बोले रामगढ़ :हेसालौंग की बदहाली, न सड़क ना नाली, बस परेशानी
हजारीबाग के डाड़ी प्रखंड के हेसालौंग गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव हैं। यहां न तो पक्की सड़क और न ही नाली। वहीं रोजाना पानी की आपूर्ति भी नहीं होत

गिद्दी। हजारीबाग जिले के डाड़ी प्रखंड का हेसालौंग गांव में शमशान घाट जाने के लिए एक सड़क तक नहीं बन पाई है। जिसके कारण लोग लगभग ढ़ाई किलो मीटर पैदल श्मशान घाट जाते हैं। यह हेसालौंग गांव की एक प्रमुख समस्या है। गांव के अंदर भी जो मुख्य सड़क है उससे भी कुछ टोला मुहल्ला से जुड़ने वाली सड़क भी पक्की नहीं बन पायी है। वर्षों पूर्व बनी सड़कों की मरम्मत, घरों से निकलती नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बहता है। गांव में घरों से निकलने वाला कूड़ा कचरा फेंके जाने की उचित व्यवस्था नहीं है। इसके कारण लोग इधर उधर कचरा फेंकते हैं। जलाशयों में गंदगी रहने से बरसात में बीमारी होने का खतरा बना रहता है। हेसालौंग में पानी की समस्या वर्षों से रही है। गांव में कई लोगों को 7 सौ से 1 हजार फीट तक बोरिंग कराना पड़ता है। लगभग डेढ़ साल से हर घर नल जल योजना के तहत गांव में एक दिन बीच करके आधा घंटा जलापूर्ति होती है। इससे लोगों को काफी राहत मिली है। वर्तमान में गांव में जलापूर्ति का काम दो वर्षों से शुरू है। इसलिए ठेकेदार इसके आपूर्ति की ध्यान रखे हुए है। इस कारण पानी मिल जा रहा है। पर दो साल ठेकेदार के जलापूर्ति का समय खत्म होने पर यह योजना सुचारू रूप से चलेगी यह भी सवालों के घेरे में है। इसलिए जलापूर्ति योजना का सही तरीके से कार्यान्वित करने, इनकी मरम्मत, हर घर नल जल योजना के बंद होने पर वैकल्पिक या आपातकालीन उपाय जैसे जलस्रोतों का चयन, सरकारी स्तर से नए कुएं, बोरवेल की पहचान नहीं किया जाना और गांव के लिए सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध नहीं होना भी बड़ी समस्या है।
ग्रामीणों के अनुसार वर्तमान में हेसालौंग में केवल धान पैदा किया जाता है जबकि दूसरी रबी और मौसमी व्यवसायिक फसल गांव में पानी की समस्या के कारण नहीं उपजाया जाता है। इसलिए गांव के जलस्रोत का चिह्नित कर नदी नालों में चैकडैम का निर्माण करने, पुराने जलाशयों का गहरीकरण किया जाना चाहिए।
वहीं हेसालौंग गांव शिक्षा रोजगार के क्षेत्र में पूरे प्रखंड में अव्वल माना जाता है। पर आजादी के समय का मध्य विद्यालय अब तक उच्च विद्यालय तक नहीं बन पाया है। इसके कारण गांव के लड़के लड़कियों को हाई स्कूल में पढ़ने के लिए चुम्बा उच्च विद्यालय या फिर दूर के दूसरे गांव में जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा इसे लेकर कई बार प्रयास किया गया है पर संबंधित अधिकारी इस पर कोई पहल नहीं की है। स्वास्थ्य क्षेत्र में 90 के दशक में बने उपस्वास्थ्य केंद्र को भी अपग्रेड नहीं किया गया है। वनाधिकार कानून लागू नहीं होने से गांव के कई भूमिहीन को अबुआ आवास, पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। वर्षों से जोतकोड़ खेती कर रहे किसानों को वनाधिकार अधिनियम के तहत पट्टा वितरण, मेगालिथ साइट, लिखनी शैल चित्र, पौराणिक सरैया मांडर, टोंगारिया मांडर, पीढ़ीथान का भी संरक्षित किया जाने की जरुरत है।
