Heart Attack Risk: पसंदीदा दाल मखनी, बटर नान जैसा खाना बढ़ा रहा हार्ट अटैक का खतरा, स्टडी में सामने आई चौंकाने वाली बात
Heart Attack Risk: चंडीगढ़ में हुई स्टडी में पता चला है कि नॉर्थ इंडिया के लोग भले ही टेस्टी फूड्स खाते हों लेकिन इन लोगों में पौष्टिक आहार के सही बैलेंस की कमी है और सोडियम और फास्फोरस ज्यादा है।
दाल मखनी, बटर नान, छोले भटूरे, चिकन दो प्याजा जैसी डिश ज्यादातर लोगों को पसंद आती है। खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोग इस डिश के दीवाने रहते हैं। घर से लेकर रेस्टोरेंट में वो ऐसी डिशेज को खाना पसंद करते हैं। लेकिन पीजीआईएमईआर. चंडीगढ़ और द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, इंडिया की ओर से की गई स्टडी में पता चला है कि इस तरह के खाने से लोग सोडियम और फास्फोरस की ज्यादा मात्रा खा रहे हैं। जो हाइपरटेंशन और दूसरी बीमारियों को पैदा कर रहा है।
पीजीआएमईआर चंडीगढ़ ने उत्तर भारत के लोगों के खाने की आदत को ट्रैक किया तो पाया कि डब्ल्यूएचओ की तय की गई मात्रा से ज्यादा सोडियम को कंज्यूम कर रहे हैं। वहीं साथ में उनकी डाइट में फास्फोस की मात्रा भी ज्यादा है और प्रोटीन. पोटैशियम जैसे न्यूट्रिशन कम हैं। ये पहली ऐसी स्टडी है जिसमे 400 से ज्यादा सब्जेक्ट, हेल्दी एडल्ट और क्रॉनिक किडनी रोग वाले मरीज शामिल धे।
स्टडी में सामने आई ये बात
स्टडी में पता चला कि अलग-अलग बॉडी मास इंडेक्स के महिलाएं और पुरुष डेली डाइट में डब्ल्यूएचओ की तय 2 ग्राम से 5 ग्राम मात्रा से ज्यादा सोडियम ले रहे हैं। करीब 65 प्रतिशत लोग रोजाना 8 ग्राम सोडियम खा रहे हैं।
ज्यादा नमक बना देगा बीमार
ज्यादा नमक की मात्रा हाइपरटेंशन को बढ़ाता है। जैसे ही सोडियम का स्तर बढ़ता है, शरीर उन्हें पतला करने के लिए पानी का सहारा लेता है। इससे कोशिकाओं के आसपास तरल पदार्थ की मात्रा और ब्लड की मात्रा दोनों बढ़ जाती है। ब्लड की मात्रा बढ़ने का मतलब है हार्ट के लिए ज्यादा काम, जिससे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा होता है। यही कारण है कि डॉक्टर मरीजों को ज्यादा नमक, अचार, सॉस, चीज, फ्रोजन फूड्स और सबसे ज्यादा टेबल सॉल्ट से बचने की सलाह देते हैं।
नमक ही नहीं ज्यादा फास्फोरस से भी होता है हार्ट अटैक का खतरा
नमक के साथ ही फास्फोरस की डेली डोज करीब 7 हजार माइक्रोग्राम तय है। अगर इससे ज्यादा मात्रा में फास्फोरस बॉडी में ज्यादा है तो ये कैल्शियम को शरीर से बाहर कर देता है। जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। फास्फोरस और कैल्शियम की ज्यादा मात्रा ब्लड वेसल्स, फेफड़े, आंखें, हार्ट में कैल्शियम के जमने का कारण बनती है। जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कई बार डेथ का भी खतरा बन जाता है।
पोटैशियम की कमी
यहीं नहीं, उत्तर भारत के लोगों में न्यूट्रिशन बैलेंस की कमी स्टडी में देखने को मिली। एब्ल्यूएचओ के मुताबिक साढ़े तीन ग्राम पोटैशियम जरूरी है लेकिन ज्यादातर लोग तय मात्रा से कम ही पोटैशियम लेते हैं। पोटैशियम का मेन सोर्स नट्स, हरी सब्जियां, फल जैसे कीवी और केला में होता है। लेकिन इस तरह के खाने में पोटैशियम की भारी कमी होती है।
प्रोटीन की कमी
स्टडी में और भी चौंकाने वाली बात सामने आई है। नॉनवेज फूड पसंद होने के बावजूद नॉर्थ इंडिया के हेल्दी लोग प्रोटीन कम खाते हैं। शरीर के वजन के 0.8 से 1 ग्राम प्रति किलोग्राम की आवश्यकता के मुकाबले, प्रोटीन का सेवन शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम 0.78 ग्राम के आसपास रहता है। ये समस्या वेजिटेरियन लोगों में भी देखने को मिली। वहीं महिलाओं के पोषक तत्वों में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कमी है। हालांकि पुरुषों में भी बैलेंस फूड की कमी देखने को मिली है।
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