कर्ज से परेशान दंपती का खौफनाक फैसला, गले में फंदा डाल पति-पत्नी ने कर ली आत्महत्या
- पति का शव गांव स्थित लीची बागान में पेड़ से लटका मिला, जबकि पत्नी का शव घर में फंदे से लटका हुआ था। सुबह शौच के लिए लीची बागान की तरफ गए लोगों ने शव देखकर शोर मचाया। इसके बाद ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। परिजनों ने आनन-फानन में दोनों शवों को फंदे से उतारा।
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बिहार के मुजफ्फरपुर में कर्ज के परेशान दंपती ने खौफनाक फैसला कर सबको अंदर तक झकझोड़ दिया। दोनों ने आत्महत्या कर ली। किश्त चुकाने और तगादा का जवाब नहीं दे पाने पर टूट गए है अपनी जिन्दगी खत्म कर ली। घटना मुशहरी थाना क्षेत्र के मणिका गाजी गांव की है। मृतकों की पहचान गांव के निवासी राजकिशोर पासवान (55) और पत्नी गीता देवी (50) के रूप में की गयी है। पुलिस मामले में कार्रवाई कर रही है। शुक्रवार को दोनों का शव देखा गया। घटना से इलाके में सनसनी फैल गई है।
जानकारी के मुताबिक पति राजकिशोर पासवान का शव गांव स्थित लीची बागान में पेड़ से लटका मिला, जबकि पत्नी गीता देवी का शव घर में फंदे से लटका हुआ था। सुबह शौच के लिए लीची बागान की तरफ गए लोगों ने शव देखकर शोर मचाया। इसके बाद ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। परिजनों ने आनन-फानन में दोनों शवों को फंदे से उतारा। बाद में मणिका मन घाट पर दोनों के शवों का दाह संस्कार कर दिया गया।
ग्रामीणों ने बताया कि दंपती ने कई समूहों से कर्ज ले रखा था। समूह के कर्मी जब पैसा वसूली करने आते थे तो दोनों देने में असमर्थता जताते थे। उसके बाद कर्मी दबाव बनाकर चले जाते थे। दंपति बीते कुछ माह से लोन की किस्त नहीं दे पा रहे थे। इधर, कुछ दिनों से समूह के कर्मी लगातार घर पर आ रहे थे। इस कारण दंपति परेशान रहते थे।
राजकिशोर और उसकी पत्नी की मौत से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। इधर लोन देने समूह के कर्मी संपर्क से बाहर हैं। इस संबंध में जब पुलिस से संपर्क किया गया तो जानकारी दी गई कि आवेदन मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अपने स्तर से मामले की जानकारी जुटा रही है।
समूह ऋण के फेर में फंस रहा परिवार
समूह ऋण के फेर में क्षेत्र की ग्रामीण महिलाएं फंस रही हैं। एक समूह ऋण लेने के बाद उसे चुकाने के लिए पांच से 15 प्रतिशत ब्याज पर दूसरा लोन लेना पड़ रहा है। मणिका गाजी के ग्रामीणों ने बताया कि यह स्थिति सिर्फ इस गांव की नहीं है, आसपास की पंचायतों का भी यही हाल है। पूर्व प्रमुख गीता देवी और उनके पति किशोर पासवान ने बताया कि नन बैंकिंग कंपनियों के लोग गांवों में नियमित रूप से आकर महिलाओं का समूह बनाकर समूह के हर सदस्य को छोटा-बड़ा लोन दे देते हैं। नहीं चुकाने की स्थिति में नई महिलाओं को ऋण के जाल में फंसाते हैं, ऐसे में जब चौतरफा दबाव बढ़ जाता है, तब परिवार आत्महत्या को मजबूर हो जाता है।
इधर, नन बैंकिंग कंपनियों के वसूली एजेंटों से बीते तीन माह में तीन बार राशि की लूट हो चुकी। मामले में प्राथमिकी भी दर्ज है। इसमें पुलिस की सक्रियता से कुछ लूट की राशि सहित मामले का खुलासा भी हो चुका है। लोगों ने बताया कि अधिकतर उत्तर प्रदेश से मान्यता प्राप्त ऐसे नन बैंकिंग संस्थान क्षेत्र में भोले भाले को कर्ज के जाल में फांस कर अनाप-सनाप ब्याज ले रहे हैं।