वैशाली जिले में गंगा नदी में उफान के चलते बाढ़ की समस्या गंभीर हो रही है। इस बीच जिले के कई इलाकों में हैंडपंप और बोरिंग से अपने आप पानी निकलने लगा है।
भागलपुर जिले के विभिन्न प्रखंडों में गंगा नदी का पानी निचले इलाकों में प्रवेश कर गया है। कई गांवों में कटाव से दहशत है। घरों में पानी घुसने से लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
छपरा के इनई गांव के समीप सोंधी नदी के मुहाने पर स्थित स्लुइस गेट के ऊपर से बाढ़ का पानी बह रहा है। स्लुइस गेट के दोनों तरफ का बांध कट कर ध्वस्त हो रहा है। सोंधी नदी के तटबंध पर भी खतरा मंडरा रहा है। नदी के आसपास के गांवों में बाढ़ की आशंका से ग्रामीण सहमे हैं।
सभी सड़कों पर फिर तीन से पांच फीट ऊंचा बाढ़ का पानी बहने लगा है। लोग पानी में डूबी सड़कों पर होकर आवाजाही कर रहे हैं। अस्पताल व सभी स्कूल परिसर में फिर बाढ़ का पानी जमा हो चुका है।
गंगा नदी में उफान आने से बिहार के समस्तीपुर और वैशाली जिले के दियारा इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं। सड़कें डूब गई हैं, स्कूल और घरों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। लोग ऊंचे इलाके में शरण ले रहे हैं।
गांव के सुधा शंकर सिंह बताते हैं कि गंडक नदी में कटाव पिछले आठ दिनों से हो रहा है। पहले कटाव की रफ्तार कम थी लेकिन पिछले दो दिनों से कटाव की रफ्तार तेज है।
पटना जिले के दियारा इलाके के 76 स्कूल 5 सितंबर तक बंद रहेंगे। इस संबंध में जिलाधिकारी ने आदेश जारी किया है। इससे पहले 31 अगस्त तक स्कूल बंदी के आदेश थे।
बिहार में पछुआ हवाओं के चलते मॉनसून बिगड़ा हुआ है। जिसके चलते अबतक 25 फीसदी कम बारिश हुई है। पड़ोसी राज्यों से आ रहे पानी के चलते नदियां तो लबालब हैं, लेकिन खेत सूखे पड़े हैं। जिसके चलते किसानों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार की बड़ी नदियों पर नए बराज बनाए जाएंगे। राज्य सरकार इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगी। जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने इसकी शुक्रवार को घोषणा की।
एशिया के विशालतम जलाशयों में से एक रिहंद बांध में तेजी से बढ़े जलस्तर के कारण आठ साल बाद सात गेट खोल दिए गए हैं। इसके दबाव से ओबरा बांध के भी पांच फाटक खोलने पड़े। सोन नदी में पानी गिराया जा रहा है।
गंगा नदी के जलस्तर के लगातार बढ़ने से इन क्षेत्रों में करीब 30 हजार हेक्टेयर में लगी फसल भी बर्बाद हो रही है। निचले व दियारा क्षेत्र में पहले से ही जलभराव हो चुका है। ऐसे में किसानों की लागत पूंजी भी बाढ़ की भेंट चढ़ गई है।
रविवार को शाम 5 बजे भागलपुर में गंगा का जलस्तर 33.70 मीटर दर्ज किया गया। जबकि कहलगांव में 32.04 मीटर दर्ज हुआ। भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से दो सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, लेकिन कहलगांव में 93 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। सोमवार को वृद्धि जारी रहने की संभावना जल संसाधन विभाग ने जताई है।
गंगा का जलस्तर भागलपुर में फिर से लाल निशान के करीब आ गया है। शनिवार को लाल निशान 33.68 मीटर से सिर्फ एक सेमी नीचे 33.67 मीटर पर जलस्तर आंका गया। केंद्रीय जल आयोग ने पूर्वानुमान किया है कि रविवार को भागलपुर में 11 सेमी और कहलगांव में 12 सेमी की वृद्धि होगी।
प्रभावित इलाके में डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी और नवगछिया के एसपी पूरण कुमार झा कैंप कर रहे हैं। यहां फ्लड फाइटिंग टीम काम कर रही है। जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख मनोज कुमार रमण ने टीम के साथ टूटे बांध का जायजा लिया। डीएम ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल की टीम तेजी से मरम्मत कार्य करा रही है।
गंगा में लगातार बढ़ते पानी से भागलपुर के दियारा क्षेत्र में पानी फैल गया है। फसलें डूब गईं हैं। वहां रहने वाले लोग नाव से सुरक्षित स्थान तक पहुंच रहे हैं। केन्द्रीय जल आयोग ने पूर्वानुमान जताया है कि सोमवार को भागलपुर में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर हो सकता है।
