बिहार के यह 5 जिले वज्रपात के रेड जोन में, 5 साल में 1000 से ज्यादा मौतें
- बिहार सरकार ने पूर्वी बिहार, कोसी और सीमांचल के जिलों की समस्या को दूर करने के लिए अब भागलपुर में हाइब्रिड डॉप्लर वेदर राडार नेटवर्क (डीडब्ल्यूआर) संयंत्र लगाने का फैसला लिया है। इससे मौसम का सटीक पूर्वानुमान मिल सकेगा और तंत्र बचाव के उपाय को मजबूत भी करेगा।

भागलपुर समेत बिहार के पांच जिले वज्रपात के रेड जोन में हैं। पिछले पांच साल में सर्वाधिक मौतें इन्हीं जिलों में हुई हैं। अधिक वज्रपात वाले जिले पहाड़ से घिरे हैं। नदी से सटे मैदानी जिले भी वज्रपात के आगोश में हैं। पहाड़ी जिले में रोहतास, गया, औरंगाबाद और जमुई में खतरा अधिक पाया गया है। मैदानी जिलों में भागलपुर, मधेपुरा और कटिहार में ज्यादा मौतें हुई हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बीते पांच साल में 1,805 लोगों की मौत सिर्फ ठनका गिरने से हुई है।
राज्य सरकार ने पूर्वी बिहार, कोसी और सीमांचल के जिलों की समस्या को दूर करने के लिए अब भागलपुर में हाइब्रिड डॉप्लर वेदर राडार नेटवर्क (डीडब्ल्यूआर) संयंत्र लगाने का फैसला लिया है। इससे मौसम का सटीक पूर्वानुमान मिल सकेगा और तंत्र बचाव के उपाय को मजबूत भी करेगा। डीडब्ल्यूआर संयंत्र लगने से आंधी तूफान में बिजली गिरने की जानकारी पूर्व में मिल जाएगी। इसे एसएमएस या अन्य माध्यम से प्रसारित किया जाएगा। ताकि मौसम बिगड़ने पर लोग स्वयं और मवेशियों को लेकर सुरक्षित स्थान पर रहें।
अधिकतर मौतें खुले स्थान पर रहने से हुईं
आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में आंधी तूफान से वर्ष 2019 में 287, वर्ष 2020 में 450, वर्ष 2021 में 339, वर्ष 2022 में 454 और वर्ष 2023 में 275 लोगों की मौत हो गई थी। विभाग ने सर्वे में पाया कि अधिकतर मौत खुले स्थान पर रहने से हुई। खेत में काम कर रहे किसान-मजदूर, बारिश से बचने के लिए पेड़ के नीचे छिपने से, तालाब और जलाशयों के नजदीक होने से ठनका गिरने पर व्यक्ति या मवेशी चपेट में आ जाता है। जिससे मौत तक हो जाती है। ठनका गिरने से मकानों में लगे विद्युत उपकरण भी क्षतिग्रस्त होते हैं। इसके लिए तड़ित चालक लगाया जाता है।