इंग्लैंड की रानी की घड़ी में 11 बजते थे, तब पेश होता था भारत का बजट; खूब बरसे अमित शाह
- शाह ने कांग्रेस पर गुलामी की मानसिकता में जकड़े रहने का आरोप लगाया। राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने यह बात कहीं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए संविधान संशोधनों का मुद्दा उठाया। राज्यसभा में संविधान पर बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने भाजपा और कांग्रेस द्वारा अब तक किए गए संविधान संशोधनों की तुलना भी की। अमित शाह ने कहा कि हालिया संसद सत्र से देश के लोगों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस पार्टी ने संविधान का सम्मान किया है और किसने नहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जमाने में भारत का बजट शाम को साढ़े 5 बजे पेश किया जाता था क्योंकि उस समय अग्रेजों की रानी की घड़ी में सुबह के 11 बज रहे होते थे। उन्होंने कांग्रेस पर गुलामी की मानसिकता में जकड़े रहने का आरोप लगाया। राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने यह बात कहीं।
कांग्रेस पर खूब बरसे अमित शाह
संविधान में किए गए संशोधनों का ब्यौरा देते हुए गृह मंत्री ने कहा, "विपक्ष कहता है कि हम संविधान बदल देंगे। संविधान बदलने का प्रावधान हमारे संविधान में पहले से ही मौजूद है। कांग्रेस ने अपने 55 साल के शासन के दौरान हमारे संविधान में 77 संशोधन किए, जबकि भाजपा ने केवल 22 बार ऐसा किया।" अमित शाह ने कहा, "इस देश को गुलामी की मानसिकता से आजाद करने का काम कई सालों के बाद अगर किसी ने किया, तो हमारे नेता नरेंद्र मोदी ने किया। आप (कांग्रेस) तो कई साल तक बजट शाम को साढ़े पांच बजे रखते थे।"
शाह ने कहा, "क्यों साढ़े पांच बजे रखते थे? क्योंकि इंग्लैंड की रानी की घड़ी में उस वक्त 11 बजते थे। आजादी के इतने सालों तक अंग्रेज की रानी की घड़ी से बजट रखने की आदत थी। वो भी किसी ने बदला, तो भारतीय जनता पार्टी ने बदला... अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बदला।"
सच में भारत का बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था?
जी हां, ये सच है। भारतीय संसद में बजट पेश करने का समय कभी ब्रिटिश काल की परंपराओं से जुड़ा हुआ था। स्वतंत्रता से पहले, भारत का बजट ब्रिटिश शासन के तहत तैयार किया जाता था और ब्रिटिश संसद के साथ तालमेल बैठाने के लिए इसे शाम 5 बजे पेश किया जाता था। यह समय ब्रिटेन के लिए सुविधाजनक था क्योंकि वहां यह सुबह का समय होता था।
शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा
ब्रिटिश शासन के समय भारत का बजट ब्रिटिश वित्तीय वर्ष (अप्रैल से मार्च) के अनुसार तैयार होता था। ब्रिटेन में जब सुबह होती थी, तब भारत में शाम का समय होता था। चूंकि बजट की कई घोषणाएं ब्रिटेन के वित्तीय हितों से जुड़ी होती थीं, इसलिए समय में तालमेल बनाए रखने के लिए भारत का बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था। स्वतंत्रता के बाद भी यह परंपरा जारी रही। साल 1947 से लेकर 1999 तक भारत का बजट हर साल 28 फरवरी को शाम 5 बजे पेश किया जाता था। हालांकि, समय बीतने के साथ यह परंपरा भारत की जरूरतों के अनुरूप नहीं थी।
परंपरा में बदलाव: कब और किसने किया?
भारत का बजट शाम 5 बजे पेश होता था क्योंकि उस समय, भारतीय मानक समय (IST) ब्रिटिश समर टाइम (BST) से 4.5 घंटे और ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 5.5 घंटे आगे था। शाम 5 बजे भारत में बजट पेश करने का मतलब था कि ब्रिटेन में यह समय दिन का होता था – ब्रिटिश समर टाइम के हिसाब से दोपहर 12:30 बजे या ग्रीनविच मीन टाइम के हिसाब से सुबह 11:30 बजे होते थे। यह व्यवस्था ब्रिटिश सरकार की सहूलियत के लिए बनाई गई थी ताकि बजट की घोषणाएं उनके कार्य समय में हो सकें।
1999 में बजट समय में बदलाव
भारत ने बजट पेश करने का समय सुबह 11 बजे करने की शुरुआत वर्ष 1999 में की थी। यह फैसला तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के कार्यकाल में लिया गया, जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में थी। यशवंत सिन्हा 1998 से 2002 तक भारत के वित्त मंत्री रहे। यशवंत सिन्हा ने पहली बार 27 फरवरी, 1999 को सुबह 11 बजे बजट पेश किया। इसके बाद से यह परंपरा लगातार जारी है और अब बजट सुबह के समय ही पेश किया जाता है। बजट का समय सुबह 11 बजे करने के बाद संसद और जनता को बेहतर तरीके से बजट पर विचार-विमर्श करने का मौका मिला। यह निर्णय न केवल भारत की स्वायत्तता का प्रतीक था बल्कि प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम भी था।