वक्फ कानून पर रोक लगाई जाए या नहीं, 20 को विस्तार से सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 पर अंतरिम रोक लगाने पर विचार करने के लिए 20 मई की तारीख तय की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम-2025 पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं, इस पर 20 मई को होने वाली विस्तृत सुनवाई में विचार किया जाएगा। कोर्ट ने साफ किया कि इस सवाल पर विचार करते समय वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों को चुनौती देने वाले हिंदू पक्षकारों की याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इसमें मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम स्पष्ट कर रहे हैं कि वक्फ अधिनियम 1995 के किसी भी प्रावधानों पर रोक लगाने के आग्रह पर विचार नहीं करेंगे।
कहा कि महज इसलिए कि कोई वक्फ (संशोधन) अधिनियम को चुनौती दे रहा है, दूसरा कूदकर 1995 के अधिनियम को चुनौती देना चाहता है, यह किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होगा। पीठ ने वक्फ संशोधित कानून की वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सोमवार तक अपने लिखित नोट दाखिल करने को कहा। यह भी कहा कि अगली सुनवाई तक पंजीकृत या गैर पंजीकृत या उपयोगकर्ताओं द्वारा घोषित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में नई नियुक्तियां नहीं होंगी। केंद्र की ओर से इसका आश्वासन बीते माह ही दिया जा चुका है। मेहता ने पीठ से मामले की सुनवाई का यूट्यूब पर सजीव प्रसारण रोकने की मांग की तो कोर्ट ने कहा कि इस पर आगे विचार होगा। तीन अहम मुद्दों पर जवाब दाखिल सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से बताया कि उन्होंने शीर्ष अदालत द्वारा मामले में उठाए गए प्रमुख तीन मुद्दों पर विस्तृत जवाब दायर किया है। पहला मुद्दा यह था कि वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को गैर अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, भले ही वे वक्फ-बाय-यूजर या वक्फ डीड द्वारा हों। दूसरा मुद्दा यह था कि संशोधन अधिनियम का प्रावधान जिसके अनुसार एक वक्फ संपत्ति को वक्फ के रूप में नहीं माना जाएगा, जबकि कलेक्टर इस बात की जांच कर रहे हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, इस पर प्रभाव नहीं डाला जाएगा। तीसरा मुद्दा था कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सभी सदस्य, पदेन सदस्यों को छोड़कर, मुस्लिम होने चाहिए।
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