संभल हिंसा: चंद लम्हों की खता परिवार को दे गया ताउम्र सजा, परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट
संभल हिंसा में जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके लिए जिंदगी की राह अब किसी सजा से कम नहीं। गोली लगने से मरने वाले सभी युवक गरीब परिवारों के थे। अब परिवारों पर रोजी-रोटी का सकंट खड़ा हो रहा है।
ये जब्र भी देखा है तारीख की नजरों ने, लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई...... संभल हिंसा में जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके लिए जिंदगी की राह अब किसी सजा से कम नहीं। गोली लगने से मरने वाले सभी युवक गरीब परिवारों के थे। कोई होटल पर काम करता था, तो कोई फेरी लगाकर परिवार और मां का सहारा बना था। कोई दुकान से परिवार की अजीविका चला रहा था। कोई मजदूरी कर परिवार को पाल रहा था। लेकिन, बवाल के दौरान इनकी मौत हो जाने से इनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
हिन्दुस्तान की टीम ने बवाल के दौरान मरने वाले युवकों के घर पहुंचकर मंगलवार को गमजदा परिजनों से बात की, तो वह पूरी तरह से टूटे हुए दिखे। गोली से मरने वाले 17 वर्षीय अयान अब्बासी की मां नफीसा बेसुध दिखी। आंखों में आंसू लिए बेबस नफीसा ने बताया कि उसका बड़ा बेटा कामिल अलग रहता है। जबकि, अयान ही उसका सहारा था। रविवार को वह होटल पर जाने की बात कहकर घर से निकला था। लेकिन, बाद में जानकारी हुई कि उसके गोली लग गई है और उसकी मौत हो गई है। उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि उसको गोली कहां लगी।
18 वर्षीय कैफ अल्वी की मां अनीसा भी बेटे की मौत से बेसुध हैं। मृतक के चाचा मारुफ ने बताया कि वह साप्ताहिक बाजारों के अलावा गांव-गाांव फेरी लगाकर सामान बेचता था। रविवार को साप्ताहिक बाजार नहीं होने के चलते वह फेरी लगाने के लिए जा रहा था। लेकिन मस्जिद पर हुए बवाल ने उसकी जान ले ली। पुलिस ने उसके मोबाइल से फोन कर उसकी मौत की सूचना परिवार को दी। कैफ अल्वी की मौत से भाई जैद और सुहेल के अलावा अन्य परिजन भी गमगीन हैं।
मेरा नईम आ गया क्या
बेटे की मौत के बाद नईम की मां इदरीशा का रो-रोकर बुरा हाल है। शोक संवदेना व्यक्त करने के लिए नईम के घर जब भी कोई पहुंच रहा है, तो वह बार-बार यही बोलती है कि कहां है मेरा नईम, नईम आ गया क्या। लेकिन, सामने वाले के पास कोई उत्तर नहीं होता है। नईम की पत्नी तहजीब और चार बच्चों का भी रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं, बवाल के दौरान गोली लगने से मरने वाला बिलाल अंसारी जामा मस्जिद मार्ग पर दुकान चलाता था। रविवार सुबह को उसका सामान आया था। वह भोर में ही दुकान पर पहुंचा था और सामान उतरवाने के बाद दुकान में रखकर घर लौटने के लिए ई-रिक्शा देख रहा था। इसी दौरान हुए बवाल में उसको गोली लग गई।