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न्यायपालिका में ऊंची जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व? पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने सुनाया पिता का किस्सा

  • बीबीसी चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से पूछा गया कि क्या न्यायपालिका में वंशवाद हावी है? खासकर उच्च जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व है? उन्होंने जवाब में अपने पिता का किस्सा सुनाया।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 13 Feb 2025 04:40 PM
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न्यायपालिका में ऊंची जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व? पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने सुनाया पिता का किस्सा

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में बीबीसी चैनल को दिए इंटरव्यू में अपने कार्यकाल के दौरान संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उनके घर पर यात्रा, राम मंदिर फैसला, अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) जैसे प्रमुख मामलों पर अपनी राय रखी। उनसे एक और अहम सवाल पूछा गया कि क्या न्यायपालिका में वंशवाद हावी है? खासकर उच्च जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व है? इसके जवाब में उन्होंने अपने पिता और न्यायाधीश रह चुके वाई वी चंद्रचूड़ से मिली सलाह का हवाला दिया।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ से पूछा गया था कि क्या भारतीय न्यायपालिका राजनीतिक दबाव में काम करती है। उन्होंने इस धारणा को सिरे से खारिज किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यही कारण है कि लोगों का उसमें विश्वास बना हुआ है।

न्यायपालिका में ऊंची जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व?

उनसे सवाल किया गया कि क्या भारतीय न्यायपालिका पर कुछ खास वर्गों, विशेष रूप से उच्च जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व है? चंद्रचूड़ ने स्पष्ट रूप से इस आरोप को खारिज किया। उन्होंने कहा, अगर आप भारतीय न्यायपालिका के सबसे निचले स्तर यानी ज़िला न्यायपालिका में भर्ती प्रक्रिया को देखें, तो कई राज्यों में 50 से 70 प्रतिशत तक नई भर्ती होने वाली न्यायाधीश महिलाएं हैं।

अपने पिता का जिक्र

उन्होंने यह भी बताया कि जैसे-जैसे महिलाओं तक शिक्षा और विशेष रूप से विधि शिक्षा की पहुंच बढ़ रही है, वैसे-वैसे यह संतुलन न्यायपालिका के ऊपरी स्तरों तक पहुंचेगा। उन्होंने अपने पिता और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाई.वी. चंद्रचूड़ का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके पिता ने उन्हें सलाह दी थी कि जब तक वे CJI के पद पर हैं, तब तक वे अदालत न जाएं। इसलिए उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल में पढ़ाई की और अपने पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद ही अदालत में प्रवेश किया।

क्या मोदी सरकार ने न्यायपालिका पर दबाव डाला?

चंद्रचूड़ से पूछा गया कि क्या उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा? इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से कार्य कर रही है। बीबीसी ने न्यूयॉर्क टाइम्स के एक संपादकीय का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि भाजपा सरकार न्यायपालिका का उपयोग अपने राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए कर रही है। इसके जवाब में पूर्व CJI ने कहा, 'अगर आप 2024 के आम चुनावों को देखें, तो यह धारणा कि भारत एक 'वन-पार्टी स्टेट' बन रहा है, गलत साबित होती है। विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और वे स्वतंत्र रूप से सरकार चला रहे हैं।'

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राहुल गांधी का हवाला

गुजरात हाई कोर्ट द्वारा विपक्षी नेता राहुल गांधी की सजा को बरकरार रखने और बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे निलंबित करने का मुद्दा उठाया गया। इस पर चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर भारतीय न्यायपालिका किसी के दबाव में होती, तो सुप्रीम कोर्ट उनकी सजा को निलंबित क्यों करता? उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने 21300 जमानत याचिकाओं का निपटारा किया, जिससे यह साबित होता है कि न्यायपालिका निष्पक्ष रूप से काम कर रही है।

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