10वीं की छात्रा पर दोस्ती के लिए बना रहे थे दबाव, इनकार पर जिंदा जलाया, अब पूरी उम्र जेल में कटेगी
आगरा की रहने वाली एक बेटी को छह साल बाद इंसाफ मिला है। साल 2018 में स्कूल से साइकिल पर घर लौट रही दसवीं की छात्रा पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया था। इलाज के दौरान उसने दम तोड़ा था। इस हत्याकांड के छह साल बाद 2 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

Sanjali murder case: यूपी के आगरा की बेटी को छह साल बाद इंसाफ मिला है। दरअसल साल 2018 में स्कूल से साइकिल पर घर लौट रही दसवीं की छात्रा संजलि को लालऊ के पास पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया था। इलाज के दौरान उसने दिल्ली में दम तोड़ा था। दिल दहलाने वाली सनसनीखेज वारदात के चलते देशभर में प्रदर्शन हुए थे। घटना से पुलिस के पसीने छूट गए थे।
इस मामले खुलासे के लिए तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने थाना मलपुरा में छह दिन तक कैंप किया था। इस मामले में छह साल तीन महीने बाद मंगलवार को फैसला आया। अदालत ने आरोपी विजय एवं आकाश को दोषी पाया। अपर जिला जज नितिन कुमार ठाकुर ने आरोपी को आजीवन कारावास एवं पांच लाख 23 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं मुख्य आरोपित योगेश ने आत्महत्या कर ली थी। साजिश में शामिल उसके साथियों आकाश एवं विजय को पुलिस ने जेल भेजा था। वहीं अभियोजन की ओर से एडीजीसी सत्यप्रकाश धाकड़ ने अहम साक्ष्य प्रस्तुत कर घटना से जुड़े तर्क प्रस्तुत किए।
देशभर में सुर्खियां बनने वाले चर्चित संजलि हत्याकांड का पुलिस ने 25 दिसंबर 2018 को खुलासा करते हुए विजय और आकाश को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। आरोप था कि मुख्य आरोपित योगेश छात्रा पर मित्रता का दबाव बना रहा था। मना करने पर उसने बदला लेने के लिए साजिश रची। स्कूल से घर लौट रही संजलि पर साथियों के साथ पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया था। दो हजार पन्नों की चार्जशीट में पुलिस ने 108 लोगों को गवाह बनाया था। साथ ही मौत से पूर्व संजलि के बयान को भी चार्जशीट में शामिल किया गया।
अप्रैल 2019 में आरोपियों पर आरोप तय हुए। संजलि के ताऊ मुकदमे के वादी सौदान सिंह, मृतका के पिता हरेंद्र सिंह, मां अनीता, बहन, बस चालक, विवेचक समेत 26 लोगों की गवाही हुई। मामले में दोनों आरोपित जमानत पर बाहर थे। मंगलवार को अदालत ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर सजा सुनाई। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की धनराशि में से पांच लाख रुपये मृतका के माता-पिता को बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाएंगे।
डिजिटल साक्ष्य ने निभाई सजा दिलाने में अहम भूमिका
एडीजीसी सत्यप्रकाश धाकड़ ने बताया कि सनसनीखेज मामले में डिजिटल साक्ष्य आरोपियों को सजा दिलाने में अहम रहा। इसमें मृतक योगेश, आरोपी आकाश एवं विजय तीनों के मोबाइल की कॉल डिटेल, सीडीआर, लैपटॉप समेत अन्य इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। विधि विज्ञान प्रयोगशाला से भी जांच रिपोर्ट आई थी। वह साक्ष्य में अहम रही। मामले में अभियोजन की ओर से मृतका ताऊ/वादी सौदान सिंह, मृतका के पिता हरेंद्र सिंह, मां अनीता, बहन, बस चालक मुकेश, इंस्पेक्टर विजय कुमार, विवेचक/क्षेत्राधिकारी नम्रता श्रीवास्तव, डॉक्टर, पुलिस कर्मी के अलावा सफदरजंग हॉस्पिटल दिल्ली डॉ. नूपुर, इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर सौरभ गर्ग, विष्णु समेत 26 की गवाही हुई।
