पहल : बभनियामा के किसान गुड़, गोबर व मट्ठा से बना रहे प्राकृतिक खाद
पहल : बभनियामा के किसान गुड़, गोबर व मट्ठा से बना रहे प्राकृतिक खादपहल : बभनियामा के किसान गुड़, गोबर व मट्ठा से बना रहे प्राकृतिक खादपहल : बभनियामा के किसान गुड़, गोबर व मट्ठा से बना रहे प्राकृतिक...

पहल : बभनियामा के किसान गुड़, गोबर व मट्ठा से बना रहे प्राकृतिक खाद अगले माह तक 100 क्विंटल खाद होगी तैयार तो आत्मनिर्भर बन जाएंगे किसान खेती के लिए रासायनिक खादों पर अब नहीं रहना पड़ेगा निर्भर प्रज्ञा कृषक हित समूह से जुड़ीं महिला किसानों की अनोखी पहल फोटो बेन : बेन के वभनियामा में प्राकृतिक खाद बनाने वाली महिला कृषक। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। बेन प्रखंड का वभनियामा गांव के किसान अगले माह तक प्राकृतिक खाद उत्पादन में आत्मनिर्भर बन जाएंगे। गांव के करीब 50 घरों में सफलता पूर्वक प्राकृतिक खाद बनायी जा रही है। अगले दो हफ्तों में 100 क्विंटल से अधिक प्राकृतिक खाद तैयार हो जाएगी।
खास यह भी कि प्राकृतिक खाद तैयारक करने का बीड़ा महिला किसानों ने उठायी है। शनिवार को प्रज्ञा कृषक हित समूह, तिलैया की टीम बभनियामा गांव पहुंची थी। बेन की आत्मा अध्यक्ष सुविधा कुमारी के घर में दो दर्जन से अधिक महिला कृषकों को गुड़, गोबर और मट्ठा से प्राकृतिक खाद बनाने की हर बारीकियां सिखायी गयी थीं। ट्रायल के तौर पर सुविधा कुमारी ने गुड़, गोबर और मट्ठा से करीब 800 किलोग्राम प्राकृतिक खाद तैयार कर अन्य महिला कृषिकों को इसकी बूखियां बतायीं। साथ ही खाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया। सुविधा कुमारी ने कहा कि छूत माने जाने वाला गोबर अब किसानों की किस्मत चमकाएगी। कोई भी व्यक्ति अपने घर में गुड़, गोबर व मट्ठा से बहुत कम खर्च में प्राकृतिक खाद आसानी से तैयार कर सकते हैं। प्रशिक्षण में गांव की कुमारी प्रीति सिन्हा, सुषमा कुमारी, श्यामा देवी, प्रिया देवी, सुनीता देवी, मुन्नी देवी, शिवा कुमारी, अमेरिकी देवी, सुविधा कुमारी, सपना कुमारी, शांति देवी, मुनकी देवी, सुधा देवी, मानो देवी, मीना देवी, गिरिजा देवी, देवंती देवी, मीरा देवी, सविता देवी, विद्या भारती आदि शामिल थीं। प्राकृतिक खाद फसलों के लिए लाभदायक: प्रज्ञा कृषक हित समूह, तिलैया के अध्यक्ष वीर अभिमन्यु सिंह ने बताया कि गुड़, गोबर और मट्ठा से बनी प्राकृतिक खाद एक तरह का प्रोबायोटिक्स है। इसके प्रयोग से खेतों में लाभदायक जीवाणु की बढ़ोतरी होती है और दुश्मन कीट-फफुदों का नाश होता है। इसमें यूरिया, फास्फेट, डीएपी , आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि में मदद करते हैं। मट्ठा, गुड़ और गोबर के मिश्रण से फसल अवशेषों का प्रबंधन भी किया जा सकता है। मट्ठा में लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं जो मिट्टी क स्वस्थ रहते हैं। मट्ठा में एंजाइम होते हैं जो पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देते है।
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