Hindi Newsक्रिकेट न्यूज़R Ashwin enraged on Indigo service after Harsha Bhogle

हर्षा भोगले के बाद इंडिगो की सर्विस को लेकर आर अश्विन भड़के, बोले- अब ये रोज का हो रहा है

  • दिग्गज क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले के बाद इंडिगो की सर्विस को लेकर आर अश्विन भी भड़क उठे। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा है कि अब ये रोज का हो रहा है। पैसे देने के बावजूद सुविधा नहीं मिल पा रही है।

Vikash Gaur लाइव हिन्दुस्तानMon, 26 Aug 2024 01:20 PM
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एयरलाइंस की खराब सर्विस को लेकर अक्सर बड़ी हस्तियां सरकार या फिर इन कंपनियों के खिलाफ शिकायत करते रहते हैं। नया मामला टीम इंडिया के ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन से जुड़ा है। अश्विन के साथ इंडियो की तरफ से सही बर्ताव नहीं किया गया। ऐसा ही कुछ दिन पहले दिग्गज क्रिकेट एक्सपर्टा हर्षा भोगले ने भी महसूस किया। 

आर अश्विन ने हर्षा भोगले की पोस्ट को री-पोस्ट करते हुए लिखा, "अब यह एक नियमित खतरा बनता जा रहा है इंडिगो। हाल ही में थर्ड पार्टी बुकिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से उनके साथ मेरा अनुभव बहुत भयानक था, वे आपसे भुगतान करवाते हैं और फिर जो करना चाहते हैं, वही करते हैं। मुझे यकीन नहीं है कि यह एक घोटाला है! अरे, कौन उन्हें पकड़ेगा? हम बस इतना ही कर सकते हैं कि उन पर भरोसा न करें। अगर आप भुगतान भी करते हैं, तो वे आपकी ब्लॉक की गई सीटें नहीं देंगे, अपना समय या ऊर्जा बर्बाद न करें।"

 

आर अश्विन से पहले 24 अगस्त को हर्षा भोगले ने एक लंबा चौड़ा पोस्ट इंडिगो की खराब सर्विस के लिए लिखा था। उन्होंने कहा था कि इंडिगो फर्स्ट के लिए पैसेंजर लास्ट है। उन्होंने लिखा था, "हैशटैग इंडिगो फर्स्ट पैसेंजर लास्ट का एक और उदाहरण। मेरी फ्लाइट में एक बुजुर्ग दंपत्ति ने चौथी पंक्ति की सीट के लिए भुगतान किया था, ताकि उन्हें ज्यादा चलना न पड़े। बिना किसी स्पष्टीकरण के, इंडिगो ने इस जोड़े को 19वीं सीट पर बदल दिया। सज्जन को संकरे रास्ते से 19वीं पंक्ति तक चलने में काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन कौन परवाह करता है। कुछ लोगों को शोर मचाना पड़ा, अनैतिकता की ओर इशारा करना पड़ा और उसके बाद ही, केबिन क्रू के खुशमिजाज लोगों की बदौलत उन्हें मूल सीटें वापस मिल पाईं।"

हर्षा भोगले ने आगे लिखा, "उन्हें शोर मचाना पड़ा, अन्यथा इंडिगो उन्हें 19वीं पंक्ति तक चलने के लिए मजबूर कर देती और बोर्डिंग पूरी होने के बाद जांच करती। अगर उन्हें चौथी पंक्ति दी जा सकती है, जिसका मतलब है कि उन्हें वापस पैदल चलना होगा। बुजुर्ग महिला विनम्रतापूर्वक शिकायत कर रही थी कि यह एक आम बात है और उनकी उम्र के लोगों के लिए इंडिगो से यात्रा करना कितना तनावपूर्ण है। महिला ने कहा, 'काश, उनका एकाधिकार न होता' कितने अफसोस की बात है। मुझे यकीन है कि इंडिगो आप अपने ग्राउंड स्टाफ को कभी-कभी यात्री को प्राथमिकता देने के लिए संवेदनशील बना सकते हैं। यह देखना बहुत निराशाजनक था कि वे बुजुर्ग यात्रियों को कितनी लापरवाही से ले जा रहे थे। सफलता के साथ जिम्मेदारी भी आती है। एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसे एक सफल भारतीय उद्यम पर गर्व है, मुझे उम्मीद है कि आप अधिक संवेदनशील होंगे और इस बेपरवाह रवैये को संस्थागत नहीं बनाएंगे।"

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