खरगे ने मांग की है कि संविधान संशोधन के माध्यम से लिमिट खत्म की जाए। इसके अतिरिक्त निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण की मांग दोहराई है। दरअसल जाति जनगणना के बाद कई मसलों पर राजनीति तेज हो सकती है। ऐसे में अगले कुछ साल इस लिहाज से अहम होंगे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब 3 जुलाई 2015 को जाति जनगणना रिपोर्ट पेश की गई थी तो 16 जुलाई को नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया।
सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने मोदी सरकार के जाति जनगणना के फैसले को बेहतरीन बताया है। उन्होने कहा केंद्र सरकार का ये अच्छा निर्णय है। पिता जी (नीतीश कुमार) शुरू से ही इसके पक्षधर रहे हैं। उन्होने 2022 में कैबिनेट से इस प्रस्ताव को पारित करवाया था।
सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी का डीएनए जाति जनगणना विरोधी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस ने शुरुआत से ही जातीय जनगणना का विरोध किया है, वो भी सार्वजनिक मंचों से लेकर अदालत में भी। भाजपा जाति गणना पर कहती रही है बंटेंगे तो कटेंगे। मंडल कमीशन के विरोध में भी थी।
शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि जातिगत जनगणना पर तेजस्वी यादव, राहुल गांधी और अखिलेश यादव को बोलने या राजनीति करने का कोई हक नहीं है। इन लोगों में पीएम के कार्य पर क्रेडिट लेने की होड़ मची है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में तेजस्वी ने कहा कि जाति जनगणना कराने का निर्णय हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है। इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग केवल आंकड़ों की नहीं बल्कि सम्मान और सशक्तिकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव पर पलटवार करते हुए नीरज ने कहा है कि मोदी हैं तो मुमकिन है और नीतीश हैं तो निश्चिंत। उन्होंने लालू यादव के जंगलराज की या दिलाते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी को आइना दिखाया है।
मोदी सरकार में मंत्री और अपना दल एस की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने जातीय जनगणना कराने के ऐलान को अपनी सरकार की मांग पूरा होने से जोड़ते हुए अब ओबीसी मंत्रालय की मामला उठाया है। कहा कि यह मांग भी पूरी होगी।
आखिरी बार 1931 में जाति जनगणना हुई थी। तब आज के पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत का हिस्सा हुआ करते थे। ब्रिटिश इंडिया में हुई इस जाति जनगणना में ओबीसी जातियों की आबादी 52 फीसदी पाई गई थी, जबकि देश भर की जनसंख्या उस वक्त 27 करोड़ थी। इसी के आधार पर मंडल कमीशन ने सिफारिशें दी थीं।
मोदी सरकार के जाति जनगणना के फैसले पर राजद सांसज मनोज झा ने बीजेपी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि 'बंटेंगे तो कटेंगे' की जगह अब कौन सा नया नारा जगह लेगा। जो अब तक कहते थे कि अगर जाति जनगणना हुई तो जातिवाद का जहर फैल जाएगा।