चंद पैसे कमाने के लिए मौत से खेलते हैं यह कोयला चोर, जानें बंद खदानों से कैसे होती है कोयले की चोरी
छत्तीसगढ़ के एसईसीएल के इलाकों में बंद खदानों से कोयला चोरी की घटनाएँ लगातार सामने आती है। इस बीच लोगों की मौत की बातें भी निकल कर आती है। अक्सर यह घटनाएँ कोयला चोरी के दौरान की होती है।
बंद खदानों या फिर कहें की प्रतिबंधित खदानों में कोयले की चोरी और उसके धसने से मौत को लेकर कई घटनाएँ सामने आ चुकी है। लेकिन एसईसीएल इन पर सख्ती दिखाने के बजाए पत्राचार करता है। कुछ ऐसा ही एक मामला कोरबा के दीपका से सामने आया है। यहां प्रतिबंधित खदान से कोयला निकाले वाले 5 लोग दब गए जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद 2 लोगों को बचा लिया गया है। जिनका इलाज किया जा रहा है।
आखिर क्यों होती है यह घटनाएँ
बतादें कि यह खदान धसने का यह कोई पहला मामला नही है। इससे पहले भी इस कोयला खदानों से इस तरह की घटनाएँ हो चुकी है। दरअसल इन इलाकों पर रहने वाले लोग कोयले की चोरी करने सुरंग बनाकर कोयला निकालते है। कुल मिलाकर यह मौत से खेलना होता है। सुरंग के अंदर से खोद खोद कर कोयले को बोरियों में भरा जाता है और इन बोरियों से भरे कोयले को बेचा जाता है।
कोयले की डिमांड पर करते हैं सुरंग से खुदाई
जब भी कोयले की छोटी डिमांड आती है तो यह लोग सुरंग के अंदर जाकर कोयला खोदकर निलाल लाते हैं। बाजार में बोरियों में भरकर इन्हें 200-250 रुपए बोरी में बेच देते है। इन्हें खरीदने वाले होटल-ढाबे के लोग, गांव इलाके के लोग जो सिगड़ी में खाना बनाते हैं।
सामने होती है चोरी फिर SECL क्यो चुप
यह चोरी उन खदानों में अक्सर होती है जहां एसईसीएल काम पूरा होने के बाद खदान को बंद कर देता है। खदान बंद होने के बाद एसईसीएल जागरुकता के नाम पर अपना पल्ला हमेशा झाड़ लेता है। वहीं जब इस तरह की घटनाएँ होती है तब इन्हीं बात का हवाला दिया जाता है। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि इन प्रतिबंधित खदानों पर लोग अपनी जान जोखिम में डालकर कोयला चोरी करने जाते हैं और खदनों में दब कर मर जाते हैं। इन घटनाओं के बाद इन्हे मुआवजा मिलेगा भी की नहीं यह भी कहा नहीं जा सकता है।
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