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ACS एस सिद्धार्थ ने बदला क्लास का सीटिंग प्लान, बचपन की कहानी सुना बच्चों दिया सक्सेस टिप्स

सिद्धार्थ ने कहा कि स्पेशल चाइल्ड के लिए विशेष कक्षाएं चलायी जाएगी। उन्हें उनके अनुसार शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति होगी। सरकार नियुक्ति की योजना बना रही है। शीघ्र इनकी नियुक्ति होगी।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरोSun, 15 Dec 2024 09:42 AM
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सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई में कमजोर बच्चों को आगे की सीट पर बैठाया जाएगा। विशेष ध्यान दिया जाएगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने शिक्षा की बात हर शनिवार में यह जानकारी दी। इस कार्यक्रम में वे आज सरकारी विद्यालय के बच्चों से रूबरू थे। अपर मुख्य सचिव ने बच्चों को अपने बचपन की कहानी सुनाई और सफलता के टिप्स भी दिए। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे खूब पढ़ें, खूब खेलें लेकिन मोबाइल से दूर रहें।

डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि स्पेशल चाइल्ड के लिए विशेष कक्षाएं चलायी जाएगी। उन्हें उनके अनुसार शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति होगी। सरकार नियुक्ति की योजना बना रही है। शीघ्र इनकी नियुक्ति होगी। शिक्षक वर्ग में हर दिन सभी बच्चों को होमवर्क दें और अगले दिन उसे चेक करें। एक बच्चे के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विद्यालय में प्रत्येक सप्ताह कंप्यूटर और स्मार्ट क्लास होगा। विद्यालयों में प्रधानाध्यापक इसकी व्यवस्था करेंगे। बच्चों ने शिक्षकों की शिकायत करते हुए कहा कि प्रधानाचार्य के चेंकिग के दौरान शिक्षक मोबाइल छुपा लेते है। जबकि चेकिंग से पहले छात्रों को खुद ही पढ़ने को कहते है।

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डॉ.सिद्धार्थ ने कहा यह पूरी तरह से गलत है। इसकी जांच होगी। बिहार बोर्ड में नामांकन के लिए सभी बोर्डों का टीसी मान्य होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि अब शनिवार का दिन बैगलेस है। दूसरे शिफ्ट में छात्रों को संगीत, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए निर्धारित किया गया है।

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बचपन में खूब कंचे खेला, पतंग उड़ायी.....

उन्होंने कहा कि वे बचपन में बहुत तेज नहीं थे। सामान्य बच्चे थे। बचपन में खूब कंचा खेला और जमकर पतंग उड़ायी। पतंग उनका शौक रहा है। इस दौरान उन्होंने बच्चों को सफल होने का टिप्स भी दिया और कहा कि उन्हें सिर्फ आईएएस बनने का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए। वे वैज्ञानिक, संगीतकार बनें। गायक, ज्योतिष, पेंटर, खिलाड़ी बनें। कैयियर के कई अच्छे और बेहतर क्षेत्र हैं। बच्चों को उसे पाने का भी प्रयास करना चाहिए।खूब खेलें। खूब पढ़ें। लेकिन मोबाइल से दूर रहें। दोस्तों की टीम बनाएं। उनके साथ प्रैक्टिस करें, पढ़ें। मैंने भी बचपन में दोस्तों का गैंग बनाया था। कभी कोचिंग नहीं गया। बच्चे स्कूल से आकर कक्षा में पढ़ाए जाने वाले विषय को अच्छी तरह से पढ़ें। उसे घर पर दोहराएं। इससे कोचिंग की जरूरत नहीं होगी।

दोस्तों और सीनियर का सहयोग लें। जो चीज समझ न आए या जहां परेशानी हो वहां इनकी मदद लें। शिक्षकों से डाउट पर बात करें। उन्होंने कहा कि मेहनत के बूते सफलता पाई। खूब पढ़ा। आज भी पढ़ने का शौक है। इसलिए पढ़ने की आदत विकसित करें। मेहनत का कोई विकल्प नहीं।

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