बोले प्रयागराज : गम को और गहरा कर देती है अव्यवस्था
Prayagraj News - प्रयागराज में एसआरएन अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के आसपास गंदगी और अव्यवस्था के कारण शवों के साथ आने वाले लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां पेयजल की कमी और बैठने की व्यवस्था नहीं है।...
प्रयागराज, हिन्दुस्तान टीम। शहर के किसी सार्वजनिक स्थान पर सबसे ज्यादा गंदगी है तो वह है मंडल के सबसे बड़े एसआरएन अस्पताल परिसर में बने पोस्टमार्टम हाउस और उसके आसपास। पोस्टमार्टम हाउस तक शवों के साथ आने वाला हर व्यक्ति अपने को खोने से इतना व्यथित रहता है कि उसकी किसी से कोई अपेक्षा नहीं रहती। वह चाहता है कि जितना जल्दी उनके अपने के शव का पोस्टमार्टम हो जाए और वे लेकर चले जाएं, लेकिन पोस्टर्माटम की प्रक्रिया ही ऐसी है कि हर किसी को कम से कम चार से छह घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। वहीं पोस्टर्माटम हाउस में फैली अव्यवस्था, गंदगी और बुनियादी सुविधाओं की कमी लोगों के गम को और गहरा कर देती है।
सामान्य तौर पर यहां हर माह 300 से 350 शवों का पोस्टर्माटम किया जाता है। यहां शवों के साथ रोजाना 400 से 500 लोग आते हैं। लेकिन न किसी को पीने का पानी नसीब होता है, न छांव मिलती है । एक साल पहले पोस्टमार्टम हाउस परिसर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए पूरी सड़क उखाड़ दी गई थी। भूमिगत सीवर पाइप बिछाने के बाद सड़क पर गिट्टी डालकर ठेकेदार ने काम छोड़ दिया जबकि पोस्टमार्टम हाउस के बाहर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए जगह का निर्धारण ही नहीं हुआ। पोस्टमार्टम हाउस के मुख्य रास्ते और गेट पर कीचड़, गंदगी, दुर्गंध ऐसी है कि वहां पांच मिनट खड़ा होना भी मुश्किल है। शव का पोस्टमार्टम कराने आने वालों को भी यहां कई तरह की परेशानी होती है लेकिन पोस्टमार्टम हाउस की अव्यवस्थाओं से स्वास्थ्य विभाग ने भी आंखें फेर रखी है। एसआरएन अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित पोस्टमार्टम हाउस कहने को तो आधुनिक चीर घर है लेकिन इसकी डगर बहुत कठिन है। चारों तरफ फैली गंदगी से संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा है। वहीं प्यास बुझाने के लिए लोगों को परिसर में पेयजल नसीब नहीं होता। पोस्टमार्टम हाउस परिसर में न तो पर्याप्त बेंच है और न ही ऐसी समतल जमीन कि दूरदराज से आए व्यथित लोग अंगौछा बिछाकर समय काट सकें। लोगों का कहना है कि सौंदर्यीकरण के नाम पोस्टमार्टम हाउस के पास एक दर्जन पेड़ काट दिए जाने से बैठने के अब छांव भी नहीं मिलती। पहुंचने का रास्ता ही बहुत मुश्किल पोस्टमार्टम हाउस तक पंहुचने के लिए दो रास्ते हैं पहला एसआरएन अस्पताल के प्रवेश द्वार से पुरानी बिल्डिंग के किनारे से और दूसरा सीएवी इंटर कॉलेज के बगल से गोबर गली होकर। लेकिन दोंनों रास्तों पर वाहन ही नहीं लोगों को पैदल चलना मुश्किल है। एसआरएन परिसर में पोस्टमार्टम हाउस तक आने वाली सड़क महाकुम्भ से पहले खोदी गई थी लेकिन उसे समतल नहीं किया गया। इस सड़क पर बड़ी संख्या में एंबुलेंस व अन्य वाहनों का आवागमन होता है लेकिन सड़क पर गड़ढे होने के कारण असंतुलित होकर पलट जाते हैं। अस्पताल का पूरा कचरा इसी सड़क के किनारे फेंका जाता है, इससे यहां पूरे इलाके में दुर्गंध से लोग परेशान हैं। अस्पताल के अंदर से जो शव स्ट्रेचर पर पोस्टमार्टम हाउस आते हैं वह कैंटीन के पीछे और नर्सिंग कॉलेज के सामने सड़क पर गड्ढे में फंस जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ सीएवी इंटर कॉलेज के बगल से होकर आने वाले रास्ते पर लोग भैंस बांधकर कब्जा किए हुए हैं। सड़क पर गोबर ही गोबर फैला रहता है। शिकायतें - अस्पताल परिसर से पोस्टमार्टम हाउस तक आने वाली सड़क खुदी होने से चलना मुश्किल है। - पोस्टमार्टम हाउस के गेट के बगल कूड़े का ढेर लगा है, जिससे दुर्गंध फैल रही है। - लोगों को बैठने के लिए पर्याप्त बेंच नहीं है, कहीं छांव भी नहीं है। - पोस्टमार्टम हाउस परिसर व कमरों में साफ-सफाई नहीं होती। - परिसर में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है लोग पानी खरीदकर पीते हैं। सुझाव -अस्पताल परिसर से पोस्टमार्टम हाउस तक आने वाली सड़क बनवाई जाए। - अस्पताल अधीक्षक के कार्यालय और पोस्टमार्टम हाउस के गेट पर लगे कूड़े को हटाया जाए। - पोस्टमार्टम हाउस परिसर में बैठने के लिए