Supreme Court declines PIL seeking FIR Delhi high court judge Yashwant Varma in discovery of cash कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल राहत, FIR दर्ज कराने से इनकार, India Hindi News - Hindustan
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कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल राहत, FIR दर्ज कराने से इनकार

  • यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास के स्टोर रूम में आग लगी, जिसके बाद वहां से भारी मात्रा में जले हुए नोट मिलने की बात सामने आई।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 28 March 2025 01:53 PM
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कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल राहत, FIR दर्ज कराने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने नगदी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा है कि मामले की इन हाउस कमेटी द्वारा जांच की जा रही है और रिपोर्ट आने के बाद देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) के पास कार्रवाई करने के कई सारे विकल्प हैं। ऐसे में इस याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और हेमाली सुरेश कुर्ने द्वारा दायर याचिका को ‘‘समय से पहले’’ दायर की गई याचिका बताया। पीठ ने कहा, "आंतरिक जांच जारी है। यदि रिपोर्ट में कुछ गलत पाया जाता है तो एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जा सकता है या मामले को संसद को भेजा जा सकता है। आज इस पर विचार करने का समय नहीं है।"

न्यायाधीश और वकील के बीच हुई जिरह

वकील नेदुम्परा ने दूसरे मामलों का जिक्र करते हुए कहा, "कृपया देखें कि केरल में क्या हुआ। POCSO मामले में, एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए गए थे और पुलिस आरोपी का नाम तक नहीं लिख सकी। जबकि आरोप गंभीर थे। केवल पुलिस ही इसकी जांच कर सकती है। अदालतें इसकी जांच नहीं कर सकतीं।" इस पर न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "कृपया इन-हाउस जांच प्रक्रिया निर्धारित करने वाले दोनों फैसले पढ़ें। प्रक्रिया के बाद, सभी विकल्प खुले हैं।"

इसके बाद नेदुम्परा ने तर्क दिया, "आम आदमी पूछता रहता है कि 14 मार्च को कोई एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई, कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, कोई जब्ती क्यों नहीं हुई, कोई आपराधिक कानून क्यों नहीं लागू किया गया। इस घोटाले को जारी करने में एक सप्ताह का समय क्यों लगा। कॉलेजियम ने यह क्यों नहीं कहा कि उसके पास वीडियो आदि हैं।"

पीठ ने कहा, "हमने याचिका देखी है। ये सवाल उठाए गए हैं। अब आंतरिक जांच चल रही है। लेकिन हम इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते और फिर भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास सभी विकल्प खुले हैं।" नेदुम्परा ने जवाब दिया, "ये बात आम आदमी नहीं समझेगा।" तभी न्यायमूर्ति ओका ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आपको आम आदमी को कानून बनाने वाले सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के बारे में शिक्षित करना चाहिए।”

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को वकील नेदुम्परा द्वारा याचिका का उल्लेख किए जाने के बाद तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। नेदुम्परा और तीन अन्य ने रविवार को याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास के स्टोर रूम में आग लगी, जिसके बाद वहां से भारी मात्रा में जले हुए नोट मिलने की बात सामने आई। इस घटना ने न्यायपालिका में हलचल मचा दी है और अब इसकी जांच में नए घटनाक्रम सामने आ रहे हैं।

जांच के लिए CJI खन्ना ने बनाई है कमेटी

मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने तीन जजों की एक समिति गठित की थी, जिसकी अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू कर रहे हैं। समिति में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन भी शामिल हैं। इस समिति ने हाल ही में जस्टिस वर्मा के आवास का दौरा किया और घटनास्थल का मुआयना किया। गुरुवार को समिति ने दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग से भी पूछताछ की, जिनके बयान दर्ज किए गए। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने उस क्षेत्र को सील कर दिया है जहां अधजले नोट मिले थे, और इसकी वीडियोग्राफी भी की गई है।

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जस्टिस यशवंत वर्मा ने खारिज किए आरोप

जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि न तो उनके और न ही उनके परिवार ने कभी स्टोर रूम में कोई नकदी रखी थी। उनका दावा है कि यह उनकी छवि को खराब करने की साजिश है। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका कड़ा विरोध किया है। वकीलों ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ पहले CBI जांच होनी चाहिए और उनके ट्रांसफर को रोका जाए।

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