महायुति में महाभारत? BJP-NCP में 21 सीटों पर फंस रहा पेच, उम्मीदवारी खतरे में देख नेता बदल रहे पाला
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले महायुति गठबंधन में सीटों के बंटवारे की बात चल रही है। लेकिन यहां भाजपा और एनसीपी के बीच 21 सीटों पर पेच फंस गया है। यह वो 21 सीटें हैं जिन पर 2019 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों में काफी करीबी मुकाबला हुआ था।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले महायुति गठबंधन में सीटों के बंटवारे की बात चल रही है। लेकिन यहां भाजपा और एनसीपी के बीच 21 सीटों पर पेच फंस गया है। यह वो 21 सीटें हैं जिन पर 2019 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों में काफी करीबी मुकाबला हुआ था। इनमें से अधिकतर सीटें पश्चिमी महाराष्ट्र से हैं और दोनों ही पक्ष इन सीटों पर दावा ठोक रहे हैं। इसको लेकर अंदरूनी संघर्ष भी देखने को मिल रहा है और दोनों दलों के नेताओं को एक-दूसरे की आइडियोलॉजी रास नहीं आ रही। दोनों दलों की तरफ से कम से कम चार नेताओं ने खुलकर बोला है। भाजपा के कुछ नेताओं ने तो पार्टी तक छोड़ दी है। चुनाव करीब आने के साथ यह जुबानी जंग और तीखी होने का अनुमान है।
भाजपा के हर्षवर्धन पाटिल, समरजीत घटगे और गणेश हैके ने अपनी बात रखी थी। वहीं, अजीत पवार गुट के सीनियर लीडर रामराजे नाइक निंबालकर ने रविवार को भाजपा के आवाज बुलंद की। पाटिल और घटगे इंदापुर और कागल विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की आस लगाए बैठे हैं। यह दोनों सीटें एनसीपी अजीत पवार के पास हैं। अब पाटिल और घटगे इस हफ्ते एनसीपी-शरद पवार गुट को ज्वॉइन करने वाले हैं। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में पाटिल और घटगे बतौर भाजपा उम्मीदवार इन सीटों पर एनसीपी उम्मीदवार से मुकाबला हार गए थे। इस साल इन दोनों को जीतने की उम्मीद थी, लेकिन उनसे कहा गया कि इन सीटों पर एनसीपी के सिटिंग एमएलए ही उम्मीदवार होंगे। वहीं, अहमदनगर की लातूर सीट से उम्मीदवारी की आस रखने वाले गणेश हैके ने भी एनसीपी के साथ गठबंधन की आलोचना की है। हैके ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ जाएगी।
कभी शरद पवार के बेहद करीबी रहे निंबालकर अजीत पवार के साथ चले गए थे। अब वह फिर से शरद पवार गुट को ज्वॉइन करने की धमकी दे रहे हैं। निंबालकर का कहना है कि वह भाजपा नेताओं, रंजीत सिंह निंबालकर और जयकुमार गोरे के साथ सोलापुर और सतारा की स्थानीय राजनीति में कंफर्टेबल नहीं हैं। वह भाजपा और एनसीपी के सियासी समीकरण से भी खुश नहीं हैं। सोलापुर के दो अन्य भाजपा नेता, उत्तमराव जनकर और प्रशांत पारिचरक भी जिले के बदलते समीकरण को देखते हुए शरद पवार गुट की तरफ जाते दिख रहे हैं।
मराठवाड़ा से एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि अजीत पवार गुट के 21 विधायकों ने 2019 में भाजपा के खिलाफ जीत हासिल की थी। वहीं, कुछ को बेहद करीबी अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि दोनों दल बरसों से चुनावी राजनीति में एक-दूसरे से लड़ते रहें हैं। दोनों की आइडियोलॉजी और वोटर प्रोफाइल अलग है। लोकसभा चुनाव में भी यह बात साबित हो चुकी है। इस भाजपा नेता ने कहा कि पिछले साल जुलाई में अजीत पवार गुट के साथ समझौता करना भी पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आया। अजीत पवार गुट के आने से उनके पास अवसर कम हो गए हैं और वह अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
एक एनसीपी ने कहा कि अविभाजित शिवसेना के खिलाफ 2019 में जीतने वाले 19 एनसीपी विधायक आज अजीत पवार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि एनसीपी अजीत पवार के विधानसभा क्षेत्रों में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से जुड़े लोगों की निष्ठा एनसीपी शरद पवार या फिर शिवसेना उद्धव ठाकरे की तरफ झुक चुकी है। उन्होंने कहा कि यह लोग अपनी पार्टी के प्रति उतने वफादार नहीं हैं, जितने भाजपा के नेता अपनी पार्टी को लेकर हैं। एक अन्य भाजपा नेता के मुताबिक कई लोग इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं कि अजीत पवार आज भी सेकुलर आइडियोलॉजी और मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बात से हमारे परंपरागत वोट बैंक पर काफी असर पड़ा है। इस भाजपा नेता यह भी कहा कि यह स्वीकार्य तथ्य है कि चुनाव करीब आने पर कुछ और नेता भी पार्टी छोड़ेंगे।