प्रतिबंधित पत्रकारिता नहीं करती कल्पना लोक का निर्माण: प्रो. चमनलाल
Prayagraj News - इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रो. संतोष भदौरिया की किताब 'अंग्रेजी राज और हिंदी की प्रतिबंधित पत्रकारिता' पर चर्चा हुई। मुख्य वक्ता प्रो. चमनलाल ने प्रतिबंधित पत्रकारिता की वास्तविकता पर जोर दिया। डॉ....

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी में ‘किताब पर बात बैनर तले प्रो. संतोष भदौरिया की किताब ‘अंग्रेजी राज और हिंदी की प्रतिबंधित पत्रकारिता के परिप्रेक्ष्य में उपनिवेश, प्रतिबंधन और प्रतिरोध विषय पर बात कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. चमनलाल ने कहा कि प्रतिबंधित पत्रकारिता किसी कल्पना लोक की जगह जमीनी यथार्थ से बावस्ता कराती हैं। वे किसी कल्पना लोक का निर्माण नहीं करतीं। किसी भी तरह का प्रतिबंधन हमारी चेतना को कुंद करता है। डॉ. जनार्दन ने किताब में संकलित तथ्यों का हवाला देते हुए हिंदी पत्रकारिता के स्वरूप और हिंदी पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति पर बात की। प्रो. आलोक प्रसाद ने इतिहास के हवाले से अंग्रेजी राज में शिक्षा और प्रिंटिंग प्रेस की स्थिति पर बात रखी। अध्यक्षता कर रहे प्रो. राजेंद्र कुमार ने भगत सिंह की शहादत को याद करते हुए स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रतिबंधन और उस समय की हिंदी पत्रकारिता और हिंदी पत्रकारों के संघर्ष को याद किया। अतिथियों ने प्रो. संतोष भदौरिया की किताब का विमोचन किया। बरगद कला मंच के गायकों की ओर से कबीर गायन तथा गांधी गीत गायन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. लालसा यादव, प्रो. चंदा देवी, प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल, प्रो. आशुतोष पार्थेश्वर, प्रो. कुमार वीरेंद्र, प्रो. राकेश सिंह, असरार गांधी, सीमा आजाद, प्रवीण शेखर, डॉ. शिवम सिंह, डॉ. सतरुद्र प्रकाश आदि मौजूद रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।