मालूम हो कि हेसालौंग गांव में हेसालौंग, हेसालौंग माइंस, हठुवा बेड़ा, जरखुरवा, गेहूम टोला, ग्वाल टोला, सुंडी, टोला, भुइयां टोला, रजवार टोला, बढ़ई टोला, निमिया टोला, कन्या टोला, कुम्हार बांध, खैरा टोला, उरांव टोला, कुम्हार बांध, नापो टोला है। इसमें आदिम जनजाति में अगरिया, जनजाति में, उरांव, महली, मुंडा, संथाल गैर जनजाति में बड़ी आबादी के अनुसार भुइयां, गोप, सुंडी, रजवार, मोची ,बढ़ई, तेली साव, कहार, कुम्हार, ब्राह्मण और एक घर राजपूत परिवार का हैं। यह गांव लगभग 500 वर्ष पुराना है।
प्रस्तुति: नंदकिशोर पाठक
सड़कों पर बहता है गंदा पानी
हेसालौग गांव में नाली की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है इस कारण सड़क पर लोग गंदा पानी बहाने को मजबूर हैं।
सड़क पर घरों का पानी बहने से जहां आने-जानेवाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर इन पानी मच्छर पनपते हैं। इससे मच्छरजनित बीमारी के होने की ज्यादा संभावना बनी रहती है। लोग बरसात के दिनों में मलेरिया और डेंगू बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं। वहीं नाली नहीं होने के कारण सड़क पर जमा पानी से बदबू आने लगता है। इससे लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होती है।
मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय बनाया जाए , बच्चों की पढ़ाई में हो रही परेशानी
हेसालौंग के ग्रामीणों ने गांव के मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय बनाने की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा है कि हेसालौंग पंचायत में लगभग 7 हजार की आबादी रहती है। पर पंचायत में एक भी उच्च विद्यालय नहीं है। जबकि कायदे से हेसलौंग मध्य विद्यालय को अब तक उच्च विद्यालय ही नहीं प्लस टू हाई स्कूल बन जाना चाहिए था। गांव के लोगों ने इसे लेकर गांव के लोग काफी प्रयास किया है। पर विभागीय अधिकरियों ने इपकी मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
लोगों ने कहा -हेसालौंग पंचायत का हो विकास
हेसालौंग गांव के लोग अब भी मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण परेशान हैं। गांव में पीने के पानी से लेकर कचरा प्रबंधन तक के कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं।
-कौलेश्वर गोप, कथाकार, हेसालौंग
पिछले पांच साल में वे अपने मुखिया के कार्यकाल में गांव के कई विकास के काम किए हैं। इसमें हेसालौंग से रेलीगढ़ा जाने वाली पक्की सड़क से लेकर हर घर में पानी पहुंचा है। -पच्चू भुइयां, पूर्व मुखिया
हेसालौंग गांव में उपस्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटा स्वास्थ्य कर्मी नहीं रहते हैं। इस कारण रात में मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। इसलिए उपस्वास्थ्य केंद्र रात में भी स्वास्थ्य कर्मी को नियुक्त किया जाए। -अमृत राणा, हेसालौंग
झारखंड में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुए लगभग 15 वर्ष बीत चुके हैं। इसके बाद भी हेसालौंग में वर्षों पुरानी बनी सड़कों पर घरों का गंदा पानी बहता है। इसकी उचित व्यवस्था जरूरी है। -डॉ कृष्णा गोप, शिक्षक
हेसालौंग गांव में श्मशान घाट जाने के लिए सड़क नहीं है। दो प्राथमिक विद्यालय और एक मध्य विद्यालय है पर एक भी हाई स्कूल नहीं है इस कारण बच्चों को परेशानी होती है।
-विनोद प्रसाद, हेसालौंग निवासी
मैं अपने कार्यकाल में सरकार के द्वारा विकास की योजनाओं को जमीन में उतारने का पूरा प्रयास की थी। पर उसके कार्यकाल में सरकार के द्वारा समुचित फंड उपलब्ध नहीं हो पाया था। -पूनम देवी, पूर्व मुखिया
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