अपने पितरों की तस्वीर दक्षिण की दीवार पर लगाएं। इन दिनों में नित्य प्रति शाम को अपने पितरों के नाम का एक दीया अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा में जलाएं तथा ईश्वर से उनकी सद्गति के लिये प्रार्थना करें और अपने परिवार के लिए आशीर्वाद मांगें।
पितृपक्ष में पंचबलि कर्म किया जाता है। इसका मतलब है कि इस दिन देवताओं, पीपल, गाय, कौवे को भोजन दिया जाता है। इन दिनों चीटियों तथा मछलियों को भोजन करवाना चाहिए।
इन दिनों में अपने पितरों के नाम से जरूरतमंदों को अनाज का दान करना शुभ फलदायी होता है। जब भी पितरों के निमित्त भोजन दान करें, उसमें तुलसी का पत्ता अवश्य डालें।
पितृपक्ष के दौरान कई चीजों का दान सीधा पितरों तक पहुंचता है। इस दिन जूते-चप्पल, कपड़े, काला तिल, आटा, गुड़ घी, छाता, नमक, चांदी, सोना, गौ दान बहुत ही खास माने जाते हैं।
श्राद्ध कर्म में पितरों का तर्पण में अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है। ऐसा कहा गया है किहथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है और पितृ तीर्थ से होता हुआ जल जब अंगूठे के माध्यम से पिंडों तक पहुंचता है तो पितर पूर्ण रुप से तृप्त हो जाते हैं। इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।