उपेक्षा की जा रही है। वे भोजन अवकाश, शौचालय और एसी की मांग कर रहे हैं। हाई पावर कमेटी द्वारा कुछ सुझाव दिए...
भारतीय रेल देश की जीवनरेखा है और इस विशाल तंत्र के संचालन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं लोको पायलट। वे दिन-रात, मौसम और परिस्थितियों की परवाह किए बिना हजारों यात्रियों और मालगाड़ियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाते हैं। वहीं यह जिम्मेदारी जितनी बड़ी है उतनी ही उपेक्षा उनके अधिकारों और सुविधाओं के मामले में देखने को मिलती है। लोको पायलट भोजन अवकाश दिए जाने, लोकोमोटिव में एसी की सुविधा दिए जाने और लोकोमोटिव में शौचालय की सुविधा देने की मांग कर रहे हैं। हाई पावर कमेटी (एचपीसी) द्वारा कुछ सुझाव दिए हैं जो लोको पायलटों की दशा सुधारने की दिशा में सकारात्मक कदम माने जा सकते हैं।
लेकिन ये सुझाव भी तभी प्रभावी होंगे जब इन्हें जमीन पर लागू किया जाए। सहारनपुर रेलवे स्टेशन का इतिहास करीब 155 साल पुराना है। करीब 153 यात्री और करीब 50 मालगाड़ियों प्रतिदिन सहारनपुर जंक्शन से होकर गुजरती हैं। करीब 550 लोको रनिंग स्टॉफ दिन-रात, मौसम और परिस्थितियों की परवाह किए बिना हजारों यात्रियों और मालगाड़ियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाते हैं। लोको पायलटों का मानना है कि ड्यूटी के दौरान भोजन अवकाश जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिलती। ट्रेन का शेड्यूल, तकनीकी देरी और रनिंग टाइम के कारण अक्सर उन्हें लंबी अवधि तक बिना भोजन के रहना पड़ता है। इस व्यवस्था को बदलना होगा। हर ड्यूटी राउंड में एक निर्धारित भोजन अवकाश सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि लोको पायलट बिना किसी चिंता के अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें। शौचालय का न होना लोको पायलटों की एक गंभीर समस्या है। कई बार उन्हें आठ से दस घंटे तक बिना किसी ब्रेक के ड्यूटी करनी पड़ती है। ऐसे में मानव गरिमा के अनुरूप शौच की व्यवस्था न होना न केवल असुविधाजनक है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी खतरनाक हो सकता है। इस स्थिति में शौचालय की व्यवस्था अनिवार्य की जानी चाहिए। इसी तरह लोकोमोटिव में एयर कंडीशनिंग की व्यवस्था भी जरूरी है। गर्मियों में कैब के अंदर का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है। अत्यधिक गर्मी में लंबे समय तक कार्य करना लोको पायलट की एकाग्रता, प्रतिक्रिया समय और मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। लोको पायलट भारतीय रेलवे की रीढ़ हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और जिम्मेदारी की तुलना किसी और सेवा से नहीं की जा सकती। ऐसे में उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि पूरी रेल व्यवस्था के लिए भी खतरनाक हो सकता है। एचपीसी द्वारा सुझाए गए सुधारों को प्राथमिकता से लागू किया जाना चाहिए और लोको पायलटों की मांगों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह केवल उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की विश्वसनीयता को भी मजबूत करेगा। सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता लोको कैब में सुरक्षा एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है। एचपीसी की सिफारिशों के अनुसार, लोकोमोटिव के बाहरी हिस्सों में निगरानी कैमरे लगाए जाने चाहिए जिससे ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। वर्तमान में कैब सीवीवीआरएस (कैब वीडियो वॉयस रिकॉर्डिंग सिस्टम) का प्रयोग होता है, लेकिन लोको पायलट इसे निजता का उल्लंघन मानते हैं। उनका मानना है कि कैब में लगे रिकॉर्डिंग सिस्टम से मानसिक दबाव बढ़ता है और यह कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। इसलिए कैब से सीवीवीआरएस को हटाने और इसकी जगह बाहरी निगरानी कैमरे लगाने की मांग उठाई जा रही है। कैब डिजाइन में एकरूपता एक और बड़ी समस्या है विभिन्न डिजाइनों की लोको कैब। अलग-अलग कंपनियों और समय में बने इंजनों में कैब की संरचना अलग-अलग होती है, जिससे लोको पायलटों को हर बार खुद को नए डिजाइन के अनुसार ढालना पड़ता है। इससे न केवल संचालन में भ्रम पैदा होता है, बल्कि दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ती है। लोको पायलटों की यह मांग है कि सभी इंजनों में कैब की डिजाइन को एकरूप किया जाए ताकि संचालन में सुविधा हो और अनावश्यक मानसिक दबाव न झेलना