बिहार में प्राइवेट हॉस्पिटल की मनमानी, HMIS पोर्टल पर 33 प्रतिशत अस्पताल नहीं दे रहे यह रिपोर्ट
बिहार में निजी प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों की बड़ी मनमानी उजागर हुई है। राज्य के 33 फीसदी निजी अस्पताल अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को नहीं भेज रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई है।
बिहार में निजी प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों की बड़ी मनमानी उजागर हुई है। राज्य के 33 फीसदी निजी अस्पताल अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को नहीं भेज रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई है। मुजफ्फरपुर में यह आंकड़ा और ज्यादा है। मुजफ्फरपुर जिले के 48 फीसदी निजी अस्पतालों ने ही स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट नहीं भेजी है। विभाग ने अप्रैल से नवंबर तक की सभी जिलों की समीक्षा रिपोर्ट जारी की है।
दरअसल, निजी अस्पतालों को हर महीने मरीजों के इलाज की रिपोर्ट विभाग को भेजनी है। इसमें उन्हें कितने और किस-किस बीमारी के मरीज आए, इसकी जानकारी देनी होती है। इलाज की रिपोर्ट नहीं आने पर विभाग ने कड़ी नाराजगी जताई है और सभी जिलों को नियमित निजी अस्पतालों से रिपोर्ट मांगकर विभाग को भिजवाने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय मंत्रालय भी करता है मॉनिटरिंग
निजी अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल एचएमआईएस पर हर महीने की रिपोर्ट डालनी है। इस पोर्टल की निगरानी केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय भी करता है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बार-बार निर्देश के बाद भी निजी अस्पताल अपनी रिपोर्ट पोर्टल पर नहीं डाल रहे हैं। विभाग ने सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर कहा है कि वह सभी निजी अस्पतालों की रिपोर्ट भिजवाने के लिए खुद पहल करें।
छूटे हुए अस्पतालों का करें रजिस्ट्रेशन: स्वास्थ्य विभाग का कहना है जिन जिलों में निजी अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है उन्हें चिन्हित कर उनका रजिस्ट्रेशन कराएं। साथ ही इसकी रिपोर्ट भी विभाग के पोर्टल पर डलवाएं। इसके लिए विभाग ने एक फार्मेट भी जिलों को भेजा है, जिसमें बताना है कि कितने निजी अस्पताल जिले में चल रहे हैं, कितने रिपोर्ट कर रहे हैं। कितने अस्पताल विभाग से निबंधित हैं। विभाग ने यह रिपोर्ट जल्द सभी जिलों को भेजने का निर्देश दिया है।
निजी अस्पतालों को क्या भेजनी है रिपोर्ट
निजी अस्पतालों को हर महीने स्वास्थ्य विभाग को बताना है कि उनके पास किस बीमारी के कितने मरीज आए। उन्हें किस तरह का इलाज दिया गया। इसमें गंभीर बीमारी और मौसमी बीमारी के कितने मरीज थे। किसी बीमारी का आउटब्रेक तो नहीं हुआ है। इस डाटा पर विभाग बीमारियों की रोकथाम की रणनीति तैयार करता है।
अस्पतालों के सर्वेक्षण में भी लापरवाही
स्वास्थ्य विभाग ने पिछले अक्टूबर में आद्री व एक निजी संस्था को निजी अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाओं के सर्वेक्षण का निर्देश दिया था। विभाग ने निजी अस्पतालों को इसमें सहयोग करने को कहा था। इसी महीने दोबारा पत्र जारी कर विभाग ने कहा है कि निर्देश के बाद भी अस्पतालों का सर्वेक्षण अब तक शुरू नहीं हुआ है।