इसमें मृतका के माता-पिता, बहन के अलावा डॉक्टर की गवाही से साक्ष्य जुटाएं। बचाव साक्ष्य से भी तीन गवाह पेश किए गए। एडीजीसी ने तर्क दिए कि मृतक योगेश ने 17, 18 एवं 19 दिसंबर 2018 में स्काउट कैंप में भाग लेना था, लेकिन यह 17 व 18 को कैंप में नहीं गया और साथियों के साथ मिलकर घटना की साजिश रची। यह भी साक्ष्य निकल कर विवेचना में आया है।
आरोपियों के चेहरे पर नहीं थी शिकन
सजा सुनाए जाने के बाद जेल जाने के दौरान आरोपियों के चेहरे पर शिकन नहीं थी। दोनों सामान्य थे। जबकि उनके साथ आए अन्य लोग आजीवन कारावास की सजा हुई है। इससे परेशान दिखे। उन्होंने साथ आए आरोपियों के परिवार के लोगों से भी कहा कि अभी घर जाकर सजा के बारे में मत बताना। क्योंकि एक आरोपी की कुछ माह पहले की शादी हुई है।
इन धाराओं में आरोपियों को हुई सजा
302 हत्या के आरोप में आरोपियों को आजीवन कारावास, एक लाख रुपये जुर्माना
326 ए ज्वलनशील पदार्थ डालने के आरोप में आजीवन कारावास, चार लाख रुपये जुर्माना
120 बी आपराधिक षड़यंत्र के आरोप में दस साल की सजा, बीस हजार रुपये जुर्माना
201 साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में तीन साल की सजा, दो हजार रुपये जुर्माना
सात सीएलए एक्ट में छह माह की सजा एवं एक हजार रुपये जुर्माना
यूपी के आगरा की रहने वाली एक बेटी को छह साल बाद इंसाफ मिला है। दरअसल साल 2018 में स्कूल से साइकिल पर घर लौट रही दसवीं की छात्रा संजलि को लालऊ के पास पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया था। इलाज के दौरान उसने दिल्ली में दम तोड़ा था। दिल दहलाने वाली सनसनीखेज वारदात के चलते देशभर में प्रदर्शन हुए थे। घटना से पुलिस के पसीने छूट गए थे।
इस मामले खुलासे के लिए तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने थाना मलपुरा में छह दिन तक कैंप किया था। इस मामले में छह साल तीन महीने बाद मंगलवार को फैसला आया। अदालत ने आरोपी विजय एवं आकाश को दोषी पाया। अपर जिला जज नितिन कुमार ठाकुर ने आरोपी को आजीवन कारावास एवं पांच लाख 23 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं मुख्य आरोपित योगेश ने आत्महत्या कर ली थी। साजिश में शामिल उसके साथियों आकाश एवं विजय को पुलिस ने जेल भेजा था। वहीं अभियोजन की ओर से एडीजीसी सत्यप्रकाश धाकड़ ने अहम साक्ष्य प्रस्तुत कर घटना से जुड़े तर्क प्रस्तुत किए।
देशभर में सुर्खियां बनने वाले चर्चित संजलि हत्याकांड का पुलिस ने 25 दिसंबर 2018 को खुलासा करते हुए विजय और आकाश को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। आरोप था कि मुख्य आरोपित योगेश छात्रा पर मित्रता का दबाव बना रहा था। मना करने पर उसने बदला लेने के लिए साजिश रची। स्कूल से घर लौट रही संजलि पर साथियों के साथ पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया था। दो हजार पन्नों की चार्जशीट में पुलिस ने 108 लोगों को गवाह बनाया था। साथ ही मौत से पूर्व संजलि के बयान को भी चार्जशीट में शामिल किया गया।
अप्रैल 2019 में आरोपियों पर आरोप तय हुए। संजलि के ताऊ मुकदमे के वादी सौदान सिंह, मृतका के पिता हरेंद्र सिंह, मां अनीता, बहन, बस चालक, विवेचक समेत 26 लोगों की गवाही हुई। मामले में दोनों आरोपित जमानत पर बाहर थे। मंगलवार को अदालत ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर सजा सुनाई। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की धनराशि में से पांच लाख रुपये मृतका के माता-पिता को बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाएंगे।
डिजिटल साक्ष्य ने निभाई सजा दिलाने में अहम भूमिका
