Chandrachud News: जस्टिस चंद्रचूड़ से सॉलिसिटर ने आगे कहा कि चूंकि, तुम पहली बार मेरे लिए हाई कोर्ट में पेश होने जा रहे हो तो इसलिए मैं तुम्हें पांच की जगह छह गिनी दूंगा। इस तरह से अस्सी के दशक के मिड में मैं 75 से 90 रुपये बना सकता था।
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ के खिलाफ हुई शिकायत मामले में लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और पांच अन्य सदस्यों द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि उपर्युक्त के आलोक में, हम इस शिकायत को अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए इसका निपटारा करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर सबसे लंबा कार्यकाल डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ का रहा है। वह 22 फरवरी, 1978 को चीफ जस्टिस बने थे और उनका 11 जुलाई, 1985 को रिटायरमेंट हुआ था। इस तरह वह 7 साल 5 महीने से ज्यादा वक्त तक मुख्य न्यायाधीश रहे थे।
दीपक साई ने कहा कि किसी संस्था के एक व्यक्ति का यह कहना कि मेरे निकलने के बाद उसमें गिरावट आई है, दुखद है। यह कहना गलत है कि विवादित स्थल के नीचे मंदिर नहीं पाया गया। यह कहना गलत था। आप फैसले को पढ़ें। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पढ़ें और फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी पढ़ा जाए।
पूर्व सीजेआई के एनएचआरसी चीफ बनाए जाने की अटकलें लग रही हैं। अब डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह सिर्फ अफवाह है। इसके बारे में मुझसे किसी ने बात नहीं की है और मैं अपनी प्राइवेट सिटिजन की तरह जिंदगी को इंजॉय कर रहा हूं।
चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम को पत्र लिखकर शेखर कुमार यादव की इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति का कड़ा विरोध किया था।
Former CJI Chandrachud News: पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा है कि पूजा स्थल एक्ट को लेकर सुनवाई के दौरान की गई उनकी टिप्पणी कोर्ट में हुई चर्चा का ही हिस्सा थी और यह कोई अंतिम फैसला नहीं था।
दो साल पहले 21 मई, 2022 को तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने यही प्रश्न आया था, तब एक मौखिक टिप्पणी में चंद्रचूड़ ने माना था ऐसे विवादित पूजा स्थलों का सर्वेक्षण 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन नहीं करता है।
चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि यदि समाज में सभी को समान रूप से बिना किसी अंतर के देखा जाए और संसाधनों के असमान वितरण को नजरअंदाज किया जाए तो यह अधिक संसाधनों वाले लोगों को लाभ पहुंचाएगा और कमजोर वर्गों को और हाशिए पर धकेल देगा।
जयराम रमेश ने कहा कि चंद्रचूड़ द्वारा की गई पहले की टिप्पणियों की वजह से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इन दिनों चर्चा का प्रमुख विषय बन गया है। उनका दावा था कि 2022 में चंद्रचूड़ की मौखिक टिप्पणियों ने इस मुद्दे को और अधिक विवादास्पद बना दिया है।
ज्ञानवापी फैसले के बाद मथुरा के शाही ईदगाह, लखनऊ के टीले वाली मस्जिद और अब संबल की जामा मस्जिद के साथ-साथ अजमेर शरीफ में मंदिर होने के दावों पर याचिकाएं दाखिल हुई हैं।
चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले आर्टिकल 370, अयोध्या और सबरीमाला जैसे मामलों में बिना किसी बाहरी दबाव के दिए गए थे।
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने संजय राउत द्वारा लगाए आरोपों पर कहा कि कोई एक पार्टी यह नहीं तय कर सकती कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए।
