गंगा समेत बिहार की अधिकतर नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं, CPCB की रिपोर्ट से खुलासा
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2023 में इन नदियों के 96 जगहों से लिए गए पानी के नमूने लेकर गुणवत्ता की जांच कराई थी। मोकामा और सिमरिया में गंगा नदी में फेकल कोलीफार्म की मात्रा प्रति 100 एमएल जल में 92 हजार एमपीएन है। बागमती में 54 हजार एमपीएन तक फेकल कोलीफार्म है।
बिहार में गंगा सहित अधिकांश नदियों का पानी लोगों के नहाने लायक नहीं है। यही नहीं, प्रदूषित नदियों के खंड (स्ट्रेच) कम होने के बजाए और अधिक बढ़ गया है। इसका खुलासा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा नौ अगस्त को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में नदियों के पानी की गुणवत्ता को लेकर पेश एक रिपोर्ट में किया गया।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ के समक्ष सीपीसीबी ने हाल ही में यह रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में गया कि गंगा, बागमती, दाहा, गंडक, घाघरा, कमला, कोसी सहित अधिकांश नदियों में मलमूत्र जनित फेकल कोलीफार्म बैक्टीरिया तय मानक से कई गुणा अधिक है। गंगा नदी 100 एमएल जल में 92 हजार एमपीएन तक बैक्टीरिया है।
कितना है मानक
मानक के मुताबिक, 100 एमएल पानी में 2500 एमपीएन से कम होने चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया कि नहाने योग्य पानी के लिए बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी), घुलित ऑक्सीजन (डीओ) और पीएच की मात्रा कुछ जगहों को छोड़कर अधिकांश पर तय मानक के अनुरूप है।
बोर्ड ने 96 जगहों से लिए नमूने
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2023 में इन नदियों के 96 जगहों से लिए गए पानी के नमूने लेकर गुणवत्ता की जांच कराई थी। मोकामा और सिमरिया में गंगा नदी में फेकल कोलीफार्म की मात्रा प्रति 100 एमएल जल में 92 हजार एमपीएन है। बागमती में 54 हजार एमपीएन तक फेकल कोलीफार्म है।
32 एसटीपी में से सिर्फ 11 ही बने
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत बिहार में 32 एसटीपी परियोजनाओं के लिए 4866.11 करोड़ की सहायता राज्य को दी है। एनजीटी ने कहा कि 32 एसटीपी में से 11 का ही निर्माण हो पाया है। शेष का काम प्रगति पर है। तथ्यों से यह नहीं पता चल रहा कि जिन एसटीपी का निर्माण हो गया है, उसने काम शुरू किया या नहीं। 100 एमएल गंगा जल में 92 हजार एमपीएन तक बैक्टीरिया पाया गया है।
राज्य की 21 नदियों की गुणवत्ता जांची
सीपीसीबी ने नदियों में फेकल कोलीफार्म बैक्टीरिया की मात्रा अधिक होने की प्रमुख वजह बगैर शोधन के सीवेज के पानी को नदी में बहाना बताया। सीपीसीबी ने बिहार की इन 21 नदियों गंगा, बागमती, दाहा, धोस, गंडक, गांगी, घाघरा, हरबोरा, हरहा, कमला, कोहरा, कोसी, लखनदेई, महानंदा, मनुस्मार, परमार, पुनपुन, रामरेखा, सिकरहना (बुढ़ी गंडक), सिरसिया (गंगा) और सोन नदी के जल की गुणवत्ता रिपोर्ट दी है।
अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की
एनजीटी ने कहा कि एक तरफ बिहार में नदियों का प्रदूषण बढ़ रहा है और दूसरी तरफ 8 राज्य में सीवेज शोधन का पर्याप्त इंतजाम नहीं है। इसके बावजूद राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने अफसरों पर कार्रवाई नहीं की। पीठ ने एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 25 नवंबर को होगी।