एडीजीसी सत्यप्रकाश धाकड़ ने बताया कि सनसनीखेज मामले में डिजिटल साक्ष्य आरोपियों को सजा दिलाने में अहम रहा। इसमें मृतक योगेश, आरोपी आकाश एवं विजय तीनों के मोबाइल की कॉल डिटेल, सीडीआर, लैपटॉप समेत अन्य इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। विधि विज्ञान प्रयोगशाला से भी जांच रिपोर्ट आई थी। वह साक्ष्य में अहम रही। मामले में अभियोजन की ओर से मृतका ताऊ/वादी सौदान सिंह, मृतका के पिता हरेंद्र सिंह, मां अनीता, बहन, बस चालक मुकेश, इंस्पेक्टर विजय कुमार, विवेचक/क्षेत्राधिकारी नम्रता श्रीवास्तव, डॉक्टर, पुलिस कर्मी के अलावा सफदरजंग हॉस्पिटल दिल्ली डॉ. नूपुर, इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर सौरभ गर्ग, विष्णु समेत 26 की गवाही हुई।
इसमें मृतका के माता-पिता, बहन के अलावा डॉक्टर की गवाही से साक्ष्य जुटाएं। बचाव साक्ष्य से भी तीन गवाह पेश किए गए। एडीजीसी ने तर्क दिए कि मृतक योगेश ने 17, 18 एवं 19 दिसंबर 2018 में स्काउट कैंप में भाग लेना था, लेकिन यह 17 व 18 को कैंप में नहीं गया और साथियों के साथ मिलकर घटना की साजिश रची। यह भी साक्ष्य निकल कर विवेचना में आया है।
आरोपियों के चेहरे पर नहीं थी शिकन
सजा सुनाए जाने के बाद जेल जाने के दौरान आरोपियों के चेहरे पर शिकन नहीं थी। दोनों सामान्य थे। जबकि उनके साथ आए अन्य लोग आजीवन कारावास की सजा हुई है। इससे परेशान दिखे। उन्होंने साथ आए आरोपियों के परिवार के लोगों से भी कहा कि अभी घर जाकर सजा के बारे में मत बताना। क्योंकि एक आरोपी की कुछ माह पहले की शादी हुई है।
इन धाराओं में आरोपियों को हुई सजा
302 हत्या के आरोप में आरोपियों को आजीवन कारावास, एक लाख रुपये जुर्माना
326 ए ज्वलनशील पदार्थ डालने के आरोप में आजीवन कारावास, चार लाख रुपये जुर्माना
120 बी आपराधिक षड़यंत्र के आरोप में दस साल की सजा, बीस हजार रुपये जुर्माना
201 साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में तीन साल की सजा, दो हजार रुपये जुर्माना
सात सीएलए एक्ट में छह माह की सजा एवं एक हजार रुपये जुर्माना|#+|
एसएसपी ने छह दिन तक किया था कैंप
घटना के खुलासे के लिए देश भर में प्रदर्शन हुए थे। जांच के लिए तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने एसआईटी गठित की थी। एसएसपी ने खुद छह दिन तक मलपुरा में ही कैंप किया था। खुलासे के दौरान एसएसपी भी भावुक हो गए थे। पुलिस के मुताबिक सगे ताऊ के बेटे योगेश ने वारदात को अंजाम दिया था। बाद में उसने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी।
गिरवी रखी बाइक से दिया था घटना को अंजाम
सिकंदरा निवासी व्यक्ति ने आरोपी विजय से पांच हजार रुपये उधार लिए थे। इसके लिए अपनी बाइक गिरवी रखी थी। थाना मलपुरा पुलिस ने घटना में प्रयुक्त बाइक जो उक्त मुकदमे से संबंधित थी की रिपोर्ट भी भेजी थी। व्यक्ति ने बाइक रिलीज को उस समय अर्जी भी दी थी।
घटना की टाइम लाइन
-18 दिसंबर 2018 की दोपहर 1:30 बजे की घटना
-थाना मलपुरा पुलिस को सूचना मिली 18 दिसंबर को रात 8:30 बजे
-धारा 302, 326ए, 201/34 आईपीसी एवं सात सीएलए एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज
-थाने से पांच किलोमीटर दूर था घटनास्थल
-खुलासे के बाद आरोपियों को दिसंबर 2018 में भेजा था जेल
-20 मार्च 2019 को न्यायालय में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
-23 मार्च 2019 को मुकदमे की सुनवाई अदालत में शुरू हुई
-16 अप्रैल 2019 को आरोपियों पर आरोप तय हुए
-17 जनवरी 2024 को मामले में अंतिम गवाह की गवाही हुई
-18 मार्च को अदालत ने आरोपियों को सुनाई सजा