पड़े। लोको टूल्स और सिग्नलिंग की सुविधा कई बार लोको पायलटों को मामूली तकनीकी समस्याओं के लिए भी स्टेशन स्टाफ पर निर्भर रहना पड़ता है, क्योंकि उनके पास आवश्यक उपकरण नहीं होते। इस समस्या को हल करने के लिए लोकोमोटिव में आवश्यक टूल्स का प्रावधान अनिवार्य किया जाना चाहिए। साथ ही कैब में आधुनिक और स्पष्ट सिग्नलिंग व्यवस्था की भी मांग की जा रही है। कई बार खराब या अस्पष्ट सिग्नलिंग के कारण भ्रम की स्थिति बन जाती है, जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है। आधुनिक डिजिटल डिस्प्ले और ऑडियो संकेतों से युक्त सिग्नलिंग सिस्टम इस स्थिति को सुधार सकते हैं। सुझाव एवं शिकायतें-- 1-ड्यूटी के दौरान भोजन अवकाश की सुविधा दी जाए। 2-लोकोमोटिव में शौचालय की सुविधा दी जाए। 3-लोकोमोटिव में एसी की सुविधा दी जाए। 4-कैब में आधुनिक और स्पष्ट सिग्नलिंग व्यवस्था की जाए। 5-कैब सीवीवीआरएस को हटाया जाए। समस्याएं--- 1-लोकोमोटिव में शौचालय नहीं होने की समस्या। 2-डयूटी के दौरान भोजन अवकाश की सुविधा नहीं होने की समस्या। 3-लोकोमोटिव में एसी नहीं होने की समस्या 4-सीवीवीआरएस से निजता प्रभावित होने की समस्या 5-लोकोमोटिव में लोको टूल्स नहीं होने की समस्या प्रतिक्रियाएं---- 1-लोको पायलट रेलवे की रीढ़ हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और जिम्मेदारी की तुलना किसी और सेवा से नहीं की जा सकती। ऐसे में उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करना अन्यायपूर्ण है। -जगदीश कुमार 2-शौचालय की अनुपलब्धता भारतीय रेलवे में हमारे पिछड़ेपन और एचपीसी (2012) की सिफारिश की उपेक्षा को दर्शाती है, जबकि हम राजधानी, बंदेभारत आदि जैसी ट्रेनें चलाते हैं। -विश्वनाथ गुप्ता 3- रेलवे में लोको पायलटों को ड्यूटी के दौरान भोजन अवकाश जैसी बुनियादी सुविधा नहीं मिलती। ट्रेन का शेड्यूल, तकनीकी देरी और रनिंग टाइम के कारण लंबी अवधि तक बिना भोजन के रहना पड़ता है। -सुमित सैनी 4-लोकोमोटिव में शौचालय का कोई प्रावधान नहीं है और आजकल कई महिला एलपी/एएलपी सह-पुरुष एलपी/एएलपी के साथ काम कर रही हैं। -अनिल कुमार 5-गर्मी पहले शुरू हो चुकी हैं, लेकिन सभी लोको में एसी की व्यवस्था नहीं है। जिन लोको में एसी है, उनमें से अधिकांश ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। -दीपक मौर्या 6-लोको मोटिव में गैर-मानक कैब पंखे लगाए गए हैं, जो चलने पर लोको रनिंग स्टाफ को परेशान करते हैं और असुविधाजनक कुर्सियां भी सिरदर्द हैं। -प्रमोद कुमार 7-लोकोमोटिव कैब में टूल्स उपलब्ध कराने के लिए हलफनामा भी पेश किया है लेकिन अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की गई है। -सचिन धाका 8-सभी इंजनों में चालक डेस्क में कैब सिग्नलिंग व्यवस्था प्रदान करें ताकि चालक दल को पहले से दिए गए सिग्नल के पहलू की याद दिलाई जा सके। -नितिन कुमार 9-एफएसडी को वीसीडी की तरह लोको कैब में स्थापित किया जाना चाहिए। चार्ज करने के लिए आवश्यक मानव शक्ति को बचाया जा सके। -अमरदीप 10-सीवीवीआरएस कैमरे को इंजन कैब के अंदर से हटाने की जरूरत है और इसे ट्रैक, सिग्नल और ओएचई का सामना करते हुए लगाया जा सकता है। -सुखपाल 11- एचपीसी (2012) ने सभी इलेक्ट्रिक इंजनों के लिए एक अद्वितीय कैब डिजाइन और डीजल इंजनों के लिए एक और विकसित करने की सिफारिश की थी। -अमिल शर्मा 12-लोकोमोटिव में शौचालय ट्रेन की समयबद्धता, लोको पायलटों की गरिमा और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है, खासकर जब रेलवे बड़ी संख्या में महिला लोको पायलटों को नियुक्त कर रहा है। -दीपक कुमार 13-भीषण गर्मी में लोको रनिंग स्टाफ के लिए काम करना बहुत मुश्किल है क्योंकि लोकोमोटिव कैब के अंदर का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। -अंकित कुमार 14-ड्यूटी राउंड में एक निर्धारित भोजन अवकाश सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि लोको पायलट बिना किसी चिंता के अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें। -कपिल कुमार 15-लोकोमोटिव में शौचालय का न होना लोको पायलटों की एक गंभीर समस्या है। कई बार उन्हें आठ से दस घंटे तक बिना किसी ब्रेक के ड्यूटी करनी पड़ती है। -बिलाल 16-सीवीवीआरएस का उपयोग अब एलपी और एएलपी को दंडित करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा रहा है, जो सीवीवीआरएस की नैतिकता के खिलाफ है। -ललित चौहान
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