इससे पहले पिछले साल तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता में 31 मई को इस कमेटी का पुनर्गठन किया था।
मुख्य न्यायधीश ने लोकपाल की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह संवैधानिक योजनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी उपाय के रूप में कार्य करता है।
सी रविचंद्रन बनाम जस्टिस एएम भट्टाचार्य और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में फैसला दिया था। तब कहा गया था कि अगर मामला हाईकोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत का होता है, तो उस हाईकोर्ट के सीजेआई जांच के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश से चर्चा करते हैं।
वकीलों ने चिट्ठी में लिखा है कि लोकतंत्र की यह खूबी रही है कि हर तरह की नियुक्ति या पदोन्नति में समाज के विभिन्न वर्गों की व्याप्त विविधता को ध्यान में रखते हुए सभी को समान अवसर दिया जाना चाहिए।
एनएचएआई ने दिवालियापन मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
शिकायती चिट्ठी में कहा गया है कि जस्टिस कैत से पहले इस सरकारी आवास में कई मुस्लिम चीफ जस्टिस भी रहे लेकिन उन लोगों ने ना तो इस पर ऐतराज जताया और ना ही इसे हटवाया।
मामले में हुई गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए सीजेआई खन्ना ने साफ तौर पर पूछा कि हमें स्पष्टीकरण दीजिए कि सभी OMR शीट का विवरण सर्वर में पाया गया है या नहीं। या कुछ गायब भी थे।
प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि मुसलमानों के नरसंहार का सार्वजनिक तौर पर आह्वान किया गया है। इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि 'धर्म संसद' मंगलवार से शुरू होगी।
दो साल पहले 21 मई, 2022 को तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने यही प्रश्न आया था, तब एक मौखिक टिप्पणी में चंद्रचूड़ ने माना था ऐसे विवादित पूजा स्थलों का सर्वेक्षण 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन नहीं करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में यह भी कहा गया है कि न्यायमूर्ति यादव का यह आचरण संविधान के अनुच्छेद 12, 21, 25 और 26 के साथ-साथ प्रस्तावना का उल्लंघन करता है।
पीठ ने कहा, 'आपको यह निर्णय लेना होगा कि आप इससे कैसे निपटना चाहते हैं, आपराधिक कार्रवाई के रूप में या उनसे (संपत्तियों पर अतिक्रमण करने वालों से) कब्जे के उपयोग के लिए ‘अंतरिम लाभ’ का भुगतान करने के लिए कहना होगा।'
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्तों का चयन करने वाली समिति से सीजेआई को बाहर रखने के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।
इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश CJI संजीव खन्ना ने संविधान से मिली शक्तियों का विवरण देते हुए कहा कि संविधान न्यायालयों को न्यायिक समीक्षा का अधिकार देता है। हम जनहित याचिकाओं पर विचार करते हैं और किसी भी मामले में स्वत: संज्ञान ले सकते हैं।
शिवसेना मामले में फैसला देर से लेने के आरोपों पर भी पूर्व सीजेआई ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘देखिए, यही समस्या है। असली दिक्कत यह है कि राजनीति का एक निश्चित वर्ग सोचता है कि अगर उनके एजेंडे का पालन करते हैं तो हम स्वतंत्र हैं।’
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, '42वें संशोधन की पहले भी न्यायिक समीक्षा हो चुकी है। हम यह नहीं कह सकते कि संसद ने जो पहले किया था, वह सब कुछ गलत है।' यही नहीं बेंच का कहना था कि सेकुलरिज्म और सोशलिस्ट की परिभाषा को हमें पश्चिम के चश्मे से नहीं देखना चाहिए।
सीजेआई खन्ना ने कहा, 'मैं एक बात बताना चाहूंगा कि राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) का अध्यक्ष रहते हुए मैं पटना गया था और दिल्ली के उपराज्यपाल के साथ वहां की जेलों का दौरा किया था। इसलिए, मेरे लिए याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा...।'
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को खारिज करने और अन्य चुनावी अनियमितता का आरोप लगाने संबंधी याचिका पर पहले नोटिस जारी किए थे।
PIL में चिंता जताई गई है कि देश में 39 DRTs में से लगभग ⅓ ट्रिब्यूनल पीठासीन अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण वर्तमान में काम नहीं कर रहे हैं, जिससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए ऋण वसूली में तेजी लाने के उनके मूल उद्देश्य को नुकसान पहुंच रहा है।
Supreme Court: उच्चतम न्यायालय में मामलों की सुनवाई के संबंध में शनिवार को एक नया परिपत्र जारी किया गया। परिपत्र के अनुसार, बुधवार और गुरुवार को नियमित सुनवाई वाले मामले सूचीबद्ध नहीं होंगे।
CJI Sanjiv Khanna: सीजेआई पद से रिटायरमेंट के बाद आवास पर 24/7 सुरक्षा रहेगी। साथ ही रिटायरमेंट के बाद अगले 5 साल तक एक पर्सनल सिक्युरिटी गार्ड भी साथ रहेगा। इसके अलावा रिटायर्ड सीजेआई को दिल्ली में टाइप-VII आवास मिलेगा।
CJI Justice Sanjiv Khanna ने पुरानी परंपरा को बदलते हुए कहा कि अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा। केवल ई-मेल या लिखित पत्र के जरिए ही तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध स्वीकार किया जाएगा। वजह भी बताने होंगे।
30 साल का युवक वेजेटेटिव स्टेट में है। यानी वह जाग तो रहा है लेकिन अनुभवहीन है। ऐसी स्थिति में मां-बाप उसका खर्च नहीं वहन कर पा रहे थे और इच्छामृत्यु की मांग कर रहे थे। सीजेआई के फैसले के बाद उन्हें बड़ी राहत मिली है।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का चयन करने वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम में प्रधान न्यायाधीश खन्ना के अलावा न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति ए एस ओका शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान वकील नेदुम्पारा ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट आम वकीलों के लिए भी होना चाहिए न कि यहां सिर्फ अंबानी और अडानी के मामलों का फैसला एक निश्चित और विशेष तरीके से किया जाना चाहिए।
देश के नए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना आज भी अपने पैतृक घर की तलाश कर रहे हैं। उनके करीबी सूत्रों ने खुलासा किया है कि जब भी वह अमृतसर आते हैं तो वह कटरा शेर सिंह जरूर जाते हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना भी खुद से पहले मुख्य न्यायाधीश रहे डीवाई चंद्रचूड़ की तरह ही जजों की फैमिली से आते हैं। उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। इसके अलावा उनके चाचा एचआर खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। इस तरह दो पीढ़ियों की न्यायिक विरासत जस्टिस संजीव खन्ना के साथ है।