उद्धव ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मुख्यमंत्री बनने का सपना नहीं देख रहे हैं और उनकी प्राथमिकता उन लोगों को हराना है जो महाराष्ट्र का शोषण कर रहे हैं।
CJI Sanjiv Khanna: सीजेआई पद से रिटायरमेंट के बाद आवास पर 24/7 सुरक्षा रहेगी। साथ ही रिटायरमेंट के बाद अगले 5 साल तक एक पर्सनल सिक्युरिटी गार्ड भी साथ रहेगा। इसके अलावा रिटायर्ड सीजेआई को दिल्ली में टाइप-VII आवास मिलेगा।
30 साल का युवक वेजेटेटिव स्टेट में है। यानी वह जाग तो रहा है लेकिन अनुभवहीन है। ऐसी स्थिति में मां-बाप उसका खर्च नहीं वहन कर पा रहे थे और इच्छामृत्यु की मांग कर रहे थे। सीजेआई के फैसले के बाद उन्हें बड़ी राहत मिली है।
जस्टिस संजीव खन्ना भी खुद से पहले मुख्य न्यायाधीश रहे डीवाई चंद्रचूड़ की तरह ही जजों की फैमिली से आते हैं। उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। इसके अलावा उनके चाचा एचआर खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। इस तरह दो पीढ़ियों की न्यायिक विरासत जस्टिस संजीव खन्ना के साथ है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा था। मैंने उनसे पूछा कि आप पुणे में क्यों फ्लैट खरीद रहे हैं?
चंद्रचूड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि रिटायर जजों के लिए ये भूमिकाएं संसद द्वारा स्थापित की गई हैं। ऐसे में यह जरूरी नहीं है कि जजों पर सवाल उठाए जाएं या उनकी आलोचना की जाए।
आपको बता दें कि CJI चंद्रचूड सोमवार यानी कि 11 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना सोमवार को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
जजों के ऊपर केवल राजनीतिक दबाव ही नहीं होता है। उनके ऊपर निजी हित समूहों का भी दबाव होता है। यह बात रिटायर्ड सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कही।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने फैसले में कहा कि नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्तियों और घरों को नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता। एक इंसान के पास जो अंतिम सुरक्षा होती है, वह उसका घर है।
जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले सीजेआई बनने जा रहे हैं। वे पहले रोजाना मॉर्निंग वॉक पर जाते थे, लेकिन अब उन्होंने जाना बंद कर दिया है। जानिए क्या है वजह…
DY Chandrachud News: बरसों पहले डीवाई चंद्रचूड़ एक ऐसा फैसला लेने जा रहे थे, जिसके बाद वह कभी जज की कुर्सी तक पहुंच ही नहीं पाते। यह वाकया है साल 2000 का…
जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है, तो पक्षी अपने गीत बंद कर देते हैं। हवा अलग तरह से चलने लगती है। अन्य पेड़ खाली जगह को भरने के लिए अपनी जगह बदलते और समायोजित करते हैं।’
5 जजों की संविधान पीठ ने नवंबर, 2019 में दशकों से चली आ रही अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद को लेकर फैसला दिया था। फैसला सुनाने वाले संविधान पीठ में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
सीजेआई चंद्रचूड़ की विदाई के वक्त भावुक क्षण तब आया जब मौजूदा सीजेआई और उनके उत्तराधिकारी और भावी सीजेआई संजीव खन्ना ने एक-दूसरे को गले लगाया।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने चार न्यायाधीशों की रस्मी पीठ की अध्यक्षता की। इस पीठ में मनोनीत प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि जब मैं बड़ा हो रहा था तो मेरी मां ने मुझसे कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा है। लेकिन तुम्हारे 'धनंजय' में 'धन' भौतिक संपदा नहीं है। मैं चाहती हूं कि तुम ज्ञान अर्जित करो।
न्यायपालिका में अपने उल्लेखनीय योगदान और सशक्त विचारों के लिए पहचान बनाने वाले चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें अयोध्या भूमि विवाद, अनुच्छेद 370, और समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करना जैसे महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं।
CJI चंद्रचूड़ को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि रिटायरमेंट के बाद वह कौन सी नई जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चा है क्योंकि जून 2024 से ही यह पद खाली है।
चंद्रचूड़ के कार्यकाल का समापन एक महत्वपूर्ण फैसले के साथ हुआ। अपने अंतिम कार्यदिवस पर, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के सवाल पर फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ का नेतृत्व किया।
चीफ जस्टिस ने कहा कि यदि मैंने गलती से भी किसी को आहत किया हो या कोई दुखी हुआ हो तो मुझे माफ कर देना। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने भी भाषण दिया। अभिषेक मनु सिंघवी ने तो मजाकिया लहजे में कहा कि आप यह तो बताते जाएं कि आपके युवा बने रहने का राज क्या है।
क्या रिटायरमेंट के बाद भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य जज अदालतों में वकालत कर सकते हैं या नहीं। इसे लेकर संविधान में नियम बनाए गए हैं।
चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें संविधान पीठ द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने की वैधता को बनाए रखना शामिल है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल को ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाएगा। उन्होंने कई अहम फैसले देने वाली बेंच की चीफ जस्टिस के तौर पर अगुवाई की तो वहीं कई मामलों में वह बेंच का हिस्सा रहे। इन केसों में आर्टिकल 370, राम मंदिर समेत कई अहम मामले शामिल थे।
अगर कल के फैसले में यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना गया, तो AMU को भी अन्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की तरह आरक्षण नीति लागू करनी पड़ेगी।
सीजेआई चंद्रचूड़ भड़क गए और वकील से पूछा कि आप किसके लिए पेश हो रहे हैं? ऐसे बयान मत दीजिए। ऐसी कोई बात नहीं है। यह कोर्ट की कैंटीन में होने वाली गपशप है।
इस दौरान सीजेआई ने AI वकील से मृत्युदंड पर एक उलझा सवाल पूछा, जिसका जवाब सुनकर जस्टिस चंद्रचूड़ और उनके उत्तराधिकारी यानी नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना मुस्कुरा पड़े।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है। उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय संवैधानिक संस्थाएं हैं और उनकी संवैधानिक स्थिति को अनुच्छेद 216 द्वारा मान्यता प्राप्त है। अनुच्छेद 216 इस बात पर कोई भेद नहीं करता कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की भर्ती कैसे की जाती है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके आवास पर गणेश पूजन के अवसर पर आने को लेकर उठे विवाद का भी जवाब दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही, इसे बंद करने का भी आदेश दिया।