वक्फ कानून की संवैधानिकता पर आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सरकार-विपक्ष की तैयारी पूरी
- सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिकता पर सुनवाई होगी। इससे पहले देश में 6 भाजपा शासित राज्यों की सरकार ने इस बिल के समर्थन में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

वक्फ कानून को लेकर पूरे देश में हलचल मची हुई है। पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद नया वक्फ संशोधन कानून भले ही लागू हो गया हो पर इसे लेकर सरकार और विपक्ष के बीच अब भी मतभेद जारी हैं। इस बीच कई विपक्षी पार्टियों ने कानून की संवैधानिकता पर सवाल उठाए हैं और इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल की हैं। इस कड़ी में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
जानकारी के मुताबिक भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ 16 अप्रैल को करीब 10 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इस कानून को चुनौती देने वालों में लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, मौलाना अरशद मदनी, सहित केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी और कई अन्य शामिल हैं।
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का हवाला
गौरतलब है कि कई राजनीतिक नेताओं, धार्मिक संगठनों और नागरिक अधिकार समूहों ने वक्फ के मौजूदा संशोधनों की आलोचना की है। उन्होंने तर्क दिए हैं यह कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की पूरी सुनवाई होने तक कानून के लागू होने पर रोक लगाने की अपील की है। इन याचिकाओं में कानून को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा) और अनुच्छेद 300-ए (संपत्ति का अधिकार) सहित कई संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
छह भाजपा शासित राज्य पहुंचे कोर्ट
वहीं भाजपा की केंद्र सरकार ने भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक कैविएट दायर किया है। सरकार ने अनुरोध किया है कि उसका पक्ष सुने बिना कोई अंतरिम आदेश पारित न किया जाए। इस बीच छह भाजपा शासित राज्यों ने नए वक्फ कानून का समर्थन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम ने कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम को रद्द करने या उसमें बदलाव करने की स्थिति में संभावित प्रशासनिक और कानूनी प्रभावों पर जोर दिया गया है। इन याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि यह कानून वक्फ बोर्ड और इससे जुड़े मामले में सभी तरह की विसंगतियों को दूर करने के लिए लाया गया है और अदालत को इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।