बिहार में क्यों घट गई हज यात्रा पर जाने वालों की संख्या, CEO बोले-पता नहीं; पूर्व अध्यक्ष ने बताई वजह
- मौलाना कासमी बिहार के मुस्लिमों की कमजोर आर्थिक स्थिति और हज यात्रा पर जाने के खर्च में हुई अप्रत्याशित बढ़तरी को भी कम होती संख्या की एक बड़ी वजह बताते हैं। वे कहते हैं कि वर्तमान में हज यात्रा पर जाने का खर्च उनके कार्यकाल के मुकाबले डेढ़ से दो गुणा महंगा हो गया है।
हज यात्रा पर जाने वाले आजमीने हज की संख्या बिहार में लगातार घट रही है। कोराना महामारी के बाद यानी 2022 के छोड़ दें तो इस वर्ष बिहार से हज यात्रा पर जाने वाले हज यात्रियों की संख्या साल 2012 से लेकर अब तक सबसे कम है। कोरोना के कारण 2020 और 2021 में हज यात्रा रद्द कर दी गयी थी। वहीं 2022 में हज यात्रा के लिए बिहार का कोटा मात्र 2,367 था, जबकी यात्रा पर जाने के लिये 2210 लोगों ने आवेदन दिया था और 1900 हज यात्री यहां से रवाना हुए थे।
बिहार के लिए हज यात्रियों का कोटा इस वर्ष 12,406 है जबकि मात्र 2,673 आजमीने हज ने बिहार राज्य हज कमेटी को आवेदन कर पंजीकरण कराया है। इनमें 1,558 पुरुष, 1,113 महिला एवं दो बच्चे शामिल हैं। खास बात ये है कि हर वर्ष विभिन्न कारणों से पंजीकरण की संख्या से लगभग दस प्रतिशत कम लोग ही अंतत हज यात्रा पर रवाना होते हैं। हालांकि बिहार से हज यात्रियों की संख्या घटने के सवाल पर बिहार राज्य हज कमेटी के सीइओ मो. राशिद हुसैन कोई भी सटीक कारण बताने से इनकार करते हैं।
वे कहते हैं कि उन्हें भी नहीं पता कि इसका क्या कारण है। हज कमेटी अपने स्तर पर हज यात्रा के लिए सभी जिलों में हज बेदारी मुहिम चलाती है। कारण कुछ भी हो सकता है लेकिन वे केवल अनुमान के आधार पर कोई बयान साझा नहीं करना चाहते।
हज यात्रा के लिए बेदारी मुहिम पड़ी कमजोर-कासमी
हज कमेटी के पूर्व चेयरमैन मौलाना अनीस-उर-रहमान कासमी कुछ अलग ही बयां करते हैं। वे कहते हैं कि मौजूदा वक्त में हज यात्रा पर जाने के लिए आम लोगों के बीच जागरूक्ता की कमी है। मौलाना कासमी कहते हैं कि वर्तमान समय में बेदारी मुहिम तो चलायी जा रही है लेकिन ये कमजोर है। अपने कार्यकाल (2008-2013) में उन्होंने जागरुकता कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया और नतीजतन उस वक्त बिहार से जाने वाले बज यात्रियों की संख्या कोटे का लगभग 70 प्रतिशत तक पहुंच गयी थी।
वहीं, मौलाना कासमी बिहार के मुस्लिमों की कमजोर आर्थिक स्थिति और हज यात्रा पर जाने के खर्च में हुई अप्रत्याशित बढ़तरी को भी कम होती संख्या की एक बड़ी वजह बताते हैं। वे कहते हैं कि वर्तमान में हज यात्रा पर जाने का खर्च उनके कार्यकाल के मुकाबले डेढ़ से दो गुणा महंगा हो गया है।
कोरोना काल के बाद से बिहार में, विशेषकर मुस्लिम समाज, लोगों की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई है। बता दें कि साल 2024 में गया इम्बार्केशन प्वाइंट से हज यात्रा पर जाने का खर्च चार लाख ग्यारह हजार 660 था। 2023 में ये आंकड़ा चार लाख 16 हजार 705 था। फिलहाल इस वर्ष के खर्च की जानकारी हज कमेटी ने जारी नहीं की है।