शिवसेना मामले में फैसला देर से लेने के आरोपों पर भी पूर्व सीजेआई ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘देखिए, यही समस्या है। असली दिक्कत यह है कि राजनीति का एक निश्चित वर्ग सोचता है कि अगर उनके एजेंडे का पालन करते हैं तो हम स्वतंत्र हैं।’
पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि क्रिकेट खेलने के लिए समय नहीं मिलता था और शायद अब उम्र भी ज्यादा हो गई है। मैं क्रिकेट में बहुत दिलचस्पी रखता हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश भी नागरिक होते हैं और उन्हें वही अधिकार प्राप्त हैं जो किसी अन्य नागरिक को होते हैं, लेकिन समाज उनसे उच्च स्तर के आचरण की अपेक्षा करता है।
उद्धव ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मुख्यमंत्री बनने का सपना नहीं देख रहे हैं और उनकी प्राथमिकता उन लोगों को हराना है जो महाराष्ट्र का शोषण कर रहे हैं।
CJI Sanjiv Khanna: सीजेआई पद से रिटायरमेंट के बाद आवास पर 24/7 सुरक्षा रहेगी। साथ ही रिटायरमेंट के बाद अगले 5 साल तक एक पर्सनल सिक्युरिटी गार्ड भी साथ रहेगा। इसके अलावा रिटायर्ड सीजेआई को दिल्ली में टाइप-VII आवास मिलेगा।
30 साल का युवक वेजेटेटिव स्टेट में है। यानी वह जाग तो रहा है लेकिन अनुभवहीन है। ऐसी स्थिति में मां-बाप उसका खर्च नहीं वहन कर पा रहे थे और इच्छामृत्यु की मांग कर रहे थे। सीजेआई के फैसले के बाद उन्हें बड़ी राहत मिली है।
जस्टिस संजीव खन्ना भी खुद से पहले मुख्य न्यायाधीश रहे डीवाई चंद्रचूड़ की तरह ही जजों की फैमिली से आते हैं। उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। इसके अलावा उनके चाचा एचआर खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। इस तरह दो पीढ़ियों की न्यायिक विरासत जस्टिस संजीव खन्ना के साथ है।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा था। मैंने उनसे पूछा कि आप पुणे में क्यों फ्लैट खरीद रहे हैं?
चंद्रचूड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि रिटायर जजों के लिए ये भूमिकाएं संसद द्वारा स्थापित की गई हैं। ऐसे में यह जरूरी नहीं है कि जजों पर सवाल उठाए जाएं या उनकी आलोचना की जाए।
आपको बता दें कि CJI चंद्रचूड सोमवार यानी कि 11 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना सोमवार को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
जजों के ऊपर केवल राजनीतिक दबाव ही नहीं होता है। उनके ऊपर निजी हित समूहों का भी दबाव होता है। यह बात रिटायर्ड सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कही।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने फैसले में कहा कि नागरिकों की आवाज को उनकी संपत्तियों और घरों को नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता। एक इंसान के पास जो अंतिम सुरक्षा होती है, वह उसका घर है।
जस्टिस संजीव खन्ना देश के अगले सीजेआई बनने जा रहे हैं। वे पहले रोजाना मॉर्निंग वॉक पर जाते थे, लेकिन अब उन्होंने जाना बंद कर दिया है। जानिए क्या है वजह…
DY Chandrachud News: बरसों पहले डीवाई चंद्रचूड़ एक ऐसा फैसला लेने जा रहे थे, जिसके बाद वह कभी जज की कुर्सी तक पहुंच ही नहीं पाते। यह वाकया है साल 2000 का…
जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है, तो पक्षी अपने गीत बंद कर देते हैं। हवा अलग तरह से चलने लगती है। अन्य पेड़ खाली जगह को भरने के लिए अपनी जगह बदलते और समायोजित करते हैं।’
5 जजों की संविधान पीठ ने नवंबर, 2019 में दशकों से चली आ रही अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद को लेकर फैसला दिया था। फैसला सुनाने वाले संविधान पीठ में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
सीजेआई चंद्रचूड़ की विदाई के वक्त भावुक क्षण तब आया जब मौजूदा सीजेआई और उनके उत्तराधिकारी और भावी सीजेआई संजीव खन्ना ने एक-दूसरे को गले लगाया।