मराठी ही मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा, विवादों के बीच RSS नेता की सफाई
जोशी ने कहा कि मेरे कल के वक्तव्य से कुछ भ्रम निर्माण हो रहे हैं। अतः मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है और सभी को मराठी भाषा सीखनी चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने बृहस्पतिवार को कहा कि मराठी ही मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा है और बाहर से आने वाले और अन्य भाषाएं बोलने वालों को भी इसे समझना चाहिए। जोशी ने कहा, ‘‘मराठी मेरी मातृ भाषा है और मुझे इस पर गर्व है।’’ जोशी का यह बयान बुधवार को मुंबई के घाटकोपर क्षेत्र में एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी के बाद आया है जिसकी विपक्षी शिवसेना (UBT) और कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की थी।
जोशी ने कहा. ‘‘मराठी महाराष्ट्र की भाषा है और मुंबई की भी। इसमें कोई दो राय नहीं है। मुंबई में कई भाषाएं बोलने वाले लोग मिलजुलकर रहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उम्मीद की जाती है कि बाहर से आने वाले और अन्य भाषाएं बोलने वाले लोग मराठी भी समझें।’’जोशी ने साथ ही कहा कि घाटकोपर कार्यक्रम में उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से समझा गया।
जोशी ने जारी किया बयान
जोशी ने एक बयान जारी कर कहा, "मेरे कल के वक्तव्य से कुछ भ्रम निर्माण हो रहे हैं। मैं विविध भाषाओं के सहअस्तित्व के संदर्भ में बोल रहा था। अतः मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है और सभी को मराठी भाषा सीखनी चाहिए।" बता दें कि जोशी ने बुधवार को कहा था, ‘‘मुंबई में कोई एक भाषा नहीं है। मुंबई के हर हिस्से की अलग-अलग भाषा है। घाटकोपर इलाके की भाषा गुजराती है। इसलिए अगर आप मुंबई में रहते हैं, तो यह जरूरी नहीं है कि आपको मराठी सीखनी पड़े।’’
MVA का विरोध-प्रदर्शन
इस बीच, विपक्षी महा विकास आघाडी (MVA) के नेताओं ने जोशी की टिप्पणी के खिलाफ गुरुवार को मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया और मराठी को मुंबई की भाषा बताते हुए नारे लगाए। शिवसेना (UBT)प्रमुख उद्धव ठाकरे, कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार, भाई जगताप, नितिन राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल सहित महा विकास आघाडी के नेताओं ने बृहस्पतिवार को दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक पर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
यह स्मारक 1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 106 शहीदों को सम्मानित करने के लिए स्थापित किया गया है। इस आंदोलन के कारण राज्य का निर्माण हुआ था। एमवीए नेताओं ने स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और नारे लगाए तथा मराठी को मुंबई की भाषा बताया। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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