शेड व बेंच की व्यवस्था की जाए। -परिसर में स्ट्रेचर और पेयजल की व्यवस्था कराई जाए। -पोस्टमार्टम हाउस परिसर में बाहरी वाहनों का प्रवेश रोका जाए। हमारी भी सुनें एसआरएन अस्पताल के अंदर से पोस्टमार्टम हाउस तक आने का रास्ता नहीं है। पानी की टंकी के पास अस्पताल का कूड़ा फेंका जाता है। दुर्गंध से रास्ता चलना मुश्किल है। -मदन यादव पोस्टमार्टम हाउस तक आने वाली सड़क पर गड्ढे होने से वाहनों को लाने व ले जाने में दिक्कत होती है। एंबुलेंस व दो पहिया वाहन अक्सर इस रास्ते पर पलट जाते हैं। -धमेन्द्र यादव पोस्टमार्टम हाउस में चारों तरफ गंदगी फैली हुई हैं। यहां सफाई का कोई इंतजाम नहीं हैं। गंदगी से परिसर में दो मिनट रुकना मुश्किल है। वाहनों के पार्किंग की जगह नहीं है।-शिव लाल परिसर में शुद्ध पेयजल का कोई इंतजाम नहीं है। दीवार से सटी एक टोंटी में पानी आता है लेकिन वहां गंदगी होने के कारण पानी पीने का मन नहीं करता। पानी खरीदकर पीना पड़ता है। - कान्हा परिसर में साफ-सफाई बिल्कुल नहीं होती। बैठने के लिए तीन बेंच हैं जिस पर 15 लोग ही बैठ सकते हैं। बाकी लोग धूप में खड़े इंतजार करते रहते हैं। कहीं छांव नहीं मिलती। - चंद्रसेन यादव शव का पोस्टमार्टम सुबह से शुरू कर दिया जाए तो इससे लोगों को सहूलियत मिलेगी। यहां लोग सुबह से आने लगते हैं लेकिन पोस्टमार्टम दोपहर दो बजे से शुरू हो जाता है। -गुलाब सिंह परिसर में छांव की कोई व्यवस्था नहीं है। शव के साथ आने वाले धूप में खड़े होकर इंतजार करते हैं। बैठने के लिए बेंच की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। लोग इधर-उधर भटकते रहते हैं।- सुनील पोस्टमार्टम हाउस के गेट के बगल गली में गंदगी का ढेर लगा है। दुर्गंध के कारण गेट के पास कोई व्यक्ति खड़ा नहीं हो सकता। परिसर में कोई सफाई के लिए नहीं आता है।-रूप सिंह यहां पानी की बहुत बड़ी किल्लत है। गंदगी में खड़े होकर पानी पीने को मिलता है। सड़क पर जगह-जगह गड्ढे होने के कारण दो पहिया वाहन अक्सर पलट जाते हैं।- डॉ़ किशुन परिसर में बाहरी वाहनों का आवागमन होता रहता है। इससे परिसर में बैठे लोगों की दुर्घटना होने की संभावना रहती है। महाकुम्भ में खोदी गईं सड़कों को समतल नहीं किया गया।-नागेन्द्र यहां लगे पेड़ों के काट दिए जाने से छांव कहीं नहीं रह गई है। शव लेने के लिए आए लोग अपने वाहनों में बैठे रहते हैं। कैंटीन के पास तीन बड़े पेड़ काट दिए गए हैं।-राहुल यादव रास्ते में गड्ढे होने के कारण पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचना आसान नहीं है। सड़क पूरी तरह से गड्ढे के रूप में बदल चुकी है। बारिश में समस्या और बढ़ जाएगी।-शिव कुमार यादव परिसर के पीछे गेट के सामने वाली सड़क का नाम ही गोबर गली है। यहां शव लेकर आने वाली एंबुलेंस की रफ्तार थम जाती है क्योंकि पूरी सड़क पर स्थानीय लोग भैंस बांधे रहते हैं।-सुनील यादव पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल है। यहां आए दिन एंबुलेंस फंसती रहती है। गंदगी के कारण लोगों को बहुत परेशानी होती है। पोस्टमार्टम हाउस परिसर की साफ-सफाई नहीं होती।- बल्लू शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं लेकिन पोस्टमार्टम दोपहर दो बजे से शुरू होता है। यहां आने वाले बाजार से पानी खरीदकर पीते हैं। यहां बैठने की भी व्यवस्था नहीं है।-श्याम बाबू पोस्टमार्टम हाउस परिसर में बाहरी वाहनों के आने जाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सैकड़ों की संख्या में लोग दो पहिया व चार पहिया वाहन से इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं।-तूफानी बिंद परिसर में बने कमरे में गंदगी फैली हुई है यहां बैठने की जगह नहीं है। लोहे की कुर्सियां टूट गई हैं। फर्श पर खून के धब्बे जगह-जगह लगे हैं। सीलिंग फैन खराब है।- हारुन परिसर के आसपास जो पहले पेड़ लगे थे वह काट दिए गए। पोस्टमार्टम परिसर में कोई शेड भी नहीं है जिसके नीचे लोग खड़े हो सके। पोस्टमार्टम हाउस आकर लोग बीमार हो जाते हैं।-- एसके उपाध्याय बोले जिम्मेदार पोस्टमार्टम हाउस में पेयजल को लेकर जो समस्या है उसे जल्द दूर कर दिया जाएगा। लोगों को बैठने के लिए बेंच और सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। शव के साथ पोस्टमार्टम हाउस आने वालों को किसी तरह की दिक्कत न हो इसके पूरे प्रयास किए जाएंगे।-डॉ. एके तिवारी, सीएमओ
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