अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के बाद जस्टिस वर्मा के तबादले का फैसला किया है।
Justice Varma transfer: 6 बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने गुरुवार दोपहर CJI खन्ना और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों- जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ से मुलाकात की।
CJI ने आगे कहा कि न्यायपालिका को जो बात विशिष्ट बनाती है, वह है लोगों के साथ हमारा सीधा जुड़ाव... लोगों के लिए सबसे आसान पहुंच तीनों संस्थाओं में से किसी एक में है, तो वह न्यायपालिका तक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी वकील इस सप्ताह सोमवार और बुधवार को जस्टिस वर्मा के घर पहुंचे थे।
Justice Yashwant Varma: कॉलेजियम ने सुझाव दिया कि जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर पर्याप्त दंड नहीं होगा क्योंकि उन्होंने न केवल न्यायपालिका की छवि खराब की है बल्कि संवैधानिक संस्थान की साख धूमिल की है।
राज्य की तरफ से पेश वकील ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगते हुए जवाब दिया कि इस मामले में सामूहिक बलात्कार के आरोप भी शामिल हैं लेकिन शीर्ष अदालत ने समय देने से इनकार कर दिया।
CJI खन्ना ने आपबीती बताते हुए कहा कि युवा वकीलों को क्यों आपराधिक कानून को करियर बनाना चाहिए। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में काम करते हुए एक यादगार अनुभव साझा किया।
पीठ की सलाह पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने जनहित याचिका वापस ले ली। इसके बाद पीठ ने याचिका खारिज कर दी।
जीएचसीएए के अध्यक्ष बृजेश त्रिवेदी ने बताया कि अधिवक्ता संघ की असाधारण आम सभा की बैठक में पारित प्रस्ताव की एक प्रति भारत के प्रधान न्यायाधीश को भेजी जाएगी।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि सीबीआई डायरेक्टर जैसे पदों पर होने वाली नियुक्तियों में आखिर सीजेआई का क्या काम है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया पर पुनर्विचार की जरूरत है।