गंगा का जलस्तर दीघा घाट, गांधी घाट और हाथीदह में खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंच गया है। रविवार को सबसे खतरनाक स्थिति गांधी घाट रही। यहां गंगा का जलस्तर 49.39 मीटर तक पहुंच गया। गांधी घाट पर लाल निशान का स्तर 48.60 मीटर है। यानी खतरे के निशन से करीब 80 सेंटीमीटर ऊपर पानी बह रहा है।
भारी बारिश और नदियों के बढ़े जलस्तर के चलते पटना में बाढ़ जैसे हालात हैं। और जगह-जगह जलभराव हो गया है। जिसे निकालने के लिए सुपर सकर लगाए गए हैं। साथ ही नगर निगम और बुडको के अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
पटना में गंगा, सोन और पुनपुन नदियां लाल निशान से ऊपर बह रही हैं। जिससे चलते सड़क से घरों तक में पानी घुस गया है। और बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। वहीं सुरक्षा बांधों पर भी संकट गहरा गया है।
इसी के साथ तेज प्रताप यादव ने अपने आवास के अंदर घुसे पानी की कई तस्वीरें भी शेयर की हैं। इन तस्वीरों में नजर आ रहा है कि उनके आवास में कई जगहों पर पानी लग गया है। तेज प्रताप यादव ने इसका एक वीडियो शेयर किया है।
बिहार में गंडक, कोसी, बागमती, लखनदेई व परमान नदी पहले से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। सोन नदी का जलस्राव कम होने के बाद एक बार फिर से तेजी से चढ़ने लगा है।
गंगा समेत 10 बड़ी नदियां खतरे के निशान से ऊपर है। गंगा नदी भोजपुर और पटना के दीघा में भी खतरे के निशान के पार हो गयी। दीघा के अलावा गांधी घाट भी जलमग्न हो गए हैं।
बिहार में भारी बारिश के चलते गंगा, गंडक, कोसी समेत 9 नदियां उफान पर हैं। जिसके चलते कई जिलों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। वहीं पटना, पू्र्णिया, गया रोहतास में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
पटना में गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर आ गया है। जिसके चलते कई घाट जलमग्न हो गए हैं। इस बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़क मार्ग से पटना के आसपास गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर का जायजा लिया।साथ ही जेपी, कंगन घाट का भी निरीक्षण किया। और अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए।
इस बार बारिश में भी पटना समेत आठ जिलों की कुछ नदियों में मापने योग्य पानी ही नहीं है। अर्थात वहां जलस्तर अभी गेज स्तर से भी नीचे है। पानी में बहाव नहीं है। बारिश का पानी जहां-तहां जमा है। जल संसाधन विभाग के विशेषज्ञ इसलिए हैरान हैं। कि जब अधिसंख्य नदियों में उफान है तो फिर कुछ नदियां सूखी क्यों हैं।
बेगूसराय के बलिया के दियारा इलाके में गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि शुरू हो गयी है। इससे गंगा किनारे के गांवों के समीप कटाव भी तेजी से जारी है। नालंदा में छह स्थानों पर तटबंध टूट गया है।
उत्तर बिहार को कोसी नदी से आने वाली बाढ़ के प्रकोप से बचाने के लिए कोसी मेची लिंक परियोजना रामबाण साबित हो सकती है। इसके तहत कोसी नदी के एक्स्ट्रा पानी को मेची नदी तक ले जाया जाएगा।
केंद्रीय बजट से पहले दिल्ली में आयोजित सर्वदलीय बैठक में जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने और बाढ़ की समस्या पर नेपाल सरकार से बातचीत करने की मांग उठाई।
नेपाल से अचानक पानी छोड़े जाने से बिहार की नदियां उफान पर हैं। जिससे सीमांचल में कटाव और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। सैकड़ों घर बह गए हैं। और कृषि भूमि नष्ट हो गई है। प्रशासन पर अनदेखी के आरोप लग
बिहार में बाढ़ को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने 9 जिलों को छोड़ सभी जिलों के सरकारी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां 15 सितंबर तक रद्द की हैं। अपर सचिव शैलेश कुमार ने आदेश जारी किया है।
नेपाल हो रही तेज बारिश से अररिया जिले में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। सीताधार नदी और सुरसुर नदी उफान पर है। और शहर के निचले इलाकों में पानी घुस गया है। प्रशासन उचित कदम उठा रहा है।