हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? ऐसी तमाम जानकारियां हर सप्ताह आपसे यहां साझा करेंगी, जयंती रंगनाथन
भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में करीब 99% आबादी ऐसी हवा में सांस ले रही है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानकों पर खरी नहीं उतरती। वायु प्रदूषण के कारण हर साल करीब 70 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है।
दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-3 की पाबंदियां हटा दी गई हैं, क्योंकि बारिश के चलते राजधानी दिल्ली समेत आस-पास के हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक में लगातार सुधार हो रहा है।
Delhi Air Pollution: दिल्ली में इस साल साफ हवा वाले दिनों की संख्या में पहले की तुलना में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन प्रदूषक कणों की सघनता पहले से ज्यादा रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि इस साल पीएम 10 और पीएम 2.5 कणों का औसत पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा रहा।
दिल्ली में बुधवार को भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक पर रहा। दिल्ली में शाम छह बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 448 पर पहुंच गया। दिल्ली के 36 निगरानी स्टेशनों में से 32 केंद्रों पर एक्यूआई 'गंभीर प्लस' श्रेणी में दर्ज किया गया।
भारत में प्रदूषण को लेकर हालात काफी खराब हैं। यहां तक कि किसी भी भारतीय को डब्लूएचओ मानकों के मुताबिक शुद्ध हवा नसीब नहीं हो रही है।
पटना के गांधी मैदान का वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार को बेहद खराब श्रेणी यानी 440 पर पहुंच गया है। गांधी मैदान के अलावा समनपुरा में 303, डीआएम कार्यालय दानापुर के आसपास के इलाके में 306, तारामंडल के पास 264 वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया गया है।वहीं सासाराम की हवा सबसे खराब रही।
केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि उनके मंत्रालय को दिल्ली सरकार से चार पत्र प्राप्त हुए। इनमें सर्दियों में दिल्ली में एक्यूआई में सुधार के तौर पर क्लाउड सीडिंग पर विचार करने को कहा गया था।
Delhi Air: दिल्ली-एनसीआर की हवा में थोड़ा सुधार आया है। मंगलवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 274 दर्ज किया गया। यह वायु प्रदूषण के लिहाज से दिल्लीवासियों के लिए राहत भरा लगातार तीसरा दिन है। दिल्लीवासियों के लिए नवंबर की तुलना में दिसंबर की शुरुआत में सांस लेना आसान रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ग्रैप-4 की पाबंदियों में राहत तभी दी जाएगी जब पलूशन में कमी का ट्रेंड नजर आएगा। इसके साथ ही ग्रैप-4 की पाबंदियों के कड़ाई से अनुपालन के मसले पर तीखे सवाल भी पूछे…