पूर्व CJI ने कहा कि न्यायाधीशों की संख्या जनसंख्या अनुपात के हिसाब से बहुत कम है और इसमें सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता है।
हरीश साल्वे ने कहा, 'आपको एक पत्रकार मिल गया। आपको समझना चाहिए कि आप एक मुश्किल में फंस सकते हैं। एक बात यह कि चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा होता है।'मुझे लगता है कि उन्होंने कोर्ट के मामले में बात नहीं करनी चाहिए। इसलिए नहीं कि वह चीफ जस्टिस थे बल्कि वह सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा थे।'
CJI जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने इन्फ्लुएंसर की ओर से पेश वकील अभिनव चंद्रचूड़ की दलीलों पर गौर तो किया लेकिन फौरी राहत देने से इनकार कर दिया।
बीबीसी चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से पूछा गया कि क्या न्यायपालिका में वंशवाद हावी है? खासकर उच्च जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व है? उन्होंने जवाब में अपने पिता का किस्सा सुनाया।
कोर्ट ने पिछले साल जो आदेश पारित किए थे, उनमें साफ तौर पर कहा गया था कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस फैसले के तीन महीने केअंदर अपने जेल मैनुअल/नियमों को संशोधित करना होगा।
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट में जो बातचीत होती है, वह फैसला नहीं होता। कई बार जज ऐसे शब्द कहते हैं, लेकिन उसे सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह से पेश किया जाता है कि जैसे फैसला हो गया है।
Chandrachud News: जस्टिस चंद्रचूड़ से सॉलिसिटर ने आगे कहा कि चूंकि, तुम पहली बार मेरे लिए हाई कोर्ट में पेश होने जा रहे हो तो इसलिए मैं तुम्हें पांच की जगह छह गिनी दूंगा। इस तरह से अस्सी के दशक के मिड में मैं 75 से 90 रुपये बना सकता था।
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ के खिलाफ हुई शिकायत मामले में लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और पांच अन्य सदस्यों द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि उपर्युक्त के आलोक में, हम इस शिकायत को अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए इसका निपटारा करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर सबसे लंबा कार्यकाल डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ का रहा है। वह 22 फरवरी, 1978 को चीफ जस्टिस बने थे और उनका 11 जुलाई, 1985 को रिटायरमेंट हुआ था। इस तरह वह 7 साल 5 महीने से ज्यादा वक्त तक मुख्य न्यायाधीश रहे थे।
दीपक साई ने कहा कि किसी संस्था के एक व्यक्ति का यह कहना कि मेरे निकलने के बाद उसमें गिरावट आई है, दुखद है। यह कहना गलत है कि विवादित स्थल के नीचे मंदिर नहीं पाया गया। यह कहना गलत था। आप फैसले को पढ़ें। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पढ़ें और फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी पढ़ा जाए।