विभाग की चिट्ठी मिलने के बाद स्वास्थ्य हड़कंप मच गया है। गर्भवती को दवा देने की गति तेज करने को कहा है। जिन आठ जिलों में दवा नहीं बंटी उनमें मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, मधुबनी, शिवहर, भागलपुर, नालंदा, मुंगेर और पटना शामिल हैं।
बिहार में निजी प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों की बड़ी मनमानी उजागर हुई है। राज्य के 33 फीसदी निजी अस्पताल अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को नहीं भेज रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई है।
टीकाकरण केंद्र बढ़ने से शिशुओं का शत प्रतिशत नियमित टीकाकरण करने में मदद मिलेगी। इससे संभावित बीमारियों को बहुत हद तक कम किया जा सकेगा। इससे पहले सितंबर में राज्य के 38 जिलों के प्रत्येक प्रखंड में दो-दो चिन्हित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर नए टीकाकरण कॉर्नर शुरू किए गए थे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आने वाले दो माह में राज्य में सैकड़ों अस्पतालों का उद्घाटन भी होने वाला है। इससे स्वास्थ्य सेवा बेहतर होने के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अस्पतालों में विभिन्न पदों पर नियुक्ति होने से मरीजों को इलाज में सुविधा बढ़ेगी।
बिहार के 693 सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की पैथोलॉजी जांच का ठेका का विवाद पटना हाईकोर्ट पहुंच गया है। सरकार ने हरियाणा की जिस कंपनी को ठेका दिया, उससे सस्ता रेट देने वाली भोपाल की कंपनी अदालत चली गई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्यभर में विभिन्न संक्रामक एवं गंभीर बीमारियों के उचित उपचार के लिए सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन जारी है। बीमारियों के उचित उपचार के लिए विभागीय स्तर पर जन-जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
दरअसल गोपाल कृष्ण पाल पर आरोप है कि एम्स गोरखपुर के अतिरिक्त प्रभार में रहते हुए इन्होंने अपने बेटे आरोप अल का नामांकन पीजी में करा दिया था। इसमें अपने पुत्र का प्रमाण पत्र नॉन क्रीमी लेयर के तहत बना कर कराया था।
आवेदन संबंधी जानकारी shs.bihar.gov.in पर ली जा सकती है। इसके पहले दो बार वेकेंसी जारी हुई थी। लेकिन अलग-अलग कारण से रद्द कर दी गई थी। पहली बार मार्च में वेकेंसी जारी हुई थी। फिर 21 जुलाई तक दूसरी बार आवेदन मांगा गया था।
सदर की पैथोलॉजी लैब में एलाइजा जांच मशीन के अलावा सीबीसी मशीन भी ठीक से काम नहीं कर रही है। नई सीबीसी मशीन के लिए अधीक्षक ने सीएस को पत्र लिखा है। सीबीसी मशीन से डेंगू पीड़ितों के प्लेटलेट का पता चलता है।
बिहार के हर जिला अस्पताल में इस वित्तीय वर्ष के अंत तक आईसीयू और एचडीयू वार्ड की सुविधा चालू करने का काम तेजी से चल रहा है। इस समय 12 जिलों में आईसीयू वार्ड है। कहीं 4 बेड हैं तो कहीं 14।