जाति गणना की कीजिए मांग, नवीन पटनायक के करीबी ने क्यों कर दी कांग्रेस वाली मांग? उलझन में BJD
BJD चीफ पटनायक को लिखी अपनी चिट्ठी में पूर्व मंत्री ने लिखा कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता पार्टी के मूलभूत आदर्श रहे हैं और आज के परिवेश में इसका अभूतपूर्व तरीके से परीक्षण किया जा रहा है।

पिछले दिनों राज्यसभा में वक्फ बिल पर अपने सांसदों को स्वेच्छा से मतदान की इजाजत देने के बाद ओडिशा की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल (BJD) में खींचतान और तनाव पसरा हुआ है। इस बीच, आठ बार के विधायक और नवीन पटनायक सरकार में मंत्री रहे रणेंद्र प्रताप स्वैन ने पार्टी प्रमुख नवीन पटनायक से मांग की है कि वह कांग्रेश शासित राज्य तेलंगाना और कर्नाटक की तरह व्यापक जाति जनगणना के मुद्दे पर सैद्धांतिक रुख अपनाएं ताकि पार्टी सामाजिक न्याय पर अपनी वैचारिक विरासत को फिर से हासिल कर सके। स्वैन ने पार्टी प्रमुख से कांग्रेस की ही तरह जाति जनगणना कराने की मांग करने की गुजारिश की है।
BJD चीफ पटनायक को लिखी अपनी चिट्ठी में पूर्व मंत्री ने लिखा कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता पार्टी के मूलभूत आदर्श रहे हैं और आज के परिवेश में इसका अभूतपूर्व तरीके से परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने यह भी लिखा है कि वक्फ बिल विवाद पर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच हाल ही में असंतोष ने पार्टी की धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसलिए यह जरूरी है कि पार्टी जाति जनगणना पर सकारात्मक रुख अपनाकर सामाजिक न्याय के आदर्शों को जगजाहिर करे।
सामाजिक न्याय ही बीजद के मूल विचार
उन्होंने लिखा, "पार्टी को अपने मूल सिद्धांतों के रूप में सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता दोनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतानी चाहिए और इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए पार्टी कैडर्स को पूर्ण विश्वास में लेना चाहिए। यह हमारी वैचारिक विरासत को फिर से प्राप्त करने और सामाजिक न्याय में निहित पार्टी के रूप में अपनी पहचान को फिर से स्थापित करने का समय है।" स्वैन ने लिखा कि धर्मनिरपेक्षता और क्षेत्रीय सम्मान पार्टी के स्तंभ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर पार्टी सामाजिक न्याय के विचार को आगे बढ़ाती है, तो यह जनता के साथ शक्तिशाली रूप से जुड़ने का एक अहम कदम होगा क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से आर्थिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित होगा। उन्होंने फिर कहा कि सामाजिक न्याय हमारी पार्टी के वैचारिक और नीतिगत मुद्दों में सबसे आगे होना चाहिए।"
ओडिशा में 54 फीसदी पिछड़ा समुदाय
व्यापक जाति जनगणना की मांग करते हुए, स्वैन ने कहा कि राज्य में ओबीसी समुदाय आबादी का हिस्सा करीब 54% है, लेकिन उन्हें शिक्षा में कोई आरक्षण नहीं मिल रहा है और वे पूरी तरह से उपेक्षित हैं। उन्होंने लिखा, “समानता का वादा अधूरा है और हमारे कोर वोटर्स का भरोसा कमजोर हो रहा है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि बीजू बाबू की राजनीति सामाजिक न्याय पर आधारित थी, जिसमें धर्मनिरपेक्षता और क्षेत्रीय गौरव इसके स्वाभाविक विस्तार थे। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहाँ हाशिए पर पड़े लोगों को सम्मान, प्रतिनिधित्व और अवसर के साथ सशक्त बनाया जाए।”
कांग्रेस की लाइन पर बीजद विधायक
ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा 1 मई से 6 जून, 2023 के बीच ओडिशा में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों का एक सर्वेक्षण किया गया था, ताकि पिछड़े समुदायों की सामाजिक और शैक्षणिक स्थितियों का आकलन किया जा सके। इसने बताया कि ओडिशा की अनुमानित 2023 की आबादी (53.96 लाख घरों में 1.94 करोड़ लोग) का 39.31% एसईबीसी से संबंधित है। हालांकि, 1931 के बाद से कोई औपचारिक जाति जनगणना नहीं की गई है। ओडिशा में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के तहत 209 जातियों की एक सूची है, जो केंद्र सरकार के स्तर पर या अन्य राज्यों में इस्तेमाल की जाने वाली ओबीसी श्रेणी के बराबर है। बता दें कि कांग्रेस देश भर में जाति जनगणना कराने की मांग करती रही है। बीजद विधायक उसी लाइन पर अपनी मांग कर रहे हैं।