‘कुंभकर्ण टेक्नोक्रेट, 6 महीने सोने की बात झूठ’, राज्यपाल आनंदीबेन का दावा
लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कुंभकर्ण टेक्नोक्रेट था। टेक्नोलॉजी जानता था। उन्होंने दावा कि 6 महीने सोने की बात झूठ है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कुंभकर्ण टेक्नोक्रेट था। टेक्नोलॉजी जानता था। रावण ने अफवाह उड़ाई थी कि वो 6 महीने सोता-6 महीने जागता था जबकि वह रावण के निर्देश पर यंत्रशालाओं में बैठकर यंत्र बनाता था। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन ने लड़कियों द्वारा सर्वाधिक मेडल प्राप्त करने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि परिश्रम करना हमारा कर्तव्य है एवं अवार्ड से अधिक महत्वपूर्ण ज्ञान होता है जो सदैव उपयोगी होता है। और इसी वजह से आप पढ़ते रहिए साथ ही लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों का भी लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा की विदेश से लोग आए और हमारी तकनीक का अध्ययन कर कई आविष्कारों को अपने नाम कर लिया। राज्यपाल ने कहा कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने कई शोध और आविष्कार किए हैं, जिनका लाभ आज दुनिया उठा रही है। राज्यपाल ने ऋषि भारद्वाज का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने विमान का आविष्कार किया था, लेकिन इसका श्रेय अन्य देश को मिल गया और अब इसे राइट ब्रदर्स का आविष्कार माना जाता है। राज्यपाल ने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में ऐसे अनगिनत ज्ञान छिपे हुए हैं, जिन्हें विद्यार्थियों को पढ़ने और समझने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
उन्होंने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों को हमारी प्राचीन पुस्तकों के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उन्हें यह समझ में आ सके कि हमारे पूर्वजों ने कितना अद्वितीय शोध और आविष्कार किया था। क्योंकि ये पुस्तकें ज्ञान का भण्डार हैं। राज्यपाल ने रामपुर रजा लाइब्रेरी का जिक्र करते हुए कहा कि इस लाइब्रेरी में प्राचीन पुस्तकों का अनमोल संग्रह है, जिनमें ऐसे चित्रांकन हैं, जो आज भी जीवंत हैं। उन्होंने कहा कि इन चित्रों में प्रयुक्त रंगों का निर्माण वनस्पतियों के माध्यम से किया गया था, जो आज भी खराब नहीं हुए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आज कई देश युद्ध की विभीषिका से प्रभावित हो रहे हैं, जबकि भारत अपने दूरदर्शी नेतृत्व के कारण शिक्षा, शोध, कौशल और नवाचार को आधार बनाकर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षित और जागरूक नागरिक ही शांतिपूर्ण और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा की अलग अलग भाषाओं में लिखी गई पुस्तकों का अनुवाद होना चाहिए जिससे हमारे युवा वर्ग को हमारे समृद्ध ज्ञान एवं कौशल से अवगत कराया जा सके । साथ ही पाठ्यक्रमों में भी इस बारे में उल्लेख होना चाहिए की विद्वानों ने किस तरह ये सब लिखा है । राज्यपाल ने कहा की उपाधि प्राप्तकर्ताओं के साथ साथ ये प्रदेश एवं देश की भी उपलब्धि है। क्यूंकि किसी भी देश के विकास कि परिभाषा वहां के नागरिकों के शिक्षा के स्तर से आंकी जाती है।